Pondidalha

From Jatland Wiki
Author: Laxman Burdak IFS (R)
Map of Janjgir-Champa district
Bilaspur-Masturi-Banari-Kotgarh Location Map
Dalha Hill Akaltara Janjgir-Champa

Pondidalha (पोंडी दलहा) or Dalhapondi (दलहा-पोंडी) is a village in Akaltara tahsil in Janjgir-Champa district in Chhattisgarh. It is known for ancient temples of Nageshvara, Vishveshvari, Nageshvari, Ardhanarishvara, Nag-Nagin, Shri Krishna etc.

Variants

Jat Gotras Namesake

Location

Location of Pondi Dalha Akaltara

Pondi Dalha is a small Village/hamlet in Akaltara Tehsil in Janjgir-champa District of Chattisgarh State, India. It comes under Pondidalha Panchayath. It is located 52 KM towards west from District head quarters Janjgir, 5 KM from Akaltari, 140 KM from State capital Raipur. Pondi Dalha Pin code is 495552 and postal head office is Akaltara. Akaltari ( 3 KM ) , Katghari ( 4 KM ) , Sankar ( 5 KM ) , Farhada ( 5 KM ) , Khatola ( 5 KM ) are the nearby Villages to Pondi Dalha. Pondi Dalha is surrounded by Masturi Tehsil towards west , Baloda Tehsil towards East , Pamgarh Tehsil towards South , Bilaspur Tehsil towards west. This Place is in the border of the Janjgir-champa District and Bilaspur District. Bilaspur District Masturi is west towards this place.[1]

Dalha Hill

Dalha Pahad can be found at the highest point in Janjgir Chama district. It’s a wonderful view to see from the highest point. The sunrise and sunset here are the best things about this spot. Once you’re here, it will be difficult to leave.[2]

Dalha Hill trekking: Dalha Hill located in the Janjgir-Champa district of Chhattisgarh, stands as a beacon for trekking enthusiasts, offering an adventurous climb to its summit at around 750 meters high. The trek, spanning approximately 4 kilometers, is a captivating journey that attracts nature lovers and adventure seekers alike. Starting at the base, easily accessible from nearby towns and villages, with Janjgir being the closest major town, trekkers can arrange local transportation to reach the starting point. The initial section of the trek winds through lush greenery and small streams, providing a gentle introduction to the terrain. This part of the trail allows trekkers to acclimatize to the surroundings while enjoying the rich flora and fauna. However, as you progress, the path becomes more challenging, with a steeper incline and rocky sections requiring careful navigation and the occasional use of hands for support. The trail is entirely off-road, with no constructed stairs, adding to the rugged appeal of the journey. [3]

One of the highlights of Dalha Pahad is the annual festival organized during Nagapanchami, attracting numerous pilgrims and visitors. At the summit is a small Shivling and Kund, the focal point of worship on this auspicious day.[4]

दलहा पहाड़ (Dalha Hill)

दलहा पहाड़ जांजगीर चांपा जिले अकलतरा तहसील में दलहापोंडी नामक गांव में स्थित है। जांजगीर चांपा से दलहा पहाड़ की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है। अकलतरा के पास स्थित दलहा पहाड़ अपनी प्राकृतिक खूबसूरती तथा धार्मिक चमत्कारों के लिए जाना जाता है। यह एक मनोरंजन स्थल है जहां आपको शांत वातावरण घने जंगल एवं कल-कल करते झरने तथा नदियां इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं।

इस पहाड़ से बहुत सारी धार्मिक मान्यताएं जुडी हैं। पहाड़ी के ऊपर बहुत से प्राचीन मंदिर स्थित है जिसकी पूजा पाठ अर्चना की जाती हैं। माना जाता है कि दलहा बाबा आज भी इस पहाड़ में विराजमान हैं। पहाड़ के ऊपर दलहा बाबा का निवास स्थान हुआ करता था। जो बहुत ही प्राचीन था, बाबा द्वारा पहाड़ के ऊपर स्थित मंदिरों की पूजा अर्चना तथा स्थानीय लोगों को उपदेश दिए जाते थे। बाबा इस पहाड़ी के ऊपर तपस्या करते थे जिसके कारण इस पहाड़ का नाम दलहा पहाड़ पड़ा। यहाँ पहले 10 कुंड थे, ऐसा स्थानीय लोगों का मानना है, जिनमें से अभी भी यहाँ 8 कुंड विद्यमान हैं। लोगों का कहना हैं कि यहाँ पहले 2 तालाब हुआ करते थे. जिसमे से वर्तमान समय में लोगों को एक ही दिखाई देता है। पहाड़ की ऊंचाई से चढ़कर देखने पर घने हरे-भरे पेड़ पौधे आपके मन को सुकून तथा शांति का अनुभव कराते हैं। ऐसा मनोरम दृश्य दिखता है मानो आप स्वर्ग में आ गए हैं।

