Vyasa Gupha
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Vyasa Gupha (व्यास गुफा) refers to a cave in Garhwal region in Uttarakhand located on a hill on way from Badarinath to Vasudhara.
Origin
Variants
- Vyasagupha व्यासगुफा, जिला गढ़वाल, उ.प्र., (AS, p.884)
History
व्यासगुफा
व्यास गुफ़ा (AS, p.884): गढ़वाल, उत्तराखण्ड में स्थित है। बदरीनाथ से वसुधरा जाने वाले मार्ग पर पहाड़ में इस नाम की गुफ़ा है। कहा जाता है कि महर्षि व्यास ने इसी गुफ़ा में प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत तथा पुराणों की रचना की थी। पास ही गणेश गुफ़ा है, जिसका संबंध भगवान गणेश से, जिन्होंने व्यासजी के महाभारत के लेखक का कार्य किया था, बताया जाता है। बादरायण व्यास का बदरीनाथ से संबंध प्रसिद्ध ही है। (दे. बदरीनाथ)[1]
व्यास गुफ़ा बड़े क्षेत्र में फैली हुई है। गुफ़ा में वेद व्यास की प्रतिमा है। यह प्रसिद्ध गुफ़ा सरस्वती नदी के तट पर स्थित है। इसके समीप अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम है। यह स्थान 'केशव प्रयाग' कहलाता है।[2]
बदरीनाथ
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है .....बदरीनाथ, उ.प्र., (AS, p.605): उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल के अन्तर्गत एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. महाभारत काल में बद्रीनाथ की तीर्थ रूप में मान्यता प्रतिष्ठित हो गई थी. पांडवों ने भारत के अन्य तीर्थों की भांति बद्रीनाथ की भी यात्रा की थी-- 'एवं सुरमणीयानि वनान्युपवनानि, आलोकयन्तस्ते जग्मुर्विशालां बदरीं'--वनपर्व 145,11. इस उल्लेख में बद्रीनाथ को विशाला नाम से अभिहित किया गया है जो आज भी पूर्ववत प्रचलित है ('बद्री विशाला') इस यात्रा में पांडवों ने अनेक प्रकार के पशु-पक्षियों तथा अनेक नदियों को देखा था--'मयूरैश्चभरैश्चैव वानरैरुरुभिस्तथा, वराहैर्गवयैश्चैव महिषैश्च समावृतान्, नदीजालसमाकीर्णान्नानापक्षियुतान्बहून्, नानाविधमृगैर्जुष्टान् वानरैश्चोपशोभितान्. वनपर्व 145, 15-16.
बद्रीनाथ में गंगा की उपस्थिति महाभारत में वर्णित है -- 'एषा शिवजला पुण्या याति सौम्य महानदी, बदरी-प्रभवाराजन् देवर्षिगणसेविता' महाभारत वन पर्व 142,4. यहां गंगा को बद्रीनाथ से उद्भूत माना है क्योंकि गंगोत्री बद्रीनाथ से कुछ ही दूर है. वनपर्व 139,11 में विशाला को कैलाश के निकट माना है--'कैलासः पर्वतो राजन्पड्योजनशतोच्छ्रितः, यत्रदेवाः समायान्ति विशाला यत्र भारत'
बद्रीनाथ में नर नारायण के स्थान (जो आज भी है) और भागीरथी का वर्णन भी महाभारत में है--'तत्रापश्यत्स धर्मात्मा देवदेवर्पिपूजितम्, नरनारायणस्थानं भागीरथ्योपशोभितम्'--वनपर्व 145,41.
शांति पर्व 127,3 में बद्रीनाथ के निकट वैहायसकुंड का उल्लेख है जो संभवत है वैहायसी या आकाश मार्ग से जाने वाली गंगा का ही कुंड है--'आकाशगङ्गां प्रयताः पाण्डवास्तेऽभ्यवादयन्' वनपर्व 142,11.
बद्रीनाथ में महाभारत के आदिकर्ता महर्षि व्यास का मुख्य आश्रम था इसीलिए उन्हें बादरायण कहा जाता है. बद्रीनाथ में व्यास गुफा नामक स्थान को ही याद का निवास स्थान माना जाता है और यह भी किंवदंती है कि महाभारत की रचना उन्होंने [p.606]: वहीं की थी. परवर्ती काल में शंकराचार्य बद्रिकाश्रम में कुछ समय ठहरे थे. बौद्ध जनश्रुति के अनुसार शंकराचार्य से पहले बद्रीनाथ में बौद्धों का मंदिर था और इसमें बुध की मूर्ति स्थापित थी.