Naritirtha
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Naritirtha (नारीतीर्थ) is a common name for the five tīrthas, i.e. Agastyatirtha, Saubhadratirtha, Paulomatirtha, Karandhamatirtha and Bharadvajatirtha. [1]
Variants
- Nari Tirtha (नारी तीर्थ) (AS, p.494)
- Nārītīrtha (नारीतीर्थ)
History
Once Arjuna bathed in Bharadvājatīrtha. The Apsarā women called Vargās were living in the five tīrthas in the form of crocodiles as the result of a curse. With the arrival of Arjuna there, the crocodiles resumed their previous forms as Apsarā women and returned to Devaloka.[2]
नारी तीर्थ
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...नारी तीर्थ (AS, p.494) का वर्णन महाभारत में हुआ है। इस स्थान पर एक ब्राह्मण के शाप से पाँच अप्सराएँ जलजंतु हो गई थीं। कुंती पुत्र अर्जुन ने इन अप्सराओं का शाप से उद्धार किया था। 'तानिसर्वाणि तीर्थानि तत: प्रभृति चैव ह। नारी तीर्थानि नाम्नेह ख्याति यास्यन्ति सर्वश:'महाभारत, आदिपर्व 216, 11. उपर्युक्त श्लोक में जिन तीर्थों का निर्देश है, वे ये हैं- अगस्त्य, सौभद्र, पौलोम, कारंधम, भारद्वाज, इनका उल्लेख महाभारत, आदिपर्व 215, 3-4 में भी है- 'अगस्त्यतीर्थ सौभद्रं पोलोमं च सुपावनं कारंधमं प्रसन्न चह् यमेधफलं च तत्। भारद्वाजस्य तीर्थ तु पाप प्रशमनं महत्, एतानि पंचतीर्थानि ददर्श कुरुसत्तम:'।
ये पांचों नारी तीर्थ दक्षिण समुद्र तट पर स्थित थे- 'दक्षिणे सागरानूपे पंचतीर्थानि संति वै पुण्यानि रमणीयानि तानि गच्छत माचिरम्' महाभारत, आदिपर्व, 216, 217. अर्जुन ने इन तीर्थों की यात्रा की थी। वनपर्व 118, 4 में भी द्रविड़ देश में नारीतीर्थ का उल्लेख है- 'ततो विपाप्मा द्रविडेषु राजन् समुद्रमासाद्य च लोकपुण्यम्, अगस्त्यतीर्थ च महा पवित्रं नारीतीर्थान्यथ वीरो ददर्श।' आदिपर्व 215 में वर्णित कथा के अनुसार इन तीर्थों का नाम पांच शाप ग्रस्त अप्सराओं से संबंधित था, जिन्हें अर्जुन ने शाप मुक्त किया था।