Surinder Pal Singh Shekho
Surinder Pal Singh Shekho (Second Lt) (17.01.1942 - 05.09.1965) became martyr during Indo-Pak War 1965 on 05.09.1965 at Dera Baba Nanak.
सेकंड लेफ्टिनेंट सुरिंदरपाल सिंह सेखों
सेकंड लेफ्टिनेंट सुरिंदरपाल सिंह सेखों
17-01-1942 - 05-09-1965
वीरचक्र (मरणोपरांत)
यूनिट - 2 राजपुताना राइफल्स
डेरा बाबा नानक की लड़ाई
ऑपरेशन रिडल
भारत-पाक युद्ध 1965
सेकंड लेफ्टिनेंट सुरिंदरपाल सिंह सेखों का जन्म 17 जनवरी 1942 को सरदार श्री निरंजन सिंह सेखों एवं श्रीमती गुरनाम कौर के परिवार में हुआ था। घर में उन्हें स्नेह से शिंदी कहा जाता था। वह पंजाब के संगरूर जिले के दिड़बा कस्बे के पास उभिया गांव के निवासी थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की। इसके पश्चात उन्होंने मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त की। बालपन से उन्हें अपने पड़दादा जय सिंह और दादा कैप्टन दयाल सिंह से सेना में जाने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी।
वह वीर सैनिकों की जीवनियां पढ़ा करते थे तथा खेलों में अच्छा प्रदर्शन करते थे। तत्पश्चात वह एनडीए में चुने गए। वर्ष 1962 में उन्हें भारतीय सेना की राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त हुआ था और उन्हें 2 राजरिफ बटालियन में नियुक्त किया गया था। आयु में छोटे होने पर भी उनकी योग्यता को देखते हुए उन्हें भारत-पाक युद्ध 1965 में डेरा बाबा नानक मोर्चे पर तैनात किया गया था।
5/6 सितंबर 1965 की रात्रि में अंतराष्ट्रीय सीमा पर डेरा बाबा नानक के निकट रावी नदी पर बने पुल पर भारतीय सेना ने अधिकार कर लिया। परिणामस्वरूप प्रत्युत्तर के आक्रमण में शत्रु ने हमारे सैन्य ठिकानों पर तोपखाने की भारी गोलाबारी की, जिसमें कुछ सैनिक घायल हो गए। भयानक गोलाबारी में भी अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की पूर्णतः उपेक्षा करते हुए सेकंड लेफ्टिनेंट सेखों ने अत्यंत साहस प्रदर्शित किया और अपनी कंपनी के घायल सैनिकों का मनोबल बढ़ाते हुए उनकी चिकित्सा करने लगे। घायल जवानों की पट्टी करते समय सेकंड लेफ्टिनेंट सेखों को शत्रु तोपखाने का गोला लगा और वह वहीं वीरगति को प्राप्त हुए।
इस कार्रवाई में सेकंड लेफ्टिनेंट सेखों ने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए वीरता, कर्तव्य के प्रति अनुकरणीय समर्पण और अपने सैनिकों के लिए अत्यधिक चिंता प्रदर्शित की। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
सेकंड लेफ्टिनेंट सुरिंदरपाल सिंह सेखों के बलिदान को भारत में, युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा।
शहीद को सम्मान
स्रोत
References
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