Mera Anubhaw Part-2/Nari Jagriti

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search
विषय सूची पर वापस जावें

रचनाकार: स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रसिद्ध भजनोपदेशक स्व0 श्री धर्मपाल सिंह भालोठिया

ए-66 भान नगर, अजमेर रोड़, जयपुर-302021, 9460389546

नारी जागृति...भजन क्रमांक:46-50

46. उठो अब देश की बहनों

भजन-46
== महिला जागृति ==

तर्ज - दया कर दान भक्ति का...........

उठो अब देश की बहनों, तुम्हें भी काम करना है।

अपने देश भारत को, स्वर्ग का धाम करना है।। टेक ।।


सुनो छोटी बड़ी बहना, इतना मान लो कहना।

पहन लो विद्या का गहना, यही इन्तजाम करना है।। 1 ।।

बनो दुर्गा भवानी तुम, बनो झाँसी की रानी तुम।

पढो उनकी कहानी तुम, वही प्रोग्राम करना है ।। 2 ।।

यदि पैदा करो संतान, योद्धा दानी और विद्वान।

अपनी कोख से हनुमान, भरत और राम करना है ।। 3 ।।

बनो श्री जनक दुलारी तुम, बनो दमयन्ती प्यारी तुम।

देवकी बन महतारी तुम, पैदा घनश्याम करना है ।। 4 ।।

बनी कृष्णा कुमारी तुम, कभी नहीं हिम्मत हारी तुम।

विदुषी बनके नारी तुम, जगत में नाम करना है ।। 5 ।।

लगादो घर घर में आवाज, बदलना होगा सकल समाज।

जेवर परदे का रिवाज, खतम तमाम करना है ।। 6 ।।

मिटादो आपस की तकरार, झुकेगा फिर सारा संसार।

घर-घर विद्या का प्रचार, सुबह और शाम करना है।। 7 ।।

कहे धर्मपाल सिंह आओ, देश की शान बन जाओ।

आम का आम बनाओ, गुठली का दाम करना है ।। 8 ।।

47. देश दीवानी, एक क्षत्राणी

भजन-47

देश दीवानी एक क्षत्राणी, हँस के यूँ बोली पियाजी।

केसरिया रंग में रंगवादो, मेरी ये चोली पियाजी ।। टेक ।।


जितनी आप समझते हमको, समझो मत भोली पियाजी।

वक्त के ऊपर पूरी उतरी, जिस दिन भी तोली पियाजी ।। 1 ।।

जिस दिन हम मैदान में आई, मिलकर हमजोली पियाजी।

आसमान को हिला दिया था, धरती भी डोली पियाजी ।। 2 ।।

देश के ऊपर दुश्मन चढके, आया दिन धोली पियाजी।

टैंक हवाई तोप के गोले, बरसा रहे गोली पियाजी ।। 3 ।।

चले फौज में भरती होके, टोली की टोली पियाजी।

लाहौर में जाकर के खून से, खेलेंगी होली पियाजी ।। 4 ।।

हथियारों की कमी पै ले लें, मूसल लठोली पियाजी।

पत्थर मार-मार सिर फोड़ें, भर-भर के झोली पियाजी ।। 5 ।।

भालोठिया का गाना सुनके, आँखें मैं खोली पियाजी।

भारत माँ की भेंट चढा दूँ ,जिन्दगी अनमोली पियाजी ।। 6 ।।

48. देश की बहनों, तुमने रखी

भजन-48

तर्ज - गाड़ी वाले मनै बैठ ले ..........


