Puran Ram Godara
ये है जगत मामा, जिनका नाम शायद आपने भी सुना होगा । आज दुनिया जहाँ पल-पल पैसे के पीछे दोड रही है, वहीँ जगत मामा हर पल पैसे को पानी की तरह बहा रहे है । उन्हें पैसा बाँटने की धुन सी है । सिर पर दुधिया रंग का साफा, खाकी रंग में फटी सी धोती, खाक में नोटों से भरा थेला दबाये जगतमामा जब लाठी के सहारे दौड़ते से चलते है तो किसी गरीब से कम नही लगते, लेकिन दिल के वे बहुत अमीर व प्यार के सागर से भरे है । चेहरे पर पड़ी झुर्रिया व सफ़ेद बाल उनके बुढ़ापे की कहानी कहते है लेकिन मामा जिस स्कूल में दाखिल हो जाते है, उसकी मानो काया ही पलट जाती है । 85 वर्षीय जगत मामा जायल (जिला- नागौर) के पूर्णराम Godara है ।
जगत मामा की दिनचर्या अलसुबह शुरू होती है और देर शाम जहाँ कहीं आसरा मिल जाये वहीँ रुक जाती है । मामा अचानक किसी स्कूल में जा पहुँचते है और बच्चों के बीच ऐसे चेहरे पहचानने की कोशिश करते है जो आगे जाकर कुछ बन सके, फिर उन्हें अपनी मर्जी से नकद इनाम देते है । पिछले 64 साल में मामा बच्चो को 100, 500, 1000 के कड़क नोटों के रूप में तकरीबन ३ करोड़ रुपये बाँट चुके है । कभी-कभी स्कूली खेल कूद प्रतियोगिता में हलवा पूरी भी बना देते है । प्रवेश फीस से लेकर किताबे, स्टेशनरी, बैग व छात्रवृति तक की व्यवस्था कर मामा अब तक हजारों लड़को को स्कूल से जोड़ चुके है । गाँव-गाँव स्कूलों में फिरते रहने के कारण मामा ने शादी भी नहीं की । अपनी 300 बीघा जमीन भी मामा ने गाँव की स्कूल, ट्रस्ट व गौशाला को दान दे दी । परन्तु उनकी दानवीरता का एक पेंच यह भी है की वे लड़कियों को पैसे नहीं देते है, लड़कों में भी केवल उन्हीं को देते है जो उनकी नजर में धाकड़ हो । बच्चों में निस्वार्थ प्यार बाँटने वाला यह शख्स हर किसी छोटे-बड़े को 'भानिया' कहता है और लोग इन्हें बच्चे से लेकर बूढ़े तक जगतमामा ही कहते हैं ।
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