Sannihati

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Sannihati (सन्निहती) is a Tirtha mentioned in Mahabharata (III.81.167). It is located in Kurukshetra, Haryana, India.

Origin

Variants

History

In Mahabharata

Sannihati (संनिहिती) (Tirtha) in Mahabharata (III.81.167), (III.81.169)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 81 mentions names of Tirthas (Pilgrims). Sannihati (संनिहिती) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.81.167)[1] and [2]....With subdued senses and leading a Brahmacharya mode of life, one should next proceed to Kanyashrama (कन्याश्रम) (III.81.165). Residing there for three nights, O king, with subdued senses and regulated diet, one obtaineth a hundred celestial damsels and goeth also to the abode of Brahma. One should next, O virtuous one, proceed to the tirtha called Sannihati (संनिहिती) (III.81.167). .... Whatever tirthas exist on earth or in the firmament, all the rivers, lakes, smaller lakes, springs, tanks, large and small, and spots sacred to particular gods, without doubt, all come, O tiger among men, month after month, and mingle with Sannihati (III.81.169), O king of men! And it is because that all other tirthas are united together here, that this tirtha is so called. Bathing there and drinking of its water, one becometh adored in heaven.

सन्निहती

सन्निहती (AS, p.933) का उल्लेख महाभारत, वनपर्व में हुआ है- 'मासि मासि नरव्याघ्र संनिहत्यां न संशयः तीर्थसंनिहनादेव संनिहत्येति विश्रुता।'--वनपर्व 83, 195. अर्थात 'प्रत्येक मास की अमावस्या को (पृथ्वी के सभी तीर्थ) सन्निहती में आते हैं और तीर्थाें के समूह के कारण ही इस स्थान को सन्निहती कहा जाता है।' यह कुरुक्षेत्र का तीर्थ है जिसका अभिज्ञान सन्निहती-ताल से किया जाता है जो कुरुक्षेत्र (हरयाणा) में स्थित है.[3]

सन्निहती परिचय

सन्निहित सरोवर हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है। यहाँ सभी हिन्दू देवी-देवताओं के मन्दिर हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित यह प्रसिद्ध तीर्थ हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व रखता है। सन्निहित सरोवर कुरुक्षेत्र में कैथल मार्ग पर 'श्रीकृष्ण संग्रहालय' के पास स्थित है तथा मुख्य मार्ग पर इसका विशाल द्वार बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ पर महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने सभी दिवंगतों की मुक्ति के लिए पिंडदान आदि कार्य किया था। यहाँ एक विशाल सरोवर का निर्माण किया गया है, जिसके चारों ओर रात्रि के लिए प्रकाश व्यवस्था भी की गई है। इस तीर्थ स्थान पर सभी देवी-देवताओं के मंदिर स्थित हैं, जिनमें इसके पास ही स्थित प्राचीन 'लक्ष्मी-नारायण मंदिर' प्रमुख है। अन्य सभी मंदिर सरोवरके आस-पास बने हुए हैं और तीर्थ की शोभा बढ़ाते हैं।[4]

External links

References

  1. संनिहित्याम उपस्पृश्य राहुग्रस्ते दिवाकरे, अश्वमेध शतं तेन इष्टं भवति शाश्वतम (III.81.167),
  2. उदपानाश च वप्राश च पुण्यान्य आयतनानि च, मासि मासि समायान्ति संनिहित्यां न संशयः (III.81.169)
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.933
  4. भारतकोश-सन्निहित सरोवर कुरुक्षेत्र