Teja Dashmi
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Teja Dasami is observed on Bhadrapada Shukla Dashmi by all communities and is celebrated mainly in Rajasthan, Madhya Pradesh and Haryana. Tejaji martyred himself on Bhadrapada Shukla Dashmi in V.S. 1160 (Saturday 28 August 1103 AD) fighting with the enemies for the protection of cows at Sursura, Kishangarh, Ajmer.
The festival
The festival of Teja Dasami is annually observed on the 10th day of the Shukla Paksha or waxing phase of moon in Bhadrapad month as per traditional Hindu lunar calendar followed in North India on the day of his martyrdom. It is dedicated to folk deity Tejaji, a legendary Rajasthani folk hero.
The popular belief
The popular belief is that Tejaji used to rescue people from snake bites. He is worshipped by people to escape from deadly snake bites. People also pray to the deity for the speedy recovery of people who had been bitten by poisonous snakes.
Tejaji Fairs
Tejaji Fairs are held in temple towns that have temples dedicated to Tejaji on on the occasion of Teja Dasmi (Bhadrapada Shukla Dashmi) in various cities of Rajasthan, Madhya Pradesh and Haryana.
संत तेजाजी महाराज
वीर तेजा या तेजाजी एक राजस्थानी लोक देवता हैं । उन्हें शिव के प्रमुख 11 अवतारों में से एक माना जाता है और राजस्थान , मध्य प्रदेश और गुजरात में देवता के रूप में पूजा जाता है ।
जन्म – तेजाजी का जन्म विक्रम संवत 1130 , माघ सुदी चौदस , अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार 29 जनवरी 1074 के दिन खरनाल के नागवंशी धौल्या गोत्र के जाट के परिवार जिला नागौर राजस्थान में हुआ था । इनके पिता कुंवर ताहड़ देव और माता रामकुंवरी थे । जन्म के समय तेजाजी की आभा इतनी मजबूत थी कि उन्हें तेजा नाम दिया गया था । तेजाजी का विवाह पेमल से हुआ था, जो झांझर गोत्र के रायमल जाट की पुत्री थी, जो गाँव पनेर के प्रमुख थे ।
एकबार जब तेजाजी अपनी ससुराल जा रहे थे , तब लाछा गूजरी की गाएं मेर के मीणा चुरा ले गए । रास्ते में तेजाजी को एक सांप आग में जलता हुआ मिला तो उन्होंने उस सांप को बचा लिया किन्तु वह सांप जोड़े के बिछुड़ जाने के कारण अत्यधिक क्रोधित हुआ और उन्हें डसने लगा तब उन्होंने सांप को लौटते समय डस लेने का वचन दिया और ससुराल की ओर आगे बढ़े । लाछा की प्रार्थना पर वचनबद्ध होकर तेजाजी ने मीणा लुटेरों से संघर्ष कर गाएं छुड़ाई । इस गौरक्षा युद्ध में तेजाजी अत्यधिक घायल हो गए । वापस आने पर वचन की पालना में सांप के बिल पर आए तथा पूरे शरीर पर घाव होने के कारण , सर्प ने कहा आपका सम्पूर्ण शरीर घायल है, घायल शरीर को मैं नहीं डसता, तब तेजाजी ने जीभ पर सांप से कटवाया । उसके बाद पेमल भी उनके साथ सती हो गयी । उस सांप ने वचनबद्धता से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया । इसी वरदान के कारण तेजाजी भी साँपों के देवता के रूप में पूज्य हुए ।
गाँव – गाँव में तेजाजी के देवरे या ठान या थान में उनकी तलवारधारी अश्वारोही मूर्ति के साथ नाग देवता की मूर्ति भी होती है । इन देवरों में सांप के काटने पर जहर चूस कर निकाला जाता है तथा तेजाजी की तांत बांधी जाती है ।
तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादाशामी के रूप में मनाया जाता है ।
शासन – रेल मंत्रालय ने 28 मई 20 15 को आदेश जारी कर जयपुर – जैसलमेर इंटरसिटी एक्सप्रेस का नाम लीलण एक्सप्रेस कर दिया है । नागौर के खरनाल में पैदा हुए लोकदेवता वीर तेजाजी की घोडी का नाम लीलण था । राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकारों ने भी "मध्य प्रदेश वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड " का गठन 8 जून 2023 को किया है । यह बोर्ड जाट समाज के उत्थान से सम्बंधित विषयों से सम्बंधित है । जिसके तहत जाट समाज के हितग्राहियों के कौशल विकास प्रशिक्षण, उद्यमिता संवर्धन रोजगार एवं स्व-रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने तथा स्टार्ट – अप /व्यवसाय/उद्यम हेतु ऋण की व्यवस्था से सम्बंधित विषयों में राज्य शासन को समय-समय पर अपनी अनुशंसाएं प्रेषित की जायेंगी ।
तेजा दशमी
भाद्रपद शुक्ल दशमी शनिवार विक्रम संवत 1160 (तदनुसार 28 अगस्त 1103) के तीसरे प्रहर का समय था। उस समय युद्ध में घायल तेजाजी अंतिम साँसें ले रहे थे। पास ही अपनी ऊंटनी चराते आसू देवासी को तेजाजी ने आवाज लगाई। आसू देवासी पास आए तो तेजाजी ने बताया – जो संकट की घड़ी में काम आता है वही अपना होता है। इस घोर जंगल में तूही आज मेरा अपना है। यह मेरा मेंमद मोलिया (साफा के साथ लगाया जाता था) शहर पनेर ले जाकर रायमल जी मुहता की पुत्री और मेरी पत्नी पेमल को दे देना। यहाँ जो तूने देखा है वह ज्यों का त्यों बता देना। यह कहकर तेजाजी ने अंतिम साँस ली और वीरगति को प्राप्त हुये। तेजाजी के बलिदान दिवस के रूप में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजा दशमी मनाई जाती है।
तेजा दशमी-2023
तेजा दशमी-2023 दिनांक 25 सितम्बर 2023 को देश के विभिन्न भागों में धूम-धाम से मनाई गयी. कुछ चित्र यहाँ दिए गए हैं: