Misraka
Author: Laxman Burdak IFS (R) |
Misraka (मिश्रक) is name of a Forest mentioned by Panini as Miśrakāvana (मिश्रकावन) (Sitapur). [1] Misraka (मिश्रक) is also name of a Tirtha mentioned in Mahabharata (III.81.76).
Variants
Mention by Panini
Mishrakavana (मिश्रकावन) is name of a Forest mentioned by Panini in Ashtadhyayi under Kotaradi (कोटरादि) (6.3.117) group. [2]
Mishrakavana (मिश्रकावण) is mentioned by Panini in Ashtadhyayi. [3]
History
In Mahabharata
Misraka (मिश्रक) (Tirtha) in Mahabharata (III.81.76)
Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 81 mentions a tirtha named Misraka (मिश्रक) in verse (III.81.76) [4]....One should next proceed, O virtuous one, to that excellent tirtha called Misraka (मिश्रक) (3.81.76). There, O tiger among kings, it hath been heard by us that the high-souled Vyasa, for the sake of the Brahmanas, hath mixed all the tirthas. He, therefore, that bathes in Misraka really bathes in all the tirtha.
मिसरिख, जिला सीतापुर, उ.प्र.
मिसरिख (AS, p.747): जिला सीतापुर, उ.प्र. में वर्तमान नीमसार से 6 मील दूर प्राचीन तीर्थ नैमिषारण्य है जिसे पौराणिक किवदंती में महर्षि दधीचि की बलिदान स्थली माना जाता है. महाभारत वनपर्व 83,91 में इसका उल्लेख है--'ततॊ गच्छेत राजेन्द्र मिश्रकं तीर्थम उत्तमम, तत्र तीर्थानि राजेन्द्र मिश्रितानि महात्मना'. इसके नामकरण का कारण (इस श्लोक के अनुसार) यहां सभी तीर्थों का एकत्र सम्मिश्रण है. मिसरिख वास्तव में नैमिषारण्य क्षेत्र ही का एक भाग है जहां सूतजी ने शौनक आदि ऋषिश्वरों को महाभारत तथा पुराणों की कथा सुनाई थी.
External links
References
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.41, 511
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.511
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.41
- ↑ ततॊ गच्छेत राजेन्द्र मिश्रकं तीर्थम उत्तमम, तत्र तीर्थानि राजेन्द्र मिश्रितानि महात्मना (III.81.76)