Tiruvarura

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(Redirected from Tiruvaloor)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Tamilnadu Map

Tiruvarura (तिरुवारुर) is a town and district in the Indian state of Tamil Nadu.

Variants

Origin

The historic name of the town was Aaroor (Arur) and it finds mention in the 7th century saiva canonical work, Tevaram.[1] The term Thiru is added to all temple cities that are mostly revered by the verses of Tevaram, which is the case of Arur becoming Thiruvarur. Another name of Thiruvarur is Kamalalaya Kshetra, meaning the "holy place that is an abode of lotuses"; the town is also referred so due to the presence of the Kamalalayam tank and the temple deity, Kamalambigai.[2] During the British Raj, the town was termed Tiruvalur,[3] Tiruvaloor,[4] and Thiruvalur.[5]

History

The town was one of the five traditional capitals of the Chola empire, with one of the emperors of the dynasty, Kulothunga Chola I, having it as his capital. The town is believed to be of significant antiquity and has been ruled, at different times, by the Medieval Cholas, Later Cholas, Later Pandyas, Vijayanagar Empire, Marathas and the British. The town is known for the Thyagaraja temple, and the annual chariot festival held in the month of April. The temple chariot of the Thyagaraja temple, weighing 300 tonnes (660,000 lb) and measuring 90 feet (27 m) tall is the largest temple chariot in Tamil Nadu.

Thiruvarur is the birthplace of Tyagaraja, Muthuswami Dikshitar and Syama Sastri, popularly known as the Trinity of Carnatic music of the 18th century CE.

Thiruvarur was a part of Thanjavur district till 1991 and Nagapattinam district until 1997; it became the headquarters of Tiruvarur district when it was carved out of Nagapattinam district in 1997. The Odambokki river passes through the centre of the town.[6] The town is a part of the Cauvery delta region and agriculture is the major occupation.

कमलालय

विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ...कमलालय (AS, p.138) दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थान तिरुवारूर का प्राचीन नाम है। यह संत त्यागराज की जन्म स्थली है। यहीं त्यागराज का जन्म हुआ था। यहीं त्यागराज मंदिर है जो दक्षिण भारत में बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर का गोपुर दक्षिण के मंदिरों में सबसे चौड़ा माना जाता है। निम्न पौराणिक श्लोक में कमलालय के महत्त्व का वर्णन है- 'दर्शनादभ्रसदसि जन्मना कमलालये, काशृयांहि मरणान्मुक्ति: स्मरणादरुणाचले।'

कमलालय परिचय

मायावरम-कारैक्कुडी लाइन पर तिरुवारूर स्टेशन है। स्टेशन से मंदिर 1 मील दूर है। मंदिर के पास ही धर्मशाला है। यहाँ का मुख्य मंदिर त्यागराज शिव मंदिर है। मंदिर में पृथक् नीलोत्पलाम्बिका पार्वती मंदिर है। संत त्यागराज, मुत्थुस्वामी दीक्षितर तथा श्यामा शास्त्री का जन्म यहीं हुआ था। इस स्थल के उत्तर दक्षिण दो नदियाँ बहती हैं। यह त्यागराज मंदिर दक्षिण भारत में बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर का गोपुर दक्षिण के मंदिरों में सबसे चौड़ा है। गोपुर के भीतर गणेश तथा कार्तिकेय की मूर्तियाँ हैं। यहाँ की नन्दी की मूर्ति पशु रोगों की निवारक मानी जाती है। आगे ‘कमलाम्बाल’ नामक चतुर्भुज तपस्विनी पार्वती मूर्ति है। इसे पराशक्ति पीठ मानते हैं। इनकी परिक्रमा में अक्षर पीठ है।

इससे आगे गणेश, स्कन्द, चण्डिकेश, सरस्वती, चण्डभैरवादि मूर्तियाँ हैं। समीप ही शंख सरोवर है। अचलेश्वर शिव मंदिर भीतर ही है। घेरे में ही हाटकेश्वर, आनन्देश्वर, सिद्धेश्वरादि कई मंदिर हैं। इस मंदिर की मुख्य मूर्ति त्यागराज है। कहते हैं कि यह मूर्ति महाराज मुचुकुन्द स्वर्ग ले आये थे। यह मूर्ति भगवान शिव की नृत्य करती मूर्ति है। त्यागराज के रथ के पास एक शिव मंदिर है। समीप ही दण्डपाणि, तिरुनीलकण्ठ आदि कई मंदिर हैं। मंदिर के समीप कमलालय सरोवर मुख्यतीर्थ है। इसमें 65 घाट हैं। उसमें मुख्य देवीतीर्थ घाट है।

दक्षिण भारत में त्यागराज के सात पीठस्थल हैं। उनमें भगवान शिव की नृत्य करती मूर्तियाँ हैं। नृत्यों के विभिन्न नाम हैं। 1. तिरुवारूर (मुख्यपीठ) में आजपाटनम नृत्य 2.तिरुनल्लास में उन्मत्तनटनम 3.तिरुनागैक्कारोणम में पारावार तरंगनटनम 4.तिरुक्कारामिल में कुक्कुटनटनम 5.तिक्कुवलै में श्रृंगनटनम 6.तिरुवायमूर में कमलनटनम 7. वेदारण्य में हंसपादनटनम

नागपत्तनम– तिरुवारूर से 15 मील पर यह स्टेशन और बंदरगाह है। स्टेशन से धर्मशाला दो मील है। नगर में एक विशाल शिव मंदिर तथा दूसरा विष्णु (सुंदरराज) मंदिर है। समुद्र तट पर ‘पेरुमल स्वामी’ ब्रह्माजी का मंदिर तथा नीलायताक्षी देवी का मंदिर है।

संदर्भ: भारतकोश-कमलालय

External links

References

  1. Muthalam Thirumurai Translation 2012.
  2. Dhere, Ramchandra Chintaman (2011). Rise of a Folk God:Vitthal of Pandharpur: Vitthal of Pandharpur. Oxford University Press. ISBN 978-0-19-977759-4. p. 53
  3. Hunter, Sir William Wilson (1908), Imperial Gazetteer of India Vol. XXII Singbhum to Trashi-Chod-Zong, Oxford: Clarendon Press, pp. 225–229.
  4. Dodwell, Henry (1920). Dupleix and Clive. Forgotten Books. ISBN 9781451011074. p. 48.
  5. Royal Asiatic Society of Great Britain and Ireland 1833, p. 146.
  6. Tamil Nadu Urban Infrastructure Financial Services Limited 2008, p. 5.
  7. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.138