Lokendra Singh Teotia

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Lokendra Singh Teotia

Dr. Lokendra Singh Teotia, Former Director (DRDE, Gwalior, M.P.)

Contact

Mobile number: Dr.Lokendra Singh 9968300328

Address: 34, P G Enclave, near silver Oak hotel, city centre, Gwalior 474011

e mail: lst2397@rediffmail.com

Family details

Father: Shri Mahendra pal singh has served as chemistry teacher in DAV Inter college, Bulandshahr

Mother: Smt Rajbala is now no more. She was house wife

Younger brother: Dr khush vir singh did MBBS and MD (orthopaedic) and practicing in Bulandshahr.

Youngest brother: Nirdosh kumar did B Tech (textile) and served at senior level in different textile industries and finally served as senior vice President in Birla textile industries at Indonesia before retirement and now settled at Chandigarh.

Sister: Mrs Anita Singh is youngest of us. She is M A, B ed and settled in Delhi.

Wife: Mrs Archana did Ph D (sociology) and serving in Jiwaji University.

Children: One daughter and two sons.All settled and married.

डॉ. लोकेंद्र सिंह का परिचय

डॉक्टर लोकेंद्र सिंह (भूतपूर्व निदेशक) रक्षा अनुसंधान विकास स्थापना (डी आर डी ई) ग्वालियर

डॉ . लोकेंद्र सिंह का जन्म 5 जुलाई 1957 को ग्राम गनौरा शेख, जिला बुलन्दशहर (उ. प्र.) में हुआ था । इनके पिता जी अध्यापन से जुड़े थे । ये तेवतिया गोत्र से हैं । इनके दो भाई व एक बहन हैं तथा दो पुत्र व एक पुत्री हैं। डॉ. सिंह एक सरल स्वभाव एवं कर्मठ व्यक्तित्व के मालिक हैं एवं उच्च विचार इन्हें अपने पिता जी से विरासत में मिला है ।

इनकी प्राथमिक पढ़ाई गांव से हुई तथा बी. एस. सी., दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से पूर्ण की । इन्होनें एम. एस. सी. व पी एच डी डिग्रियां, पंजाब कृषि विद्यालय , लुधियाना से प्राप्त की ।

इन्होंने 1984 में डी . आर. डी. ओ. में वैज्ञानिक बी (क्लास -1 गैजीटिड ) के पद पर कार्यभार ग्रहण किया तथा 33 साल की नौकरी कर मई 2017 में सेवानिवृत्त हुए । इन्होंने रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला (डी एफ आर एल) मैसूर , रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर , डी आर डी ई ग्वालियर , रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला (डी आर एल) तेजपुर व डी आर डी ओ हैड क्वार्टर दिल्ली में विभिन्न पदों पर कार्य किया। ये 2008 में तेजपुर (आसाम) में निदेशक का पद ग्रहण किया तथा 3 साल कार्य कर डी आर डी ओ दिल्ली स्थानांतरण हो गए । वहां पर निदेशक ( जैव विज्ञान ) बनकर नौ प्रयोगशालाओं के कार्य का संचालन किया । वहां पर 7 वें वेतन आयोग में डी आर डी ओ प्रमुख व आर टी आई में डी आर डी ओ के फर्स्ट एपीलेंट का कार्य भी किया । दिसम्बर 2014 में आप ने डी आर डी ई ग्वालियर में निदेशक का पद का कार्यभार संभाला । आपने 15 से ज्यादा विद्यार्थियों को माइक्रोबायोलॉजी , बॉटनी , बायोकेमिस्ट्री व बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पी एच डी कराई । इनके 150 से ज्यादा शोधपत्र व 30 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हैं । आपने जेनेवा , होलैंड , मंगोलिया व किर्गिस्तान में वार्ताओं व संगोष्ठियों में भाग लिया । चौदहवें भारतीय अंटार्कटिक वैज्ञानिक अभियान में सदस्य के रुप में 1993 में चार माह के लिए अंटार्कटिका (दक्षिणी ध्रुव ) गए तथा वहां से कम ताप पर कार्य करने वाले जीवाणुओं को खोजा । इनका उपयोग पहाड़ी इलाके के बायोडाईजेस्टर के लिए उपयोगी पाया गया । तीन जीवाणु एन्जाईम बनाने तथा इंडस्ट्री के लिए उपयोगी साबित हुए । अंटार्कटिका की यात्रा 3 सप्ताह में पानी के जहाज द्वारा सम्पन्न हुई तथा रास्ते में मॉरिशस में भी रहना हुआ । इनके अनुसार अंटार्कटिका दुनिया का सबसे ठंडा इलाका (- 86डिग्री सैल्सियस ) ,सबसे सुंदर तथा सबसे कम प्रदूषण वाली जगह है। वहां 6 माह के दिन व रात होते हैं तथा पूरी जगह बर्फ से ढकी रहती है ।