देश की बहनों, तुमने रखी, अपने देश की लाज।

आज तुम भूल गई क्या।। टेक ।।

जिस दिन तुम शिक्षित थी, अपने धर्म कर्म को जाने थी।

जगत गुरू इस आर्यवर्त को, सारी दुनिया माने थी।

तुम्हारे कारण दुनिया में था, चक्रवर्ती राज।

आज तुम भूल गई क्या ।। 1 ।।

सीता तारा दमयन्ती रही, दुख में पति के साथ में।

पाण्डवों की इज्जत रही थी, द्रोपदी के हाथ में।

सूट बूट और जेवर के लिए, नहीं होती नाराज।

आज तुम भूल गई क्या ।। 2 ।।

तुम्हीं मातृ-शक्ति थी, तुम देवी और भवानी थी।

गाँव गाँव में ईंटों की नहीं, शीतला सेढ़-मसानी थी।

औषधि से करवाती, रोग बीमारी का इलाज।

आज तुम भूल गई क्या ।। 3 ।।

घर में बन्द नहीं रहती थी, जो होती थी क्षत्राणी।

युद्धभूमि में साथ पति के, लड़ी अनेकों मरदानी।

सिंहनी की तरह फिरती, नहीं था परदे का रिवाज।

आज तुम भूल गई क्या ।। 4 ।।

वीर किशोरी रानी भरतपुर, दिल्ली जीत के आई थी।

दुर्गावती और महामाया, झाँसी की लक्ष्मीबाई थी।

दुश्मन दल पै टूट पड़ी थी, ज्यूँ चिड़ियों पर बाज।

आज तुम भूल गई क्या ।। 5 ।।

आज देश का हर एक व्यक्ति, अपना कर्तव्य भूल गया।

ब्लैक चोरी रिश्वतखोरी, अपस्वार्थ में टूल गया।

भालोठिया कहे तुम्हें बचाना, एक अरब का जहाज।

आज तुम भूल गई क्या ।। 6 ।।

49. हो जाता है, पतन गृहस्थ का

भजन -49
तर्ज - चौकलिया

हो जाता है पतन गृहस्थ का, योग्य सुशीला नार बिना।

योग्य सुशीला नार करे क्या, पढे लिखे भरतार बिना।। टेक ।।


जिस घर में हो नार सुशीला, वो घर स्वर्ग समान रहे।

संध्या हवन और शिशु शिक्षा का, उसको हर दम ज्ञान रहे।

कैसे हो उत्थान देश का , वो भी सारा ध्यान रहे ।

पति पत्नी का धर्म कौनसा, ये सारी पहचान रहे।

बाल आर्य नहीं बनेंगे, वैदिक रीति रिवाज बिना ।

योग्य सुशीला नार ........।। 1 ।।

वेद शास्त्र बतलाते हैं, ऊँचा दर्जा नारी का ।

पति करे सत्कार प्रेम से, अपनी प्राण पियारी का।

घर बर्तन और वस्त्र साफ हों, काम ना कोई बीमारी का।

बालक सारे खिले फूल से, आदर बंधी बुहारी का।

एक रोज खाली ना जाता, हवन की धुआँधार बिना।

योग्य सुशीला नार.........।। 2 ।।

राम लक्ष्मण और भरत शत्रुघ्न, ये माताओं ने जाये थे।

अंगद और हनुमान भीम, माताओं ने वीर बनाए थे।

समय समय पर नारियों ने ही, गिरते पति उठाये थे।

घोडे़ की चढ पीठ पे लड़ के, रण में हाथ दिखाये थे।

आज बनी देवी से लेडी, चले ना मोटर कार बिना।

योग्य सुशीला नार .........।। 3 ।।

उस नर का क्या जीना जग में, जिसकी नारी सठ भाई।

दिन के साढे आठ बजे तक, पड़ी रहे चौपट भाई।

सारे मोहल्ले के कुत्तों का, इसके घर पर ठठ भाई।

एक दम नंगी उठ कुत्तों पर, लगी बजावण लठ भाई।

एक रोज खाली ना जाता, पति के संग तकरार बिना।

योग्य सुशीला नार.........।। 4 ।।

दिन के साढे आठ बजे थे, जब वो उठी सोकर के।

