Ramaram

From Jatland Wiki
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Map of Sukma District

Ramaram (रामाराम) is a village in Konta tahsil in Sukma district of Chhattisgarh. It is located on Ram Van Gaman Path.

Location

सुकमा जिला मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव है। रामाराम मे चिटमिटीन अम्मा देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है। इस क्षेत्र के लोगो मे देवी के प्रति गहरी आस्था होने के कारण रामाराम सुकमा का एक बेहद मह्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। लोगो के मध्य यह मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के दौरान दक्षिण की तरफ गमन के दौरान रामाराम पहुँचे थे, वर्तमान में यहाँ मंदिर है। मान्यता है कि श्री राम ने भू-देवी की आराधना यहां की थी।[1]

रामाराम में है श्रीराम की निशानी

छत्तीसगढ़ के रामाराम गांव में है श्रीराम की निशानी, की थी भू-देवी की आराधना - श्रीराम संस्कृतिक शोध संस्थान न्यास

छत्तीसगढ़ को दक्षिणापथ भी कहा जाता है. यहां कई वर्षों पुराना मंदिर है. शोधकर्ताओं के अनुसार दक्षिण गमन के दौरान श्रीराम सुकमा जिले के रामाराम पहुंचे थे. वर्तमान में यहां एक मंदिर है.

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में राम वनगमन पथ के महत्वपूर्ण स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला लिया है. विभिन्न शोध प्रकाशनों के अनुसार श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में वनगमन के दौरान लगभग 75 स्थलों का भ्रमण किया था, जिसमें से 51 स्थान ऐसे हैं, जहां से भगवान राम ने भ्रमण के दौरान रुककर कुछ समय बिताया था.

भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से 10 साल से ज्यादा समय छत्तीसगढ़ में बिताए थे. उत्तर भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने के बाद दक्षिण भारत की ओर रवाना हुए थे इसीलिए छत्तीसगढ़ को दक्षिणापथ भी कहा जाता है. सुकमा जिला मुख्यालय से करीब 8 किमी की दूरी पर रामाराम गांव स्थित है. यहां कई वर्षों पुराना मंदिर है. शोधकर्ताओं के अनुसार दक्षिण गमन के दौरान श्रीराम सुकमा जिले के रामाराम पहुंचे थे. वर्तमान में यहां एक मंदिर है.

माता चिटमिटीन अम्मा देवी के नाम से प्रसिद्ध: मान्यता है कि श्रीराम ने यहां भू-देवी की आराधना की थी, जो आज माता चिटमिटीन अम्मा देवी के नाम से प्रसिद्ध है. क्षेत्र के लोगों में देवी के प्रति आस्था होने के कारण रामाराम सुकमा का एक बेहद महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. श्रीराम संस्कृतिक शोध संस्थान न्यास नई दिल्ली ने श्रीराम वनगमन स्थल के रूप में रामराम को सालों पहले चिन्हित गया था.

708 साल पुराना है मेले का इतिहास: रामाराम में प्रतिवर्ष फरवरी महीने में भव्य मेला का आयोजन होता है. बस्तर के इतिहास के अनुसार 708 सालों से यहां मेला आयोजन होता आ रहा है. वहीं सुकमा जमींदार परिवार रियासत काल से यहां पर देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे हैं. मां चिटमिटीन अम्मा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज देव ने बताया कि श्रीराम ने त्रेता युग में भू-देवी की आराधना की थी, इसलिए क्षेत्र के लोग शुभ कार्य शुरू करने से पहले मिट्टी की पूजा करते हैं.

रामाराम गांव को चिन्हित किया: अध्यक्ष मनोज देव ने बताया कि शोधकर्ताओं ने कई साल पहले ही राम वनगमन को लेकर रामाराम गांव को चिन्हित किया था. केंद्र और राज्य सरकार ने पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा अब तक कागजों में है. वर्तमान में जरूरत है कि उक्त स्थल को विश्व पटल पर विशेष पहचान दिलाने की.

Source - ETV Bharat, 27.11.2019

History

Notable persons

External links

References


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