दलहा पहाड़ की ऊँचाई लगभग 750 मीटर है। इस पर चढ़ने के लिए लम्बी तथा कई जगहों पर खड़ी चढ़ाई है। थोड़ी दूर चढ़ाई करने के पश्चात लगभग 4 किमी की सीढ़ी की चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी तब जाकर इसके मनोरम दृश्य का लुत्फ़ उठाने को मिलेगा।

दलहा पहाड़ मंदिर: माना जाता है कि पहाड़ी के ऊपर स्थित बहुत से प्राचीन मंदिर रामायण तथा महाभारत काल के समय के हैं। जिसके कारण बहुत से श्रद्धालु भक्त एवं पर्यटक यहाँ की यात्रा करने के लिए आते हैं। दलहा पहाड़ के ऊपर बहुत से प्राचीन मंदिर देखने को मिलते हैं यथा - नागेश्वर मंदिर, विश्वेश्वरी मंदिर, नागेश्वरी देवी मंदिर, अर्ध नारीश्वर मंदिर, नाग–नागिन मंदिर, श्री कृष्ण मंदिर, श्री सिद्ध मुनि आश्रम आदि। यहाँ 2 कुंड भी हैं : सूर्य कुंड व पवन कुंड।

नागपंचमी की विशेष मान्यता: नागपंचमी में है दलहा पहाड़ की विशेष मान्यता है। मान्यता है कि यहाँ स्थित कुंडों के जलपान से लोगों को अनेक प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है तथा लोग स्वस्थ तथा हष्टपुष्ट रहते हैं। इसके जल की मान्यता विशेष रूप से नागपंचमी में रहती है। इसी कारण नागपंचमी में यहां अत्यंत भीड़ देखने को मिलती है। यहां साल में दो बार विशेष रूप से मेले देखने को मिलते हैं: 1. महाशिवरात्रि के समय और 2. नागपंचमी के समय ।

रहस्यमई गुफा: इस जगह के ऊपरी हिस्से में एक रहस्यमई गुफा है भी हैं। जिसके दूसरे छोर तक कोई नहीं पहुँच पाया है. पहाड़ पर चतुर्भुज तालाब है. ये पहाड़ एडवेंचर और रहस्यों से भरपूर हैं.

References - 1. cgfacts.in/ dalha-pahad

2. Dainik Bhaskar Jaipur, 10.08.2024

3. https://cgcitytour.com/dalha-pahad-chhattisgarh/


दलहा पहाड़ प्राकृतिक सुंदरता और रमणीय वातावरण से सराबोर एक धार्मिक और पुरातात्विक स्थल है। दलहा पहाड़ ग्राम - कोसमांडा और दल्हा पौड़ी ग्राम से लगा हुआ हैं। जिनका तहसील अकलतरा जिला जांजगीर चांपा हैं। जहाँ से इनकी दुरी 45 किलोमीटर है जो करीब करीब 750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहां से प्राकृतिक नजारा अनुपम होती है।[5]

बाबा गुरुघासी दास जी ने दल्हापोड़ी में अपना अंतिम उपदेश दिया था। जिसके कारण यह स्थान और भी पवित्र हो जाता हैं। इस क्षेत्र के आसपास 10 तालाब हैं। 2 तालाब पहाड़ के ऊपर में स्थित हैं। किन्तु 1 तालाब दिखाई नहीं देता। यहाँ बहुत ही पवित्र मंदिरों की स्थापना की गई हैं। जिनमे से एक सूर्य मंदिर हैं। जिनके आगे तालाब (जल कुंड) स्थित हैं। इनके अलावा मुनि आश्रम, श्री कृष्णा मंदिर, श्री अर्धनारेश्वर मंदिर, और सबसे प्रसिद्ध मंदिर नाग-नागिन मंदिर हैं। जहाँ प्रति वर्ष नागपंचमी के अवसर पर तीन दिनों का मेला लगता हैं। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन यहाँ भक्तों का ताँता लगा हुआ होता हैं। इस पहाड़ की निर्माण ज्वालामुखी से हुई हैं। पहाड़ को देखने से अनुमान लगाया जा सकता हैं की इसमें जो पत्थर निकला हुआ हैं वो चूना पत्थर से बना हुआ हैं। दल्हापोड़ी ग्राम को औषधि ग्राम भी कहा जाता हैं।[6]

History

Notable persons

External links

Gallery

References


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