Mera Anubhaw Part-2/Jatipratha-Chhuachoot
रचनाकार: स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रसिद्ध भजनोपदेशक स्व0 श्री धर्मपाल सिंह भालोठिया
ए-66 भान नगर, अजमेर रोड़, जयपुर-302021, 946038954629. भारत के नौजवान
- भजन-29
भारत के नौजवान, अपने कर्तव्य को पहचान।
- भलाई आपकी।। टेक ।।
करते अपनी याद पुरानी, भारत की मशहूर कहानी।
बल में और होशियारी में, पड़ी थी दुनिया सारी में।
- दुहाई आपकी ।। 1 ।।
स्वर्ग निशानी था देश हमारा, आसमान में चमका सितारा।
रोज सलाम करते थे, मुल्क तमाम करते थे।
- बड़ाई आपकी ।। 2 ।।
जब से आई फूट बीमारी, तभी से बिगड़ी दशा तुम्हारी।
दुर्योधन ने जुल्म ढाया, बाद में कुछ जयचन्द लाया।।
- तबाही आपकी ।। 3 ।।
रही जो छुआछूत देश में, बजेगा घर-घर जूत देश में।
परदाफाश कर देगी, देश का नाश कर देगी।
- लड़ाई आपकी ।। 4 ।।
अब भी वक्त है होश संभालो, पिछडे़ हुओं को गले लगालो।
पिछली माफ हो जागी, अगली साफ हो जागी।
- बुराई आपकी ।। 5 ।।
यदि किया नहीं ख्याल आपने, परहेज को दिया टाल आपने।
कौन फिर डॉक्टर आवे, नहीं कोई वैद्य बतलावे।
- दवाई आपकी ।। 6 ।।
करलो आज प्रेम आपस में, दुनिया होगी आपके बस में।
जहाँ धर्मपाल सिंह जावे, घूमकर दुनिया में गावे।
- कविताई आपकी ।। 7 ।।
30. एजी एजी सुनना, ध्यान से बात हमारी
- भजन-30 छुआछूत का खंडन
तर्ज - सांगीत - एजी एजी जगत में आयेगा तूफान ........
एजी एजी सुनना, ध्यान से बात हमारी।
भारत वासी दूर करो, ये छुआछूत बीमारी ।। टेक ।।
सृष्टिकर्ता ने अपनी, रचना ये रचाई देखो।
जन्म से मनुष्य की जात, एक ही बनाई दखो।
कोई भी निशानी नहीं, न्यारी लगाई देखो।
फिर भी क्यों न आपके, समझ में बात आई देखो।
भेद है तो आप करके, सभा में विचार देखो।
कौन ब्राह्मण बनिया है, कौन है सुनार देखो।
कौन जाट राजपूत, कौन है चमार देखो।
कौन धाणक भंगी नायक, कौन है कुम्हार देखो।
- है कौन निशानी न्यारी ।। 1 ।।
देख लिया दुनिया में सब, एक है इन्सान देखो।
पाँच कर्म इन्द्री और पाँच होती ज्ञान देखो।
अंग पर निशानी जितनी, होती हैं समान देखो।
नाप और रंग में कुछ, भेद है श्रीमान देखो।
किसी के भी घर में पैदा, होती है संतान देखो।
जन्म से जाति का करते, झूठा अभिमान देखो।
कर्म से होती है, ऊँच नीच की पहचान देखो।
मनुष्य का मनुष्य क्यों फिर, करता है अपमान देखो।
- अकल गई क्यों मारी ।। 2 ।।
बनना चाहो देश के गर, लाडले सपूत आज।
घर-घर से मिटानी पडे़गी, छुआछूत आज।।
देश से भगाओ, साम्प्रदायिकता का भूत आज।
क्योंकि इससे फूट रोग, बना है मजबूत आज।।
इसी कारण बजने लगा, घर-घर में जूत आज।
जितने हम बरबाद हुए, इसी की करतूत आज।।
जब तक ये बीमारी रहे, बैठे नहीं सूत आज।
पीछे तक के आज हमको, मिलते हैं सबूत आज।।
- होती रही ख्वारी ।। 3 ।।
भूलनी पड़ेगी हमको, पीछे वाली बात आज।
माननी होवेगी एक, मनुष्य की जात आज।
इससे अधिक और क्या, फिर होवेगा उत्पात आज।
कुत्तों से भी बुरा किया, मनुष्यों के साथ आज।
या तो अपने आप समझो, पूरा मजमून आज।
छुआछूत विरोधी, बन गया कानून आज।
जेल में खाओगे बैठे, सरकारी चून आज।
धर्मपाल सिंह का फिर, जलेगा खून आज।
- हालत देख तुम्हारी ।। 4 ।।
31. एजी एजी नहीं ये, बात समझ में आई
- भजन-31
तर्ज - सांगीत- एजी एजी जगत में आयेगा तूफान ........
