Bagar Mail

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बीकानेर रियासत द्वारा प्रतिबंधित पुस्तक
(बागड़ मेल)

(सन् 1946)

बागड़ मेल
Mahashay Dharampal Singh Bhalothia
पुस्तक 'बागड़ मेल'
4 अक्टूबर, 1947 को प्रकाशित बीकानेर राजपत्र

पुस्तक बागड़ मेल का परिचय: 6 जून 1947 को चुरू जिले के हमीरवास में एक बड़े किसान आन्दोलन के जलसे में रात भर महाशय धर्मपाल सिंह भालोठिया द्वारा अपने जोशीले गाने गाये एवं आपकी बीकानेर रियासत के विरूद्ध लिखी हुई भजनों की पुस्तक बागड़ मेल जनता में वितरित की गई। इस जलसे में मुख्य वक्ता प्रजा परिषद अध्यक्ष स्वामी कर्मानंद, हरिसिंह वकील,सचिदानंद व सत्यनारायण मलसीसर थे । इस पुस्तक की रचनाओं ने आन्दोलनों में जोश एवं चिनगारी का काम किया। हमीरवास जलसे की सम्पूर्ण पुलिस खुफिया रिपोर्ट बीकानेर पहुँचने पर तत्कालीन बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं इन्सपैक्टर जनरल आफ पुलिस ने मीटिंग कर 17 जून 1947 को भालोठिया जी के धारा 108 (सी. आर. पी. सी.) के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए गए । 25 सितम्बर, 1947 को भालोठिया की पुस्तक बागड़ मेल को बगावती, सरकार विरोधी एवं गैर कानूनी ठहराते हुए बीकानेर पब्लिक सेफ्टी एक्ट की धारा 16 के तहत बीकानेर रियासत ने इसे प्रतिबंधित करने का नोटिफिकेशन जारी किया एवं 4 अक्टूबर, 1947 को प्रकाशित बीकानेर राजपत्र में इस नोटिफिकेशन को छपवाया गया।

इस पुस्तक की लोकप्रियता का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह पुस्तक किसी के पास मिलने पर उसे 6 महिने की जेल की सजा एवं जुर्माने की घोषणा भी उक्त एक्ट की धारा 18 के तहत बीकानेर राजपत्र में रियासत ने करवाई थी। गिरफ्तारी वारंट, बागड़ मेल को प्रतिबंधित करन के आदेश, 4 अक्टूबर 1947 को प्रकाशित बीकानेर राजपत्र एवं रियासत में तीन वर्षों के दौरान विभिन्न जगहों पर मीटिगों में प्रमुख वक्ता के रूप में भाग लेने की इन्सपैक्टर जनरल आफ पुलिस की साप्ताहिक खुफिया रिपोर्टों का विवरण व बागड़ मेल की जब्त मूल प्रति आज भी बीकानेर सरकारी अभिलेखागार में उपलब्ध हैं। इसके अलावा आपकी पुस्तक आजादी की गूँज एवं जनता मेल की क्रान्तिकारी रचनाओं ने भी अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था।

