Sherisa
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Sherisaji (शेरीसाजी) is a Jain pilgrim situated about 30 kms away from Ahmedabad in Gujarat. It was earlier called Prajnapura (प्रज्ञापुर).[1]
Origin
Variants
- Pragyapura (प्रज्ञापुर), गुजरात, (AS, p.580)
- Sherisaji (शेरीसाजी) = Prajnapura प्रज्ञापुर (AS, p.910)
- Sherisa (शेरीसा)
- શેરીસા તીર્થ
History
प्रज्ञापुर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है .....प्रज्ञापुर (AS, p.580), गुजरात, अहमदाबाद से प्राय 20 मील दूर जैनों का प्राचीन तीर्थ है जिसे अब शेरीसाजी कहते हैं.
श्री शेरीसा तीर्थ
कहा जाता है की शेरिसा किसी समय सोनपुर नगरी का एक अंग था| आज उस सोनपुर का तो नामोनिशान नहीं है, लेकिन शेरिसा आज भी एक भव्य व मनोरम तीर्थ स्थान है. इस जगह की प्राचीनता के चिन्ह खण्डहर अवशेषों व स्तंभों आदि में आज भी यहाँ पाए जाते हैं. वीर निर्वाण की 18 वीं (विक्रम की 13 वीं) शताब्दी में श्री देवचन्द्राचार्यजी द्वारा श्री पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर की प्रतिष्ठा करवाने करवाने का उल्लेख है. उस समय पार्श्वप्रभु की प्रतिमा श्री “लोढन पार्श्वनाथ” के नाम से प्रसिद्ध थी. यहाँ पर एक खंडित प्रतिमा के परिवार पर अंकित लेख से ज्ञात होता है की विक्रम की 13 वीं शताब्दी में मंत्री वास्तुपाल-तेजपाल ने अपने भाई मालदेव व उनके पुत्र पुनसिंह प्रतिष्टित करवाया था| इन सबसे यह सिद्ध होता है की यह उससे भी प्राचीन है| कविवर लावण्यासमय ने विक्रम संवत् 1562 में बड़े ही सुन्दर ढंग से “शेरिसा तीर्थ स्तवन” की भक्तिभाव पूर्वक रचना की है. यहाँ पर समय-समय पर आवश्यक जिर्णोद्वार होते रहे. विक्रम की 16 वीं शताब्दी के पश्चात किसी समय मुस्लिम आक्रमणकारियों के हाथ यह तीर्थ खंडित हुआ. विक्रम संवत् 1655 में खंडित जिनालय के खंडहरों की खुदाई करने पर कुछ प्रतिमाएं प्राप्त हुई, उन्हें एक ग्वाले का घर खरीद कर उसमे बिराजमान की. विक्रम संवत् 1688 में पांच प्रतिमाओं पर लेप करवाया गया व अहमदाबाद के क्षेष्टि साराभाई डाह्याभाई निर्मित नूतन जिनालय की विक्रम संवत् 2002 में तीर्थोद्वारक निर्मित संवत् 2002 में तिर्थोद्वारक आचार्य श्री विजयनेमीसुरिश्वर्जी के हाथो वैशाख शुक्ला दशम के दिन प्रतिष्ठा संपन्न हुई| यहाँ पर भोयंरे में स्तिथ श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा अत्याधीक सुन्दर व अपने आप में अनूठी है. यहाँ की पद्मावती देवी की प्राचीन सुन्दर प्रतिमा अभी नरोदा गाँव में है, जी दर्शनीय है|[3]