Kotwa Beniwal

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Kot vaa bain
चीन विजेता महारानी कोटवा बेनीवाल जाटणी

चीनी सम्राट माउंटून ने समस्त चीन जीत लिया तथा चीन के एक छोटे से साम्राज्य में राज्य करने वाले बैन अर्थात बेनीवाल जाटों के नाम चिट्ठी लिखी कि मैंने समस्त चीन को जीत लिया, आप युचीयो को अर्थात जाटों को (याद रहे जाटों को चाइना में युची बोला जाता है) को भी मैंने नष्ट कर दिया और आसपास के 26राज्य मेरे हाथ में हैं. अगर तुम यूची (जाट) नहीं चाहते कि हम म्हादीवार को पार करें तो जाटों को महा दीवार के पास हरगिज नहीं आने देना चाहिए. साथ ही मेरे दूत को नजरबंद ना करें , तुरंत मेरे पास लौटा देना चाहिए. माउंटुन के पत्र का चीनी सम्राट पर असर नहीं हुआ , उसकी जाट महारानी कोटवा बेनीवाल ने उसे सलाह दी कि यदि आज उसकी शर्तों को मान लिया जाएगा तो वह भविष्य में और शर्ते रखेगा तथा हमे बार-बार तंग करेगा, महारानी कोटवा बेनीवाल की सलाह पर जाट सम्राट हुडती बैन ने माउटुन के राजदूत को सही उत्तर दिया और कहा कि यदि हमारे राज्य की और कभी मुंह करके भी मत सोना. यदि तुमने ऐसा किया तो तुम्हें और तुम्हारे महाराजा को सदा के लिए जाट मौत की नींद सुला देंगे.

जब माऊ ट्यून का दुत उसके पास वापस पहुंचा तो उसने सारा हाल बताया तथा चीनी सम्राट महारानी कोटवा बेनीवाल जाटनी का सुंदरता का भी वर्णन किया. इस अपमान का बदला लेने के लिए माऊ ट्यून ने जाट साम्राज्य के ऊपर आक्रमण की योजना बनाई तथा अपनी कई लाख सेना इकट्ठा की और जाटों पर हमला करने के लिए कुच किया .जब इस बात की खबर गुप्त्चरो द्वारा बैन /बेनिवाल सम्राट के पास पहुंच गई तो उसने भी अपनी पूरी सेना इकठ्ठा की तथा युद्ध के लिए तैयार हो गया, इस युद्ध में उसकी महारानी कोटवा बेनीवाल जाटनी भी साथ थी वह अगली पंक्ति में अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लडी. तथा माउंट ट्यून की सेना मारने के बाद तथा रानी के साहस को देखकर भाग खड़ी हुई .महारानी ने अपनी तलवार से अनेकों सैनिकों को मौत के घाट उतारा , युद्ध में पहले तो जाट सम्राट का पलड़ा भारी रहा लेकिन बाद में माऊ टुन की शक्ति से उसने युद्ध का पासा ही पलट दिया , मऊटून ने तीन लाख सैनिकों की एक सेना के साथ आक्रमण कर दिया. सम्राट बेनीवाल चीनी सम्राट को अपनी सेना के साथ एक दुर्ग स्थान पर पहुंचकर बंदी बना लिया. सम्राट के साथ सेना की छोटी टुकड़ी ही थी, बाकी सेना पीछे रह गई. दोनों 7 दिनों तक आमने-सामने डटी रही. चीनी सम्राट बेनीवाल घिर गया था.

इस वक्त पर महारानी कोटवा बेनीवाल जाटनी ने होशियारी से काम लिया तथा गुपत्चरो द्वारा यह खबर निकलवाई कि दुश्मन सेना की कौन से भाग कमजोर है? इस बात का पता लगाकर चीनी सम्राट की घिरी हुई छोटी टुकड़ी ने रात के समय महारानी के नेतृत्व में वहीं पर धावा बोल दिया. इस लड़ाई में महारानी अपनी तलवार के वार से अनेकों दुश्मन सैनिकों को मार गिराया वह अपने पति सम्राट बैन तथा चीनी सेना को वहां से निकालने में कामयाब हुई .उसकी दिलेरी साहस व जुझारूपन देखते ही बनता था. महारानी जिस तरफ भी युद्ध में जीती वहीं से दुश्मन सेना के परखच्चे उड़ गए. महारानी की शौर्य गाथा वर्षों तक चीनी सड़कों पर गाई जाती रही. युद्ध समाप्त हो गया दोनों राज्य बाद में शांति पूर्वक रहने लगे .

