Thakuri
Thakuri (ठाकुरी)[1] is a Gotra of Jats. It was a ruling clan of Nepal.
History
According to Thakur Deshraj, Thakuri people were Jats. Thakur Deshraj mentins in Jat history that when Mahmud Gazanavi attacked Chittorgarh around 1046 AD, Jat rulers around Chittor moved from here to other places. W. Crook in his book ‘Tribes and Castes of North west provinces’ has mentioned that Dashand Singh was a ruler of Bijnore. After seize of Chittor by Muhamad Gori out of two persons of this Royal clan one moved to Nepal and other to Bijnore. It shows that those who went to Nepal were Thakuri and those at Bijnore were Thakurela.
Thakur Deshraj writes:
नेपाल - यह नाम नयपाल से बना है। आरम्भ में यह देश भूट लोगों से भरा हुआ रहा होगा। मध्यकाल में यहां ठाकुरी वंश का राज हुआ था। डॉ. भगवानलालजी इन्द्र ने यहां शिलालेखों के आधार पर कुछ खोज की थी, जिससे ठाकुरी वंश की दो तीन पीढ़ियों का पता चल जाता है। यह ठकुरी सम्भवतया अलीगढ़ जिले के ठकुरेले हो सकते हैं जो कि वैशाली के ज्ञात (जाटों से) निकले हुये कहे जा सकते हैं। लिच्छिवियों का प्रजातंत्र नष्ट हो जाने के बाद ही इस वंश की नेपाल में एकतंत्र शासन-प्रणाली पनपी है। नेपाल राज्य के इतिहास से मालूम होता है कि अंशु वर्मा इस कुल का प्रथम पुरूष था जो कि लिच्छिवि का महासामन्त था। सन् 355 ई. में उसका उदय हुआ था। अंशु वर्मा ने आगे चलकर राजा की उपाधि धारण कर ली थी। सन् 481 ई. के आस-पास इसके वंश के लोग स्वतंत्र शासक हो गये थे और ग्यारहवी-बारहवी सदी में तो उन्होंने नेपाल के एक बड़े हिस्से पर अधिकार कर लिया था। भातगांव उनकी राजधानी थी। 1322 ई. में अयोध्या के राजा हरीसिंह ने तुगलकशाह (मुसलमान) के भय से भाग कर नेपाल में शरण ली और भातगांव चालाकी से ठकुरी लोगों से उसने ले लिया। यहीं से ठकुरी राज नष्ट हो गया।[2]
External links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. ठ-3
- ↑ जाट इतिहास:ठाकुर देशराज, पृष्ठ 178-179
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