Ashvabodhatirtha
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Ashvabodhatirtha (अश्वबोधतीर्थ) was a Jain tirtha near Bharuch in Gujarat.
Origin
Variants
- Ashvabodha Tirtha अश्वबोधतीर्थ (भड़ौच, गुजरात) (AS, p.51)
- Shakunikavihara/ Shakunika Vihara (शकुनिकाविहार) = दे. Ashvabodhatirtha (अश्वबोध तीर्थ) (AS, p.887)
History
The Maurya period was between 322 and 185 BC. The post-Maurya period is mentioned between 185 BC and 23 AD. Princess of Sinhala, Sudarshana had built the Shakunika Vihara in the Bhragukutchh during the rule of Sampati (229–220 BC), and a Bharuch trader became responsible for the memories of the princess. This depicts trade relations between Laat and Ceylon.
अश्वबोधतीर्थ
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ... अश्वबोधतीर्थ (AS, p.51) भृगुकच्छ के निकट एक जैन तीर्थ जिसका उल्लेख विविधतीर्थ-कल्प में है। जिन सुव्रत अश्वबोधतीर्थ प्रतिष्ठानपुर से आए थे और इस स्थान के निकट वन में उन्होंने राजा जितशत्रु को उपदेश दिया था। जितशत्रु उस समय अश्वमेधयज्ञ करने जा रहे थे। जैन धर्म में दीक्षित होने के उपरांत उन्होंने यहाँ एक चैत्य बनवाया जो अश्वबोधतीर्थ कहलाया था। जैन ग्रंथ प्रभावकचरित में अश्वबोध मंदिर का इतिहास वर्णित है। इसमें इसका अशोक के पौत्र संप्रति द्वारा जीर्णोद्वार कराए जाने का उल्लेख है। 1184 ई. के लगभग रचे गए सोमप्रभासूरि के ग्रंथ कुमारपाल प्रतिबोध में भी इस तीर्थ में हेमचंद्रसूरि द्वारा प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण करवाने का उल्लेख है। इस तीर्थ को शकुनिकाविहार भी कहते थे।