Loha Singh Tomar

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Loha Singh Tomar (b.1497) was Chief of Tomar Khap from Bijrol village of Bagpat district in Uttar Pradesh, India. He played important role in favour of Ibrahim Lodi in getting the rule of Delhi.

बाबा लोहासिंह तोमर का जीवन परिचय

बाबा लोहासिंह तोमर पांडव वंशी जाट थे । इनका जन्म 1497 ईस्वी को बागपत जिले के बिजरोल ग्राम में हुआ था । इब्राहीम लोधी को गद्दी पर बैठाने वाले जाट योद्धा लोहा सिंह (बाबा लोहडडा) थे ।

प्यासी तलवारों को योद्धा रक्त पिलाने बैठे हैं,
मेरे जाट शेर शिकार करने के लिए बैठे हैं !

जाट खापों का निर्णय

इब्राहीम लोधी का पिता सिकंदर लोधी बड़ा क्रूर अत्याचारी शासक था । सिकंदर लोधी ने मथुरा के सौंख गढ़ पर आक्रमण करके उसको नष्ट किया था । इसी समय भगवन कृष्ण की जन्मभूमि के मंदिर और मंशा देवी के मंदिर को सिकंदर लोधी ने नष्ट कर दिया था । सिकंदर का छोटा बेटा इब्राहीम अपने पिता सिकंदर का विरोधी था । सिकंदर लोधी अपने बड़े पुत्र जलाल–उद–दीन लोधी को गद्दी पर बैठना चाहता था । इससे पहले ही उसकी मृत्यु गले की बीमारी के कारण 1517 ईस्वी में हो गई थी । जलाल–उद–दीन लोधी क्रूर शासक सिद्ध होता, इसलिए उत्तराधिकारी युद्ध में जाट खापों ने इब्राहिम लोधी का साथ देकर के इब्राहिम लोधी को दिल्ली के तख़्त पर आसीन करवा दिया और उसके बड़े भाई जलाल–उद–दीन लोधी को जौनपुर क्षेत्र दे दिया । असंतुष्ट जलाल–उद–दीन लोधी ने कट्टर मुस्लिम उलेमाओ को साथ लेकर सुल्तान बनने के लिए विद्रोह कर दिया था । ऐसे समय में इब्राहिम लोधी को पुनः खापों का आसरा दिखाई दिया ।


पिता की मृत्यु के बाद इब्राहीम पर जब विपदाओं का साया था

तब मदत मांगने सुल्तान लोधी जाटों के पास आया था

चरण वंदना करके उसने अपना दुखड़ा जाटों को सुनाया था

तब शरणागत की रक्षात जाटों ने शत्रुओ को ललकारा था

था जाट गरजता शत्रुओ पर,बिजली भी आहे भरती थी।


इब्राहिम ने तोमर खाप से अनुरोध किया की जलाल–उद–दीन लोधी को पकड के लाये । तोमर खाप सिकन्दर लोधी के सौंख गढ़ मथुरा में किये धोखे से क्रोधित थी । ऐसे में उसको अवसर मिल गया कि अपने भाई भूरसिंह (सौंख गढ़ के राजा) की मृत्यु का बदला लेने के लिए सिकंदर की अंतिम इच्छा (जलाल–उद–दीन लोधी को सुल्तान बनाने की) को पूर्ण ना होने दे साथ ही खापे यह जानती थी कि जलाल–उद–दीन लोधी उनके लिए दूसरा सिकंदर सिद्ध होने वाला है ।

खाप की शर्तें

मध्यकालीन इतिहास के अनुसार खाप ने लोधी के सामने निम्न शर्त रखी --

1. जाट खापों को पूर्ण स्वतंत्रता होगी

2. हरिद्वार से मुस्लिम नियंत्रण समाप्त करते हुए हिन्दुओ को पूर्ण अधिकार दिए जाएं

3. सौंख गढ़ मथुरा का अधिकार राजा भूरसिंह के एक मात्र जीवित बचे पुत्र अमर सिंह को दिए जाएं

4. किसानों पर से कर को कम किया जाए

यदि इब्राहीम लोधी इन सभी शर्तो को स्वीकार करता है तो जाट निश्चित उसकी (इब्राहीम लोधी) सुल्तान बनने में एक मात्र बाधा उसके भाई जलाल–उद–दीन लोधी को मार के उसकी समस्या को दूर कर सकते है इब्राहीम लोधी ने सभी शर्ते मान ली थी ।

जलाल–उद–दीन लोधी की हार

इसके बाद सर्व जाट खापो की अनुमति लेकर तोमर (कुंतल) खाप के सेनापति लोहासिंह तोमर अपने अर्जुनायन तोमर गणराज्य के वीर जाट सैनिको के साथ जौनपुर पंहुचा । यहां से उसने जलाल–उद–दीन लोधी का पीछा किया और अंत में विन्धयाचल (विंध्याचल) के जंगलो में जलाल–उद–दीन लोधी से लड़ाई हुई । इस युद्ध में जलाल–उद–दीन लोधी मारा गया था । वीर जाट योद्धा लोहा सिंह ने जलाल–उद–दीन लोधी का सर काट कर इब्राहीम लोधी को भेज दिया ।

लोहासिंह को उपहार

इस विजय के उपलक्ष्य में इब्राहिम ने लोहासिंह को जौनपुर की जागीरी की पेशकश की थी । जिसको लोहासिंह बाबा ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वो गणतंत्र (खाप) प्रणाली का एक सेवक है । ईनाम में लोहासिंह को दो लाख स्वर्ण असर्फी मिली थी । तोमर देश के मुखिया ने लोहासिंह की वीरता को देखते हुए 6800 बीघा ज़मींन दी, जिस पर आज उसके वंशज निवास करते है । इस जगह को उनके नाम से ही लोहड्डा के नाम से जाना जाता है । यह वर्तमान में एक ग्राम है । जिसका निकास बिजरोल से है । बाद में कुछ लोग हिलवाडी से भी लोहडडा में आकर बसे थे ।

लेखक

लेखक:- मानवेन्द्र सिंह

सन्दर्भ पुस्तकें

  1. पांडव गाथा ।
  2. सर्व खाप इतिहास ।
  3. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रो. हरिश्चन्द्र वर्मा-मध्यकालीन भारत ।

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