2 वर्षों के बाद किसी बीमारी के कारण जाट सम्राट की मृत्यु हो गई ,उस समय महरानी का लड़का केवल 8 वर्ष का था .उस समय चीन की गद्दी पर महारानी कोटवा बेनीवाल अकेली बैठी थी. जिससे मौके का फायदा उठाकर दोबारा माउंटुन के मस्तिक में महारानी का सुंदर चेहरा घूमने लगा. वह चाहता था कि महारानी उससे शादी करें तथा अपना राज्य उसे सौंप दें .तब माउंटुन ने अपने विशेष दुत को पत्र लिखकर महारानी के साम्राज्य में भेजा. उन्होंने महारानी की सुंदरता की खूब व्याख्या की, इन्हीं बातों से प्रेरित होकर अपने दुत के हाथ पत्र लिखकर भेजा जिसमें लिखा हुआ था कि ' हे महारानी आप अपना हाथ मुझे दे दो ', जब यह पत्र लेकर दुत महारानी के दरबार में पहुंचा तो उसने सभा बुलाई तथा इसमें सलाह मशवरा किया गया ,कुछ दरबारियों ने कहा कि युद्ध की तैयारी करनी चाहिए तो कुछ ने कहा कोई नरम पत्र सम्राट को भेजा जाए . इन सभी बातों मे महारानी ने अपना जवाब तैयार किया और दूत को दोबारा भेजा और लिखा , हे सम्राट युद्ध का परिणाम तथा होने वाली विभीषिका देख चुके हो .इससे कोई फायदा नहीं है . रही बात है दिल देने की मेरे दांत और केश परम भट्ठारक के प्रेम को प्राप्त करने के योग्य नहीं रहे, दांत टूट चुके हैं, केश सफेद हो चुके हैं. आपको अपनी तरफ से कुछ उपहार भेज रही हो, दो राजकीय रथ से, अच्छे दो घोड़े तथा दूसरी भेटे . कृपया आप इणे प्राप्त करें. यही दोनों राज्यों के हित में होगा.

रानी के पत्र को पढ़कर मऊ ट्यून काफी लज्जित हुआ तथा उसने कभी भी दोबारा रानी के उपर हमला ना करने का आश्वासन दिया और शर्मिंदगी से माफी मांगी .महारानी कोटवा बेनीवाल ने 187 ईसा पूर्व से 175 ईसा पूर्व तक राज्य किया. ऐसी महान थी जाट महारानी कोटवा बेनीवाल.

विशेष नोट - चाइना की राजधानी बीजिंग से आज भी 35 किलोमीटर आगे रानी कोटवा बेनीवाल जाटनी का किला साक्षात रूप में खड़ा हुआ है .और जब इन बड़े युद्ध को विश्व की अलग-अलग यूनिवर्सिटी पढ़ाती हैं ,अलग-अलग लेखक लिखते हैं तो उन जाटों की शौर्य गाथा को भारत में भी पढ़ाया जाना चाहिए

रोहित चौधरी

संदर्भ किताबें-

  • A Thousand Year of tators Shanghai, and Beijing University. 1895, page 347 arkhe ochek. page 421.
  • Ancient History of middle Asia South Asia page number 120 writer Rahul sankrityan.
  • पारस घाटी की लड़ाई 556 ईसापूर्व - लेखक पंडित भगवती चरण चीनी यात्री ह्वेनसांग.
  • चीनी लेखक सॉन्ग जिसने चक्रवर्ती चीनी सम्राटों की यादगार में पुस्तके लिखी सिंगापुर यूनिवर्सिटी और बीजिंग यूनिवर्सिटी तथा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी इंग्लैंड के लेखकों के हवाले से.

External links

References