== दोहा ==

विघ्न हरण मंगल करण सदा मोर जगदीश ।

जग पति निज पति छोड़ कर कहां झुकावें शीश ।।

भजन - 1

भगवान भारत देश की सुनाई करिये तू ।

अब तो इसकी दुखों से रिहाई करिये तू ।। टेक ।।

करो अब दुष्टों का आखिर, काट दो बंधन की जंजीर ।

उधम सिंह से सच्चे वीर, सिपाही करिये तू ।

लंदन में जा दुश्मन की सफाई करिये तू ।। 1 ।।

भेज कोई दयानंद सा माली, करे जो भारत की रखवाली ।

ग्रंथ मिटाकर जाली, वेद पढ़ाई करिये तू ।

विधवा दीन अनाथों की सहाई करिये तू ।। 2 ।।

नेताजी से वीर बना दे, जोश की घर-घर आग लगा दे ।

भारत आजाद करा दे, वो बलदाई करिये तू ।

आजादी की दिन दिन जोत, सवाई करिये तू ।। 3 ।।

आपस में लड़ लड़ के मरते, खुद अपनी बरबादी करते ।

तज राज को फिरते राम भरत से भाई करिये तू ।

सीता जैसी पतिव्रता लुगाई करिये तू ।। 4 ।।

करो वो लख संहारी बाण, कांपे जिससे सर्व जहान ।

इंग्लिस्तान में भारत की असनाई करिये तू ।

अर्जुन को अमेरिका का जमाई करिये तू ।। 5 ।।

आज होती हैं गऊ हलाल, करो पैदा कृष्ण गोपाल ।

धर्मपाल सिंह कुछ जाति की भलाई करिये तू ।

अपनी कौम की कभी मत बुराई करिये तू ।। 6 ।।

भजन – 2

जुल्मों की हद होली, भगवान बीकानेर में ।। टेक ।।


दिन दूने रात चौगुने जुल्म कमाये जा रहे ।

भोली जनता को आज डाकू लूट लूट के खा रहे ।

बना बना के टोली, भगवान बीकानेर में ।। 1 ।।

आज ठिकाने जुल्मों से जागीर बचाना चाहते हैं ।

मारपीट प्रजा की आवाज दबाना चाहते हैं ।

चले डंडे और लठोली, भगवान बीकानेर में ।। 2 ।।

कहीं पुलिस वाले गांव में लोगों को धमकाते हैं ।

अगर कोई जय हिंद बोले तो उसकी खाल उड़ाते हैं ।

पीट रहे दिन धोली, भगवान बीकानेर में ।। 3 ।।

एक रोज की बात कहूं जो जाती नहीं सुनाई ।

रायसिंहनगर में इकट्ठे होकर आए थे अन्यायी ।

वहां चली धड़ाधड़ गोली, भगवान बीकानेर में ।। 4 ।।

श्री स्वामी कर्मानन्द जी जो रियासत को जगा रहे ।

गांव गांव में घूम घूम कर पाठशाला खुलवा रहे ।

दे रहे शिक्षा अनमोली, भगवान बीकानेर में ।। 5 ।।

इसी लगन में छोड़ नौकरी चौधरी कुंभाराम फिरे ।

वीर मास्टर दीपचंद, प्रजा परिषद का काम करे ।

बना बना के टोली, भगवान बीकानेर में ।। 6 ।।

बुगला भक्त बना बैठा है, आज यहां का न्यायाधीश ।

कहे प्रजा के हक दे दूंगा लेकिन करै चारसो बीस ।

रहा पहर कपट की चोली, भगवान बीकानेर में ।। 7 ।।

चाहे कितने ही यतन करो, अब पाप का मटका फूटेगा ।

धर्मपाल सिंह बच्चा-बच्चा, जय हिंद करके उठेगा ।

खून बहे ज़्यूं रोली, भगवान बीकानेर में ।। 8 ।।

भजन – 3

अन्धा पीसे कुत्ते खा रहे आया वही जमाना ।

रियासत बीकानेर आज जुल्मों का बना खजाना ।। टेक।।

भोले भाले जमीदार दिन रात कमावें भाई ।

फिर भी बिचारे भोग रहे हैं दिन और रात तवाई ।

तरह-तरह के टैक्स लगाकर भारी लूट मचाई ।

गर अपने दुख रोवें तो कोई करता नहीं सुनाई ।

डाकू घर आज बने हुए हर एक तहसील और थाना ।। 1 ।।

आज यहां के जमीदार बेगुनाह सताये जाते ।

कई कई पीढ़ी के कब्जे बेदखल कराये जाते ।

रोजाना के नए-नए कानून बनाये जाते ।

कांगड़ में नंगे कर कर जूते मरवाये जाते ।

गोप सिंह जालिम ने वहां पर जुल्म किया मनमाना ।। 2 ।।

नाजिम और तहसीलदार, कहीं थानेदार सिपाही ।

गिरदावर पटवारी कहें, ना हमारी भेंट चढ़ाई ।

कहीं पर जागीरदार करें, जा गावों में मनचाही ।

खाने को प्रबंध कियो ना, बोतल नहीं मंगाई ।

थोड़ी सी म्हे अफीम खासी, बकरो एक कटवाना ।। 3 ।।

अब तक जुल्म सहे लेकिन ना अब यूं बात बनेगी ।

गांव-गांव में प्रजा परिषद की पंचायत बनेगी ।

मैदान में डट गए वीर तो दिन की रात बनेगी ।

धर्मपाल भी देखेंगे कितनी हवालात बनेंगी ।

महाराज को सोच समझ के चाहिये कदम उठाना ।। 4 ।।

भजन – 4

तर्ज-सांगीत- एजी एजी जगत में आयेगा तूफान ....

