Abhay Chander
Abhay Chander (अभयचंद्र) or Rana Abhay Singh was Rana of Gohad (1518-1531), who succeeded Sambhu Singh
His successor
His successor was Rana Ram Chander (1531-1550).
राणा अभयसिंह
राणा सिंघनदेव की मृत्यु के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र राणा अभयसिंह गोहद के राज सिंहासन पर बैठा. उनका राजतिलक गोहद दुर्ग में मनाया गया. उन्होंने अपने भाई नरपाल सिंह को बगथरा तथा अन्य दुसरे भाई भूपसिंह को बेहट की जागीरें प्रदान की. वह 1523 ई. तक ग्वालियर के तोमर राजाओं का सामंत रहा.[1] (Ojha, p.52)
ग्वालियर के तोमर राज्य का पतन - दिल्ली सुलतान इब्राहिम लोधी और ग्वालियर के तोमर राजा विक्रमादित्य में हुई संधि के तहत विक्रमादित्य सन 1523 के प्रारम्भ में ग्वालियर छोड़कर आगरा पहुँच गए. बाद में इब्राहिम लोधी और बाबर के मध्य सन 1526 में पानीपत के मैदान में हुए युद्ध में विक्रमादित्य 20 अप्रेल 1526 को वीर गति को प्राप्त हुए. [2] (Ojha, p.52)
जब ग्वालियर के तोमर राज्य का पतन हो गया तो गोहद के राणा लोधी सल्तनत के जागीरदार हो गए. इसके बाद 1526 में जब मुग़ल बादशाह बाबर ने ग्वालियर को अपने अधिकार में कर लिया, तब गोहद के राणा मुग़लों के अधीन हो गए. राणा अभय सिंह ने गोहद दुर्ग में अपना महल कालियाकंत भगवान का मंदिर बनवाया. [3] (Ojha, p.52-53)
सुजस प्रबंध में अभयचंद्र
सुजस प्रबंध (Sujas Prabandh) के रचनाकार कवि नथन इस काव्य के प्रारंभिक चार छंदों में गोहद के कई राजाओं का स्मरण किया है. इन्हीं के वंश में अभयचंद्र नामक राजा पैदा हुए थे जो सब के साथ पुत्रवत व्यवहार करते थे.
External links
References
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