Kutani Jhajjar

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search

Note - Please click → Kutani for details of similarly named villages at other places.



Kutani (कुताणी, कुतानी) is a small village in Jhajjar district of Haryana (under Jhajjar Tehsil), near the forest area of Chhuchhakwas. Its lands are famous for cultivation of sweet melons (खरबूजे) during hot summer months.

Jat Gotras

Other Castes

Several Rajputs families have also been living in this village for many centuries.

History

कुतानी की गढ़ी

ठाकुर स्यालुसिंह अपने छः भाइयों सहित निवास करते थे । यह झज्जर के नवाब के बख्शी थे अर्थात् वही सर्वेसर्वा थे । नवाब क्या, यही ठाकुर स्यालुसिंह राज्य किया करते थे । इसने नवाब की फौज में हरयाणा के वीरों को भर्ती नहीं किया, आगे चलकर इस भूल का फल भी उसे भोगना पड़ा । उसने सब पूर्वियों को ही फौज में भरती किया, वह यह समझता था कि यह अनुशासन में रहेंगे । एक पूर्वीय सैनिक को ठाकुर स्यालुसिंह ने लाठी से मार दिया था, अतः सब पूर्वीय सैनिक उस से द्वेष करने लगे थे । एक दिन काणोड के दुर्ग में नाच गाना हो रहा था । एक पूर्वीय सैनिक ने ठाकुर स्यालुसिंह पर अवसर पाकर तलवार से वार किया । तलवार का वार पगड़ी पर लगा और ठाकुर साहब बच गये किन्तु इस पूर्वीय को ठाकुर साहब ने वहीं मार दिया । पूर्वीयों ने दुर्ग का द्वार बंद कर दिया और द्वार पर तोप लगा दी और टके भरकर तोपें चलानी शुरू कर दीं । उस समय ठाकुर स्यालुसिंह के साथ 11 अन्य साथी थे । ठाकुर हरनाम सिंह रतनथल निवासी ने तोपची को मार दिया । इस प्रकार बचकर ये लोग अपने घर चले गए । ठाकुर स्यालुसिंह अपनी ससुराल पाल्हावास में जो भिवानी के पास है, जहां इसके बाल-बच्चे उस समय रहते थे, चला गया । किन्तु पीछे से सब पूर्वियों ने कुतानी की गढ़ी पर चढ़ाई कर दी । नवाब ने पूर्वी सैनिकों को ऐसा करने से बहुत रोका, उसने यह भी कहा कि तुम ठाकुर के विरुद्ध मेरे पास मुकद्दमा करो, मैं न्याय करूंगा, किन्तु वे किसी प्रकार भी नहीं माने । नवाब ने कुतानी के ठाकुरों के पास भी अपना सन्देश रामबख्श धाणक खेड़ी सुलतान के द्वारा भेजा कि गढ़ी को खाली कर दें । इस प्रकार यह सन्देश तीन बार भेजा किन्तु गढ़ी में स्यालुसिंह का भाई सूबेदार मेजर शिवजीसिंह था । वह यही कहता रहा कि स्यालुसिंह के रहते हुए हमारा कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता । किन्तु रात्रि को पूर्वीय सैनिकों ने सारी गढ़ी को घेरकर तोपों से आक्रमण कर दिया । ठाकुर शिवजीसिंह ने अपनी मानरक्षा के लिए छः ठाकुरानियों को तलवार से कत्ल कर दिया । दो लड़कों का भी वध कर दिया । किन्तु वह अपनी मां का वध नहीं कर सका । उसकी मां ने स्वयं अपना सिर काट लिया और यह कहा कि मैं यदि पकड़ी गई तो कलकत्ता तक सब ठाकुर बदनाम हो जायेंगे । कुतानी की गढ़ी के सब लोग गांव छोड़कर भाग गये । कुतानी के ठाकुरों की हवेली आज भी टूटी पड़ी है । तोप के गोलों के चिन्ह अब तक दीवारों पर हैं । गढ़ी उजड़ अवस्था में पड़ी है ।

(देखें पेज देशभक्तों के बलिदान - लेखक स्वामी ओमानन्द सरस्वती)

Jatland Links

External Links

References


Back to Jat Villages