एजी एजी राज में बढ़ा जुल्म का जोर ।

कोने कोने में दुखों की घटा चढ़ी घनघोर ।। टेक ।।

जिनका कभी दुनिया में था चक्रवर्ती राज देख ।

इधर-उधर ऊपर नीचे उड़ते थे जहाज देख ।

अब वही हुये दाने-दाने को मोहताज देख ।

घी दूध तो मिले कहां मिलता ना अनाज देख ।

चक्की चूल्हा ऊखल मूसल ठाली पड़ा छाज देख ।

दुखिया किसानों की कोई सुने ना आवाज देख ।

चाहे कोई मचावे शोर ।। 1 ।।

जहां तहां देखें वहां बदमाशों की टोली दिखे ।

रायसिंह नगर में चलती गरीबों पर गोली दिखे ।

बीरबल से जवान की ना शक्ल अनमोली दिखे ।

राजगढ़ में किसानों पर बरसती लठोली दिखे ।

बहुत जुल्म सहे लेकिन जुल्मों की हद होली दिखे ।

जाग उठी सोती कौम बहुत दिन तक सोली दिखे ।

ना बचेंगे डाकू चोर ।। 2 ।।

अब तो रियासत भर में अपनी मांगों के ऐलान होंगे ।

अपनी शर्त के ऊपर डटे सब किसान होंगे ।

मैदान में डटे बच्चे बूढ़े और जवान होंगे ।

या तो मांग पूरी हो ना वीर बलिदान होंगे ।

जेलों में कोई फांसी पर कोई गोली के निशान होंगे ।

झण्डा होगा साथ में और हथेली में प्रान होंगे ।

कर दे लाशों का छोर ।। 3 ।।

किसानों के बच्चे बच्चे आन पर कुर्बान होंगे ।

देकर सिर का दान वीर जाति की शान होंगे ।

बाबूजी और कुंभाराम जेल में हनुमान होंगे ।

देख देख वीरता को जालिम सब हैरान होंगे ।

गांव-गांव में स्वामी कर्मानंद के व्याख्यान होंगे ।

साथ में धर्मपाल के भी आजादी के गान होंगे ।

होगी ढोलक की घोर ।। 4 ।।

भजन – 5

बीकानेर के वीर जवान, करके दुश्मन को ऐलान,

चलो आजादी के जंग में ।। टेक ।।

रियासत बीकानेर में आज, नहीं कोई जुल्मों का अंदाज ।। 1 ।।

हुकूमत गैर जिम्मेदार, इसी से हो रहे अत्याचार ।। 2 ।।

यह बनी डाकुओं की सरकार, करते खूब लूट और मार ।। 3 ।।

राजा डाकुओं का सरदार, छोड़े डाकू बेशुमार ।। 4 ।।

नाजिम और जागीरदार, नायब और तहसीलदार ।। 5 ।।

गिरदावर और पटवारी, कहीं थानेदार की मक्कारी ।। 6 ।।

तरह-तरह के टैक्स लगा, नर नारी सब किये तबाह ।। 7 ।।

कपड़ा चीनी तेल अनाज, कोई चीज ना मिलती आज ।। 8 ।।

जो कुछ आता है सामान, खा जाते डाकू बेईमान ।। 9 ।।

मिलकर सब मजदूर किसान, क्या हिंदू क्या मुसलमान।। 10 ।।

प्रेम के जत्थे बना बना, सत्याग्रह में नाम लिखा ।। 11 ।।

चलेंगे स्वामी कर्मानन्द , साथ मास्टर दीपचन्द ।। 12 ।।

