Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu/Sampadakiy
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Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, Agra, 2004
Author: Dr Ompal Singh Tugania
Publisher - Jaypal Agencies, Agra-282007
जाट समुदाय के प्रमुख आधार बिंदुओं में उपाधि, बौंक, गोत्र और वंश को जाट समाज अधिक महत्व देता है. यह जाट समाज के विशिष्ट मान बिंदु हैं जिन से उसकी परंपराएं, मर्यादायें और व्यवस्थायें जुड़ी हुई हैं. जाट समुदाय की संपूर्ण वैवाहिक व्यवस्था भी गोत्र पहचान पर आधारित है. जब तक यह मान बिंदु और मर्यादाएं जीवित हैं तब तक जाट के खून में कोई मिलावट नहीं हो सकती. लेखक ने उपाधि का अर्थ, प्रकार, कारण और इसमें परिवर्तन, बौंक की अवधि, अवधारणा,नामकरण, परिवर्तन, गोत्र और उसका ऐतिहासिक संदर्भ में विस्तृत अर्थ, विभिन्न गोत्रों का प्रचलन, कारण, जन्म, विस्तार, वंश और उसकी पहचान, वंशों के प्रकार, प्रमुख वंशों का विस्तृत विवरण आदि प्रकरणों को क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया है, साथ ही गोत्रावली भी संबद्ध की गई है.
राजेंद्र सिंह ढिल्लन
संपादक जाट बंधु आगरा-7
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