Maandi

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Mandi (मांडी), is a village in Panipat district in Haryana.

Jat Gotras

History

पानीपत जिले का मांडी गाँव धनाना से आये घनगस गोत्र के जाटों ने लगभग 11-12 वी शताब्दी के आसपास बसाया था । पहले गाँव को इसराना के पास जहाँ आजकल तहसील है वहाँ बसाया था, पर वहां का पानी खराब होने के कारण गाँव वर्तमान स्थान पर बसा । Report on the Revision of Settlement of the Panipat Tahsil and Karnal Parganah of the Karnal District के लेखक Denzil Charles Jelf Ibbetson के अनुसार मांडी गाँव इलाके में बहुत बड़ा तपा हुवा गाँव था ।

जब अंग्रेज इस इलाके पर काबिज हुए और उन्होंने कानून बनाने शुरू किए तो उन्होंने कानून में customary law आम चलन के रीति रिवाज को शामिल करते हुए लिखा कि जब गांव बसा तब से मांडी गांव के जाटों में जमीन का बटवारा चुंडाबाट आधार पर किया जाता है अंग्रेजो ने भी जब नई लैंड स्टेलमेंट लागू की तो चुंडाबाट (per head) को आधार बनाया। गांव में कई जमीन के मुकदमों का फैसला भी अदालतों ने इसी रिवाज को आधार मान कर किया।

Gallant Haryana, The First and Crucial Battlefield of AD 1857 नामक किताब के लेखक C.B. Singh Sheoran ने किताब में लिखा है कि 1857 के प्रथम स्वत्रंत्रता सग्राम में इस इलाके में सबसे पहले मांडी गाँव ने व 15 अन्य पडोसी गावों ने अंग्रजो को लगान देने से इंकार कर दिया और लड़ाई में भाग लेने रोहतक चले गए । वहां से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने दिल्ली गए और २२ दिन बाद वापिस आये ।

1857 की क्रांति में पानीपत के मांडी गाँव ने निभाई प्रमुख भूमिका ।
अंग्रेजो को नहीं दिया था लगान ।
इससे पहले बेगम समरू की सेना को दी थी कड़ी टक्कर ।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में हुई आजादी की लड़ाई में पानीपत के अनेक गाँवों ने प्रमुखता से भाग लिया था । मांडी गाँव के लोगो ने अंग्रेजी सरकार को लगान देने से इंकार कर दिया । गाँव के नंबरदारों ने कोई लगान किसानों से इक्कठा नहीं किया । पानीपत इलाके में मांडी और नोल्था के लोगो ने सबसे पहले अंग्रेजो के विरुद्ध लड़ाई की अलख जगाई । उल्लेखनीय है कि दोनो गाँव इस क्षेत्र के प्रमुख और बड़े गाँव है । प्राचीन काल से ही दोनों गाँवों ने अपने आस पास के गाँवों को मिलाकर गाँवों के समूह बनाए हुए थे, जिसे आज भी मांडी बारहा और नोल्था बारहा के नाम से जाना जाता है । यह चौबीस गांवों का संगठन मांडी नौल्था चौबीसी कहलाता है । इसी चौबीसी के गाँव अंग्रेजो के विरोध में इक्कठे हो गए ।

