Sandeep Singh
Sandeep Singh (Sepoy) became martyr on 31.07.1999 at Poonchh in Jammu and Kashmir.
सिपाही संदीप सिंह
सिपाही संदीप सिंह
यूनिट - 20 सिख रेजिमेंट
आतकंवाद विरोधी अभियान
सिपाही संदीप सिंह का जन्म पूर्व सैनिक सरदार राठा सिंह के घर में हुआ था। वह पंजाब के बठिंडा नगर के निवासी थे। संदीप सिंह प्रायः अपने परिजनों को सूचित नहीं कर सेना भर्ती शिविरों में जाते थे। वर्ष 1997 में कपूरथला में आयोजित भर्ती अभियान से वह भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 20 सिख बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था।
वर्ष 1997 में उनकी प्रथम तैनाती धर्मशाला में हुई थी, जहां से उन्हें जम्मू स्थानांतरित किया गया था। अपने कर्तव्य के प्रति उनका ऐसा समर्पण था कि 11 जुलाई 1999 को पुंछ स्थित बेस कैंप से अपने मित्र गुरजंट सिंह को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा था, "मैं अपने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर सकता हूं।" 31 जुलाई 1999 को पुंछ में 13 घंटे से चली भीषण मुठभेड़ में अदम्य साहस, दृढ़ निश्चय एवं वीरता से संघर्ष करते हुए सिपाही संदीप सिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे।
पंजाब सरकार द्वारा उनकी बहन को राजकीय सेवा में नियुक्ति दी गई और उनकी स्मृति में NGO संचालित है। बठिंडा के पारस राम नगर स्थित राजकीय विद्यालय का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। पारस राम नगर चौराहे पर उनकी भव्म प्रतिमा स्थापित है।
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