डॉ . सिंह ने विज्ञान के अनेक क्षेत्रों में कार्य किया है । मैसूर में कम ताप व विकिरण द्वारा खाद्य संरक्षण की विधि विकसित की तथा खाद्य में जीवाणुओं का मालूम करने के लिए टेस्ट विकसित किए । जोधपुर में आपने कपड़े के डाई इंडस्ट्री द्वारा जल प्रदूषण पर कार्य किया । ऐसे जीवाणु छांटे गए जो प्रदूषण को दूर कर पानी साफ रखने में मदद करते हैं । तेजपुर में पानी से आयरन , आर्सेनिक व फ्लोराइड दूर करने के उपकरण बनाए व मच्छरों को विकर्ष करने की सामग्री विकसित की । ग्वालियर में डॉ . सिंह ने जैव युद्ध में काम आने वाले जीवाणुओं पर कार्य किया तथा उनके द्वारा उत्सर्जित विष (टॉक्सिन ) के परीक्षण की विधि का विकास किया । सबसे ज्यादा समय उन्होनें बायो डाइजेस्टर के विकसित करने में लगाया जो कि मनुष्य के मल के निष्पादन में प्रयोग होता है ।

बायोडाइजेस्टर का विकास ठंडे इलाकों में आर्मी के जवानों के मल निष्पादन के लिए किया गया था जैसे कि सियाचिन ग्लेशियर जहां का तापमान - 40डिग्री सैलिसियश या और कम होता है । वहां मल पदार्थ नष्ट नहीं होता तथा पीने के पानी या बर्फ को दूषित करता है । बहुत सारे उपकरण पहाड़ी इलाकों में लगाए गए हैं जहां दूसरी विधि काम नहीं करती । इनके रुपान्तरण अन्य इलाकों में भी लगाए गए हैं । रेलवे में डिब्बों में एक लाख बायोडाइजेस्टर लगाए जा चुके हैं तथा 2 साल में सब रेल गाड़ियां इनसे सुसज्जित हो जाएंगी । कहीं भी पटरियों व स्टेशन पर गंदगी नहीं मिलेगी । ( वर्तमान में सभी कोचों में यह व्यवस्था हो चुकी है )। लाखों बायोडाइजेस्टर शहरों वह गांवों में लगाए जा रहे हैं । अलग अलग तरह के बायोडाइजेस्टर एक परिवार से डाला जाता है जो कि सिर्फ एक ही बार डालना होता है ।

यह दुनिया की सबसे उन्नत तथा विकसित मल निष्पादन की तकनीकि है । सैप्टिक टैंक के मुकाबले यह बहुत अच्छी तकनीकी है जैसे कि कम जगह की जरुरत , बदबू नहीं आना , सभी जलवायु में काम करना तथा सब परिस्थितियों के अनुकूल होना । सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी कभी सफाई करने की जरुरत नहीं होती । यह टेक्नोलोजी 75 इंडस्ट्री को लाइसेंस द्वारा पूरे देश में फैलाई जा रही है । डॉ . सिंह को उनके कार्य के लिए समय समय पर अनेक पुरुष्कार मिले हैं । डॉ . लोकेन्द्र सिंह गीता के सिद्धांतो को मानते हैं । उनका कहना है कि हमें निस्वार्थ कर्म करना चाहिए, सफलता स्वत: ही आपको प्राप्त हो जाएगी तथा इस प्रक्रिया में आपका चित्त शान्त रहेगा व यश भी मिलेगा । उन्हें अपनी जाति पर गर्व है । जाटों की पहचान है मेहनत ,सच्चाई , सीधापन , बुद्धिमत्ता व भोलापन जो कि हमेशा बनाए रखनी है । नए जमाने के अनुसार बदलाव को नकारा नहीं जा सकता परन्तु जो अच्छे गुण हमें विरासत में मिले हैं उसकी कीमत पर नहीं । जाटों की जड़ इतनी मजबूत हैं कि हमारी अगली पीढ़ी हरेक क्षेत्र में अपना वर्चस्व बना सकती है । परन्तु हमें अपने असली गुणों को तवज्जों ना देकर नकल करने लगेंगे तो कहीं के नहीं रहेंगे । उनकी इच्छा है कि समाज एक जुट रहे, सम्पन्न हो तथा समाज विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम करें ।

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External links

References

डॉ लोकेन्द्र सिंह लेख संदर्भ ( जाट वार्षिक स्मारिका वर्ष 20017, महाराणा कीर्ति सिंह जाट सभा छात्रावास समिति ग्वालियर , कार्यालय हुजरात रोड लश्कर ग्वालियर म. प्र .474001, पृष्ठ क्रमांक 78 - 79 )

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