छोटूराम

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बेधङक का हवाई जहाज
लेखक
पृथ्वीसिंह बेधङक



छोटूराम


कंगालों की लुटाई बचाई छोटूराम ने


सौ के दिये पॉंचसौ हमने फ़िर भी बाकी कर्जा था

गऊ बैल सब जमा गई थी बहुत बुरा यहॉं दर्जा था

कर्जे की पाई पाई छुटवाई छोटूराम ने


तीन साल तक जमीन बोकर बाकी नफ़ा उठाया है

उस धरती का मालिक फ़िर तो जमींदार कहलाया है

गिरवी धरी जमीन छुटवाई छोटूराम ने


बिन गदर के राजे लूटे थे हर कस्बे की मण्डी में

सारे बाट ठीक करवाये धरक ना अब मण्डी में

बेईमानी की तुलाई हटाई छोटूराम ने


अभागिन चर्बी मिलाकर घी में बिकती संसार में

वनस्पति घी के बिना रंग मत बेचो बाजार में

कोटोजम मिठाई फ़िंकाई छोटूराम ने


हिमालय पर्वत के ऊपर जो भी कानून बनाता है

रोजाना उनके पृथ्वीसिंह भजन बनाकर गाता है

बेधङक तेरी कविताई सराही छोटूराम ने



Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह

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