Tryaksha

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Author:Laxman Burdak, IFS (Retd.)

Tryaksha (त्र्यक्ष) was a Kingdom known to Panini and mentioned in Mahabharata. It has been identified with Tarakhana (तरखान) located near Badakhshan (Dvayaksha) in southern Russia. [1]

Origin

Variants of name

Jat clans

History

V. S. Agrawala[2] mentions Vishayas known to Panini which includes - Tryakshayana (त्र्याक्षायण), under Aishukari Gana (ऐषुकारि गण) (IV.2.54).

In Mahabharata

Tryaksha (त्र्यक्ष) is mentioned in Mahabharata (XIV.8.13), (XIV.8),

Aswamedha Parva, Mahabharata/Book 14 Chapter 8 mentions Names of Shiva which include Tryaksha in verse (XIV.8.13).[3]

त्र्यक्ष

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...त्र्यक्ष (AS, p.419): त्र्यक्ष तथा 'द्वय्क्ष' देशों से आये हुए लोगों का उल्लेख महाभारत में हुआ है। ये लोग पाण्डव युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भाग लेने आये थे। प्रसंग से ये लोग भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा के परिवर्ती प्रदेशों के निवासी जान पड़ते हैं। 'द्वय्क्षांस्त्रयक्षार्ल्लेटाक्षान् नानादिग्भ्य: समागतान् औष्णीकानन्तवासांश्च रोमकान् पुरुषादकान्। एकपादांश्चतत्राहमपश्यं द्वारिवातितान्'। महाभारत, सभापर्व 51, 17-18. यहाँ दुर्योधन ने युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में विदेशों से उपहार लेकर आने वाले विभिन्न देशवासियों का वर्णन किया है। इनमें 'द्वय्क्ष' तथा 'त्र्यक्ष' देशों से आए हुए लोग भी शामिल थे। ये लोग भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा के परिवर्ती प्रदेशों के निवासी माने गये हैं। कुछ विद्वानों के मत में त्र्यक्ष, 'तरखान' (दक्षिणी रूस में स्थित) का नाम है और 'द्वय्क्ष' बदख़शां का। उपर्युक्त उद्धरण में इन लोगों को औष्णीय या पगड़ी धारण करने वाला बताया गया है, जो इन ठंडे प्रदेशों के निवासियों के लिए स्वाभाविक बात मानी जा सकती है। (दे. द्वय्क्ष, ललाटाक्ष)

तरखान

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...तरखान (AS, p.392) का प्राचीन नाम 'त्र्यक्ष' है, जिसका वर्णन महाभारत, सभापर्व 51, 17 में हुआ है। यह बदख़्शां (द्वयक्ष) के निकट स्थित था।

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.419
  2. V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.498
  3. कपर्दिने करालाय हर्यक्ष्णे वरदाय च, त्र्यक्ष्णे पूष्णॊ दन्तभिदे वामनाय शिवाय च (XIV.8.13)
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.419
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.392

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