Lasoda

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लसोड़ा फल

लसोड़ा पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। लेकिन तेजी से बदलते खानपान की वजह से यह लोगों से दूर होता जा रहा है। देश के कई जगहों पर इसे गोंदी और निसोरा भी कहा जाता है। इसके फल सुपारी के बराबर होते हैं। कच्चे लसोड़े का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है। इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम कॉर्डिया मायक्सा (Cordia myxa) है।

लसोड़े के पेड़

लसोड़े के पेड़ बहुत बड़े होते हैं इसके पत्ते चिकने होते हैं। दक्षिण, गुजरात और राजपूताना में लोग पान की जगह लसोड़े का उपयोग कर लेते हैं। लसोड़ा में पान की तरह ही स्वाद होता है। इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। छोटे और बड़े लसोडे़ के नाम से भी यह काफी प्रसिद्ध है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाये जाते हैं और बन्दूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं।


लसोड़ा मीट से दस गुना ज्यादा ताकतवर इस फल के बारे में बेहद कम लोगो जानकारी है!

आधुनिकता के इस दौड़ में हमने बहुत कुछ खोया हैं।लसोड़ा उसी कड़ी का एक फल है। महज 50 साल पहले इस फल का चूर्ण हर घर में पाया जाता था। मीट से भी 10 गुना ज्यादा ताकतवर माने जाने वाले फल का सेवन करने वाले लोगों की बड़ी जमात थी पर आज के प्रोटीन शेक के दौर में लोगो को इसके बारे में तनिक भी जानकारी नहीं है।

इसका सेवन करते है शरीर में ताकत आ जाती है. इसे आम भाषा में भारतीय चेरी भी कहा जाता है. इसका सेवन शरीर के लिए बहुत ही उत्तम और ताकत से भरपूर होता है. आज भी जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए यह प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है और वे इसे कई रूप में उपयोग करते हैं।

आयुर्वेद में लसोड़ा को कृमिनाशक और ताकतवर फल माना गया है. आप महीने भर में ही इसको लगातार खाकर शरीर में पहलवानों जैसी ताकत का अनुभव करेंगे.

लसोड़ा में पोषक तत्व

लसोड़ा पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। देश के कई जगहों पर इसे गोंदी और निसोरा भी कहा जाता है। इसके फल सुपारी के बराबर होते हैं। कच्चे लसोड़े का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है। इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम कॉर्डिया मायक्सा है। । लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाये जाते हैं और बन्दूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं।

लाभ

जब आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थीं तो लसोड़े के प्रयोग से ही कई बीमारियां दूर की जाती थीं। लगभग हर घर में लसोड़े के बीज, चूर्ण आदि रखा जाता था। जिसे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाता था।

लसोड़ा नम और सूखे जंगलों में बढ़ता है। यह हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि में होता है। जंगल के अलावा लोग अपने खेतों के किनारे पर भी इसे तैयार करते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण इसके पेड़ लुप्त हो रहे हैं। इसके बीज से पेड़ तैयार करना लगभग असंभव है। औषधीय गुणों से भरपूर इस प्रजाति के संरक्षण की जरूरत है

लसोड़े के पेड़ की छाल को पानी में उबालकर छानकर पिलाने से खराब गला भी ठीक हो जाता था।

इसके पेड़ की छाल का काढ़ा और कपूर का मिश्रण तैयार कर सूजन वाले हिस्सों में मालिश करने से आराम मिलता है।

इसके बीज को पीसकर दाद, खाज और खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। लसोड़ा में मौजूद तत्व इसमें दो फीसद प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट,वसा, फाइबर, आयरन, फॉस्फोरस व कैल्शियम मौजूद होते हैं।

गुजरात के आदिवासी लोग लसोड़ा के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाते है और मैदा, बेसन और घी के साथ मिलाकर लड्डू बनाते हैं। इनका मानना है कि इस लड्डू के सेवन शरीर को ताकत और स्फूर्ति मिलती है।

लसोड़ा की छाल का काढ़ा पीने से महिलाओं को माहवारी की समस्याओं में आराम मिलता है। आयुर्वेद में लसोड़ा को कृमिनाशक और ताकतवर फल माना गया है. आप महीने भर में ही इसको लगातार खाकर शरीर में पहलवानों जैसी ताकत का अनुभव करेंगे.

लसोड़ा में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस होता हैं जो हड्डियों को मजबूत बनता है और शरीर को ताकत प्रदान करता हैं. इस फल को खाने से शरीर में ताकत आती है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत मिलती है. इस फल को खाने से आपके शरीर में नई ऊर्जा पैदा होती है जो आपके मस्तिष्क को भी तेज करती है. लसोड़ा का सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती हैं.

दाद के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़ा के बीजों की मज्जा को पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है.

फोड़े-फुंसियां के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती हैं.

गले के रोग उपचार में लसोड़ा के फायदे : लिसोड़े की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से गले के सारे रोग ठीक हो जाते हैं.

अतिसार के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े की छाल को पानी में घिसकर पिलाने से अतिसार ठीक होता है.

हैजा (कालरा) के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोडे़ की छाल को चने की छाल में पीसकर हैजा के रोगी को पिलाने से हैजा रोग में लाभ होता है.

दांतों का दर्द दूर करने में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है.

बल शक्तिवर्द्धक में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े के फलों को सुखाकर उनका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को चीनी की चाशनी में मिलाकर लड्डू बना लें. इसको खाने से शरीर मोटा होता है और कमर मजबूत जाती है.

शोथ (सूजन) दूर करने में में लसोड़ा के फायदे : लसौड़े की छाल को पीसकर उसका लेप आंखों पर लगाने से आंखों के शीतला के दर्द में आराम मिलता है.

बाहरी कड़ियाँ

References