Shushkaletra
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Shushkaletra (शुष्कलेत्र) is a place mentioned in Rajatarangini[1] where Ashoka Maurya had built innumerable Buddhist stupas. It was probably located near present Srinagara.
Origin
Variants
- Shushkakshetra शुष्कक्षेत्र (AS, p.905)
- Shushkaletra (शुष्कलेत्र) (AS, p.854)
History
Rajatarangini[2] tells that in Kashmir history King Shachinara was succeeded by Ashoka, the great grandson of Shakuni, and son of king Shachinara's first cousin. He was a truthful and spotless king, and a follower of Buddha. He caused many stupas to be built on the rocky banks of the Vitasta (Jhelum) at Shushkaletra.
On the extremity of Dharmaranya he built a chaitya so high that its top could not be seen. It was he who built Srinagara, which contained no less than ninety-six lacs of beautiful houses. He pulled down the dilapidated wall of the compound of the temple of Srivijayesha and built a new stone wall in its stead. He also caused to be erected two palaces near the courtyard of that god, and named them Ashoka and Isvra.
[p.9]: In his reign, it appears, the Mlechchhas (Scythians?) overran the country, and he retired into privacy and ended his life in devotion.
शुष्कक्षेत्र
शुष्कक्षेत्र (AS, p.905): कश्मीर के प्रसिद्ध इतिहास-लेखक कल्हण के वर्णन से ज्ञात होता है कि मौर्य सम्राट अशोक ने अपनी कश्मीर यात्रा के समय, शुष्क क्षेत्र और वितस्तात्र नामक स्थानों पर अनेक स्तूपों का निर्माण करवाया था। (दे. राजतरंगणि 1,102-106) संभव है इसकी स्थिति वर्तमान श्रीनगर के पास रही हो क्योंकि किंवदंती में श्रीनगर का बसाने वाला भी अशोक ही कहा जाता है।[3]
वितस्तात्र
विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है .....वितस्तात्र (AS, p.854): कश्मीर का ऐतिहासिक स्थान था। कश्मीर के प्रसिद्ध इतिहास लेखक कल्हण के अनुसार (दे. 'राजतरंगिणी' 1, 102-106) मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने कश्मीर में शुष्कलेत्र और वितस्तात्र नामक स्थानों पर अगणित स्तूप बनवाए थे। वितस्तात्र के धर्मारण्य विहार के भीतर अशोक ने जो चैत्य बनवाया था, उसकी ऊंचाई इतनी अधिक थी कि दृष्टि वहाँ तक पहुंच ही नहीं पाती थी। इस प्राचीन स्थान का अभिज्ञान अनिश्चित है, किंतु नाम से जान पड़ता है कि यह नगर वितस्ता या झेलम नदी के तट पर स्थित रहा होगा।