Tiruvanchikkulam
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Tiruvanchikkulam was the ancient capital of Chera or Kerala. Prior to it the capital of Kerala was Vanchi. It was located on Periyar River.
Origin
Variants
- Thiruvanchikkulam
- Tiruvanjikalam (तिरुवंजिकलम) (केरल) (AS, p.403)
- Tiruvenchi तिरुवेंची (AS, p.404)
- Tiruvanchikkulam (तिरुवांचीकुलम) = Tiruvenchikkulam (तिरुवेंचीकुलम) (कोचीन, केरल) दे. Surabhipattan सुरभिपत्तन (AS, p.404)
- Tiruvanchikulam (तिरुवांचीकुलम्) (AS, p.404)
- Surabhipattana (सुरभिपत्तन) (AS, p.976)
History
तिरुवंजिकलम
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...तिरुवंजिकलम (AS, p.403) 'चेर' या 'केरल' की प्राचीन राजधानी थी। केरल की सबसे पहली राजधानी 'वंजि' थी। वंजि के पश्चात् तिरुवंजिकलम में राजधानी बनाई गई थी। यह नगर पेरियार नदी पर स्थित था। (स्मिथ- अर्ली हिस्ट्री आव इंडिया, पृष्ठ 477)
तिरुवांचीकुलम = तिरुवेंचीकुलम
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...तिरुवांचीकुलम = तिरुवेंचीकुलम (कोचीन, केरल) (AS, p.404) - तिरुवेंची कोचीन के निकट प्राचीन केरल की प्रथम ऐतिहासिक राजधानी के रूप में उल्लेखनीय है। तिरुवेंची का वर्तमान नाम 'क्रंगनौर' है। देवी भगवती का मंदिर और एक गिरिजा घर, शायद प्रथम शती ई. में निर्मित, अब यहाँ के अवशिष्ट स्मारक हैं। तिरुवेंचीकुलम में पेरुमल सम्राटों की राजधानी हुआ करती थी। इन्हीं सम्राटों में से एक 'कुलशेखर पेरुमल' ने प्रसिद्ध वैष्णव 'महाकाव्यप्रबंधम्' की रचना की थी। ईसा पूर्व कई शतियों तक यह स्थान दक्षिण भारत का बड़ा व्यापारिक केन्द्र था। तिरुवेंची में मिस्र, बाबुल, यूनान, रोम और चीन के व्यापारियों तथा यात्रियों के समूह बराबर आते रहते थे। इसी स्थान पर 68 या 69 ई. में रोमनों के द्वारा निष्कासित यहूदियों ने शरण ली थी। इसी स्थान को शायद रोमन लेखकों ने 'मुजिरिस' (मुरचीपतन या परिचोपत्तन) लिखा है। तिरुवेंची से मरिच या काली मिर्च का रोम साम्राज्य के देशों के साथ भारी व्यापार था। 'मुरचीपतन' (पाठान्तर सुरभीपत्तन) का उल्लेख महाभारत, सभापर्व 31, 68 में है। (दे. सुरभिपत्तन)
क्रंगनौर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...क्रंगनौर केरल (AS, p.246) परियार नदी के तट पर बसा हुआ प्राचीन बंदरगाह जिसे रोम के लेखकों ने मुजीरिस कहा है. ई. सन के प्रारंभिक काल में यह समुद्र-पत्तन दक्षिण भारत और और रोम साम्राज्य के बीच होने वाले व्यापार का केंद्र था. इसका एक नाम मरीचीपत्तन या मुरचीपत्तन भी था जिसका अर्थ है 'काली मिर्च का बंदरगाह'. मुजिरिस शब्द इसी का रोमीय रूपांतर जान पड़ता है. मुरचीपत्तन का उल्लेख महाभारत 2,31,68 में है. इस बंदरगाह से काली मिर्च का प्रचुर मात्रा में निर्यात होता था. (देखें तिरुवांचीकुलम्)