फटी धोती का तहमद करके, बैठी चाकी झोकर के।

दस बज गये थे जब वो उठी, झूठा दूध बिलोकर के।

दो बज गये, रोवें बालक भूखे, दई ना रोटी पोकर के।

इसी नार हड़म्फा कद माने, रे लोगो डंडे की मार बिना।

योग्य सुशीला नार.........।। 5 ।।

दोनो पैर पसार दिये, चूल्हे पे दाल धर राखी थी।

हल्दी भूल गई, लूण घणा, जब कड़छी भर के चाखी थी ।

आटा बनाने लगी जब गेर दिए, मांही बाल और माखी थी।

शीश खुजाके ढे़रे झाड़ दिये, कुछ ना राखी बाकी थी।

कहे पति से के जीना सै, अब मेरे गले के हार बिना।

योग्य सुशीला नार......... ।। 6 ।।

मूढ़ पति कुछ काम करे ना, हरदम बना नवाब रहे।

सुलफा गाँजा भाँग धतूरा, मुँह के लगी शराब रहे।

आँखें ऊपर चढी रहें और चेहरा भी बेआब रहे।

घर में चूहे डंड पेलें, न्यूँ सारा काम खराब रहे।

कहे भीष्म यो गृहस्थ नरक, न्यूँ रहे वेदों के प्रचार बिना।

योग्य सुशीला नार .........।। 7 ।।

50. पतिव्रता नारी के लक्षण

।। भजन-50।। (पतिव्रता के लक्षण )
तर्ज : गंगाजी तेरे खेत में........

पतिव्रता की खाऽऽऽस मैं,दर्शाऊँ पहचान ।

पतिव्रता नाऽऽऽर की, हो पूजा घर घर मेंऽऽऽ ।। टेक ।।


पतिव्रता पति के संग, महल में निवास करे ।

पतिव्रता पति के संग, झोंपड़ी में वास करे ।

पतिव्रता पति के संग, फकीरी लिबास करे ।

पतिव्रता का जंग में भी, यदि प्राणनाथ चले ।

पतिव्रता फौज में हो, भरती उसके साथ चले ।

पतिव्रता का रण में, बिजली की भांति हाथ चले।

पतिव्रता करूँ पाऽऽऽस में, हो जिसको धर्म का ज्ञान ।

पतिव्रता नाऽऽऽर की ......... ।। 1 ।।

पतिव्रता प्रेम से, पति के सिर की पाग बने।

पतिव्रता कामी नर के, लिये काला नाग बने।

पतिव्रता अन्धेरे के, घर का चिराग बने ।

पतिव्रता जग में रोशन, पति का नाम करे।

पतिव्रता अपने घर को, स्वर्ग का धाम करे।

पतिव्रता सन्ध्या हवन,सुबह और शाम करे।

पतिव्रता के विश्वाऽऽऽस में ,पति और भगवान ।

पतिव्रता नाऽऽऽर की ......... ।। 2 ।।

पतिव्रता करती स्याणे, सेवड़े से बात नहीं।

पतिव्रता कभी देती,गठजोड़े की जात नहीं।

पतिव्रता कभी देती, पीर को सौगात नहीं।

पतिव्रता गंगा जमना ,पुष्कर में न्हावे नहीं।

पतिव्रता मुर्गा बकरा, देवी पर चढ़ावे नहीं।

पतिव्रता मैड़ी बाल ,बच्चों के कटवावे नहीं।

पतिव्रता का दाऽऽऽस मैं, जो होती बच्चों की शान ।

पतिव्रता नाऽऽऽर की ......... ।। 3 ।।

पतिव्रता सहनक कभी,चौराहे पर धरे नहीं।

पतिव्रता भूत और भूतणी से डरे नहीं।

पतिव्रता सच्ची सती, आत्महत्या करे नहीं।

पतिव्रता डोरी गंडा,झाड़ा लगवावे नहीं।

पतिव्रता कभी कहीं,बूझा करवावे नहीं।

पतिव्रता अपना हाथ, डाकोत को दिखावे नहीं।

पतिव्रता का इतिहाऽऽऽस मैं,भालोठिया करूँ बयान ।

पतिव्रता नाऽऽऽर की ......... ।। 4 ।।

विषय सूची पर वापस जावें