Pokhar Ram Benda
Author: Laxman Burdak, IFS (R) |
Chaudhari Pokhar Ram (Benda), from Badnu, Nokha Bikaner, Bikaner, was a Social worker, Donor and Railway contractor in Bikaner, who donated money for the construction of Saraswati Mandir Hall in Sangaria.[1]
जाट जन सेवक
रियासती भारत के जाट जन सेवक (1949) पुस्तक में ठाकुर देशराज द्वारा चौधरी पोखरराम बेन्दा का विवरण पृष्ठ 130-131 पर प्रकाशित किया है। ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है .... चौधरी पोखरराम जी - [पृ.130]: किसी दिन राजस्थानी जाटों में दो घराने दान देने में बड़े प्रसिद्ध थे। एक चौधरी लादूराम जी रानीगंज खंडेला और दूसरे चौधरी पोखरराम जी बिकानेर निवासी बीकानेर। आप बेन्दा गोत्र के जाट हैं। आपके पिता चौधरी गांव बदनू के रहने वाले हैं। बचपन में आपने मामूली शिक्षा ग्रहण की।
अपने बाहुबल से आप ने काफी धन कमाया और अपनी इज्जत को ऊंचा किया। उन्होंने सरकारी कामों के ठेके लेकर अपने शिल्प निपुणता का परिचय दिया और फिर उन्होंने बीकानेर में एक मिल का आयोजन किया।
साहसी ही लोग जिस प्रकार धन कमाते हैं उसी प्रकार वे धन को लगा देते हैं। साहस के साथ किए हुए धंधे में जिस प्रकार अंधाधुंध मुनाफा होता है उसी प्रकार घाटा भी हो जाता है। यही आपके अपार धन का हुआ।
अंधे के धक्के की भांति आपको घाटा का धक्का लगा। आपने संगरिया जाट स्कूल की सदा पूर्ण सहायता की
[पृ.131]:आपके छोटे भाई चौधरी पूरणसिंह जी हैं। वह भी एक अच्छे व्यवसाई हैं किंतु घाटे के चक्कर में वे भी रहे। दोनों भाइयों ने जाट इतिहास के छपाने में पूर्ण और प्रसन्नतापूर्वक सहायता दी। बीकानेर शहर में आप की अच्छी जायदाद है।
आपका कौमी प्रेम का परिचय इससे मिलता है कि आपने अपनी दुकानें तुड़वाकर जाट धर्मशाला बनवा दी।
जीवन परिचय
हरीशचंद्र नैण से संबंध
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है...चौधरी रामूरामजी नैण के दो पुत्र हुये हिमताराम और हरीश चंद्र। हरीशचंद्र नैण के के तीन पुत्र हुये। सबसे बड़े हरदेव थे जो बीकानेर के श्रीसंपन्न पौखरराम जी के भाई पूरणराम जी की बेटी से ब्याहे थे। हरदेव का सन 1933 में अकस्मात निधन हो गया।
ठाकुर देशराज[4] ने लिखा है... कुछ दुखद घटनाएँ - पोखर राम, पूरन राम ठेकेदार अपने समय के समस्त बिकानेरी जाटों में प्रथम श्रेणी के प्रसिद्ध धनाढ्य-जन थे। पूर्व संस्कारों के कारण ही चौधरी हरीशचंद्र जी के संबंधी बन गए थे। चौधरी हरीशचंद्र जी इस संबंध के पक्ष में नहीं थे परंतु कुछ प्रमुख लोगों के बीच में पड़ने से उनके बड़े लड़के हरिदेव का संबंध पूरणराम की बेटी से करा दिया। किन्तु जैसी कि चौधरी हरीशचंद्र जी को आशंका थी वैसी ही निकली। पोखर राम जी के घर में चौधरी हरीशचंद्र जी को बराबरी का सम्मान प्राप्त ही नहीं हुआ।
[प.314] किन्तु हरिदेव को भी वह सम्मान नहीं मिला जो दामादों को हुआ करता है। चौधरी हरीशचंद्र जी ने डायरी में लिखा है – “पोखर राम जी को अपने धन पर अभिमान है तो मुझे अपने सेवा, त्याग, और उज्ज्वल मन पर अभिमान है।“ यह संबंध 1928 में हुआ था और 1933 में हरिदेव जी का आकस्मिक निधन हो गया।
External links
Gallery
-
Jat Jan Sewak, 1949, p.130
-
Jat Jan Sewak, 1949, p.131
References
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.130-131
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.130-131
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.307
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.313-314
Back to Jat Jan Sewak