एजी एजी नहीं ये, बात समझ में आई।
अलग अलग दुनिया में मनुष्य की, किसने जात बनाई।। टेक ।।
सृष्टिकर्ता ने अपनी, रचना ये रचाई देखो।
जन्म से मनुष्य की जाति, एक ही बनाई देखो।
न्यारी न्यारी जाति कहीं, लिखी नहीं पाई देखो।
गुण कर्मो से वर्ण चार, वेदों ने बताई देखो।
लेकिन आज मनुष्यों की लो, सुनाऊँ मैं बात यहाँ।
घर-घर में है जाति और मजहब का उत्पात यहाँ।
ज्यों केले के पात में है, पात-पात में पात यहाँ।
न्यूं मनुष्यों की जात में है, जात-जात में जात यहाँ।
- सुनो ध्यान से भाई ।। 1 ।।
ब्राह्मण बनिया जाट खाती, रैबारी सुनार कहीं।
अहीर गुर्जर राजपूत, दरजी और मणियार कहीं।
बाजगर डाकोत माली, सक्का और कहार कहीं।
लीलगर सिकलीगर तेली, धोबी और लुहार कहीं।
मोगिया मेरात पटवा, बादी बेलदार कहीं।
बावरिया बागरिया भाण्ड, बोरिया सुथार कहीं।
कानूनगो गडरिया जागा, बणजारा कुम्हार कहीं।
नायक और खटीक भंगी, धाणक और चमार कहीं।
- जात की पडे़ दुहाई ।। 2 ।।
गाडिया लुहार चीता, हेला आदिवासी कहीं।
कालबेलिया और मीणा, कंजर कोली सांसी कहीं।
मजहबी और मदारी मोची, कूचबन्द पासी कहीं।
डाबगर बिदाकिया और, खानगर मिरासी कहीं।
अहेरी ठठेरा रैगर, तीरगर बलाई कहीं।
रामदासिया साधसांतिया, चामठा नट राई कहीं।
खारोल जुलाहा कनबी, खांट कंगी नाई कहीं।
स्यामी मेर बोला भाट, जोगी और गुसाई कहीं।
- जन्म से बना कसाई ।। 3 ।।
बारगी बागरी जटिया, जाटव कुंजर गौड़ कहीं।
गवारिया गरासिया, कोरिया गोधी ओड़ कहीं।
वाल्मीकि गांछा मेहतर, ढोली बांसफोड़ कहीं।
तगा और मरहटा, सिख खत्री रवा रोड़ कहीं।
महाब्राह्मण घंचानी, मेहर मेघवाल कहीं।
मेव क्यामखानी घोसी, जाति के चाण्डाल कहीं।
सरभंगी नैरिया रावत, खटका सिंगीवाल कहीं।
पिंजारा लखारा रावल, बदेरा कलाल कहीं।
- मुसलमान ईसाई ।। 4 ।।
जब से हुआ मजहब और जाति का प्रचार यहाँ।
तब से भारतीयों की होने लगी, मिट्टी ख्वार यहाँ।
जाति और मजहबों की, हुई भरमार यहाँ।
आपस में हुआ ऊंच, नीच का व्यवहार यहाँ।
होने लगा छोटे और, बडे़ का सवाल देखो।
फूट की बीमारी ने यहाँ, डेरे लिए डाल देखो।
बुरे कर्म करे आखिर, ऊँचे घर का लाल देखो।
अच्छे कर्म करे लेकिन, जाति से चांडाल देखो।
- खुदी हजारों खाई ।। 5 ।।
लेकिन भारत वीरो ये है, वक्त की आवाज देखो।
इन्कलाब आ रहा है, भूमण्डल में आज देखो।
हमको भी बदलना होगा, अपना ये समाज देखो।
छोड़ने पडेंगे गन्दे, रीति व रिवाज देखो।
बडे़ होना चाहो बनके, छोटों के हिमाती देखो।
छोटों की सेवा करके, बनते हैं पंचाती देखो।
सेवा ही दुनिया में आज, सरदार बनाती देखो।
धर्मपाल सिंह एक सेवा, काम आती देखो।
- कर दिन रात भलाई ।। 6 ।।
32. भारत के वीरो, अदना अमीरो
- भजन-32
तर्ज -जादूगर सैंया, छोड़ो मोरी बैयां -----
भारत के वीरो, अदना अमीरो, छोड़ो छुआछूत।
- अब तो जाने दो।
सदियाँ बीती, हुई फजीती, मिलते हैं सबूत।
- अब तो जाने दो।। टेक ।।
भाई व बहना, मानो ये कहना, इसमें भला है आपका ।
ऊँच नीच का भेद मिटाकर,काम करो इंसाफ का,ना होगा कोई अछूत,
- अब तो जाने दो ।। 1 ।।
सेवा करते, विपदा भरते, काम किये क्या पाप के।
जगत पिता की सृष्टि में सब,बेटे हैं एक बाप के, जात पात का भूत,
- अब तो जाने दो ।। 2 ।।
तज दो ये भ्रान्ति, होवे सुख शान्ति, इसमें आपकी शान है।
अगर आप से नही़ं मानोगे,तो कानूनी ऐलान है, लगेंगे सिर में जूत,
- अब तो जाने दो ।। 3 ।।
जितने हो भारती, बनो परमार्थी, गाओ गीत सब प्यार के।
धर्मपालसिंह भालोठिया कहे,गुरू बनो संसार के, देश के बनो सपूत,
- अब तो जाने दो ।। 4 ।।