Gallant Haryana ,The First and Crucial Battlefield of AD 1857 नामक किताब के लेखक C.B. Singh Sheoran ने किताब में लिखा है के 1857 के प्रथम स्वत्रंत्रता सग्राम में इस इलाके में सबसे पहले 16 बड़े गाँवों ने अंग्रेजों को लगान देने से इंकार कर दिया । जिनमे मांडी, नौल्था, जोंधन कला, जोंधन खुर्द, ब्राह्मण माजरा, भाऊपुर, कारद, परढाना, इसराना, सिरसली (बेचिरग), डिडवाड़ी, भादड़, पलड़ी, बांध, बलाना और बिजावा गाँव प्रमुख थे । इसके बाद भालसी और कुराना इलाके के 19 गाँवों ने भी अंग्रेजों को लगान देने से इंकार कर दिया और ग्रामीण 1857 की लड़ाई में कूद गए । इलाके में अंग्रेजी सरकार के कई भवनों में आग लगा दी और लड़ाई में भाग लेने रोहतक चले गए । वहाँ से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने दिल्ली गए और 22 दिन बाद वापिस आये । Report on the Revision of Settlement of the Panipat Tahsil and Karnal Parganah of the Karnal District के लेखक Denzil Charles Jelf Ibbetson के अनुसार मांडी गाँव इलाके में बहुत बड़ा तपा था जिसे घनघस गोत्र के जाटों ने बसाया था ।

इसी किताब के अनुसार नौल्था गाँव इलाके का प्रमुख गाँव था जिसे जागलान गोत्र के जाटों ने बसाया था । इससे पहले भी जब 1798 में बेगम समरू ने इस इलाके के किसानों से जबरदस्ती भूमि लगान वसूलना चाहा तो इस चौबीसी के लोगो ने उसे लगान देने से मना कर दिया और उसके सैनिकों को मार भगाया ।

इसके बाद 1799 जनरल पैरन को ये इलाका दिया गया । उससे भी मांडी- नौल्था चौबीसी के ग्रामीणों से लगन वसूलने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा । हरियाणा जिला गजेटियर में लिखा है कि नौल्था और आसपास के कई बड़े गाँवों से जनरल पैरन के लोग लगान नहीं वसूल पाए । रणदीप घनगस बताते है कि गाँव मांडी और नौल्था बड़े गाँव है और तपा गाँव है यहां के ग्रामीणों ने सदैव बहादुरी और देश भक्ति का परिचय दिया है ।

दोनो गाँवों ने मिल कर 24 गाँवों का एक संगठन बनाया हुआ था । जो अब भी चौबीसी पंचायत के नाम से जाना जाता है । जो मुगलों खिलाफ भी लड़ा फिर सिंधिया की और से लगान वसूलने वाले जनरल पैरन की सेना से मोर्चा लिया और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में यहां के किसानों ने सबसे पहले अंग्रेजों को किसी भी तरह का लगान नहीं देने का फैसला किया । अंग्रेजो के कैंप में आग लगा दी और गाँव में अंग्रेजो की और से आने वाले कर्मचारियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया ।

Notable Persons

  • स्वर्गीय चौधरी रामकिशन घनगस - मांडी गावं के प्रसिद्ध समाजसेवी स्वर्गीय चौधरी रामकिशन घनगस भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे है, वे जाट महासभा हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रहे थे ।
  • चौधरी रणदीप घनगस - हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया कॉर्डिनेटर है । चंडीगढ़ में एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र में संपादक के पद पर कार्यरत रहे है । भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) के प्रदेश अध्यक्ष रहे है । इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय सचिव रहे है । आल इण्डिया न्यूज़पेपर एडिटर कांफ्रेंस, नई दिल्ली के सदस्य रहे है एवं स्टेट मीडिया एक्रिडेशन कमेटी चंडीगढ़ हरियाणा सरकार के सदस्य भी रहे है ।
  • डा. संदीप घनगस - गाँव मांडी के MBBS करने वाले पहले डाक्टर है आज कल पानीपत में बच्चो के डाक्टर है ।
  • चौधरी राजबीर घनगस एडवोकेट - हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय में सहायक महाअधिवक्ता के पद पर कार्यरत है ।
  • चौधरी प्रदीप कुमार घनगस - हरियाणा पर्यटन विभाग में सेवारत है।
  • चौधरी प्रदीप कुमार घनगस के सपुत्र गौरव घनगस, करनाल में बैंक मैनेजर और एडवोकेट सुमित घनगस पानीपत में वकील है ।

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References


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