चौधरी कुंभाराम चले, कर दुष्टों को बदनाम चले ।। 13 ।।

चलेंगे और कौमी सरदार, हनुमान का सब परिवार ।। 14 ।।

मत मुंह देखो मक्कार का, उस ख्याली सिंह गद्दार का ।। 15 ।।

धर्मपाल सिंह करके मेल, कर दो एकदम धक्का पेल ।। 16 ।।

भजन - 6

आज है कुर्बानी की, जरूरत बीकानेर में ।। टेक ।।


प्रजा के दुख दूर करें, इतना काम जरूर करें ।

राजा धर्म निशानी की, जरूरत बीकानेर में ।। 1 ।।

सूरजमल से वीर की, जवाहर सिंह के तीर की ।

किशोरी क्षत्राणी की, जरूरत बीकानेर में ।। 2 ।।

छोटू राम वजीर की, जोश भरी तकरीर की ।

छज्जू राम से दानी की, जरूरत बीकानेर में ।। 3 ।।

पाखंड का नाश किया, विद्या का प्रकाश किया।

दयानंद से ज्ञानी की, जरूरत बीकानेर में ।। 4 ।।

हिंदू मुसलमान पढ़ें, वेद और कुरान पढ़ें ।

सुभाष की कहानी की, जरूरत बीकानेर में ।। 5 ।।

बंदरों से करी लड़ाई थी और वीरता दिखाई थी ।

घर-घर झांसी रानी की, जरूरत बीकानेर में ।। 6 ।।

मोती और जवाहर बने, भगत सिंह सरदार बने ।

उस जोशीले पानी की, जरूरत बीकानेर में ।। 7 ।।

धर्मपाल सिंह आज बने, प्रजातंत्र राज बने ।

तेरी कड़कती वाणी की, जरूरत बीकानेर में ।। 8 ।।

भजन – 7

हो जाओ खड़े क्यों सुस्त पड़े आज बीकानेरी शेर ।। टेक ।।


आज सकल दुनिया का, हो रहा परिवर्तन भूगोल ।

लंदन वाले चले यहां से करके बिस्तर गोल ।

आज रह गई पीछे सबसे नीचे रियासत बीकानेर ।। 1 ।।

लुटे पिटे ना उठे जुटे और किया जरा ना ध्यान ।

गेर गेर के जाल आज तुम्हें लूट रहे शैतान ।

वीर जाग निंद्रा को त्याग यह वक्त मिले ना फेर ।। 2 ।।

अपना रूप पहचान के वीरो चलो जंग में आज ।

ठिकानों को समझ के चिड़िया, तुम बन जाओ बाज ।

लो चिड़िया पकड़ पंजों में जकड़ मत करो घड़ी की देर ।। 3 ।।

आज तुम्हारा हाल देखकर दिल है बिल्कुल तंग ।

रात और दिन तुम्हें लूट रहे हैं पापी दुष्ट मलंग ।

है दिल में दाग बंधन में बांध यह है कैसा अंधेर ।। 4 ।।

राम हिमाती हिम्मत का न्यूं दुनिया कहती आई ।

सत्य का बेड़ा पार हमेशा ऋषियों ने बतलाई ।

रणभोम समर में कसलो कमर और लो दुष्टों को घेर ।। 5 ।।

मैदान में आजाइयो वीरो जयहिंद बोल के ।

लालगढ़ में बड़ जाइयो छाती को खोल के ।

कहे धर्मपाल दो ठोक ताल, जालिम के बिखरजां बेर ।। 6 ।।

भजन – 8

सुनियो हिन्दोस्तानी भाई, हिन्दू मुसलमान ईसाई ।

बुरी गुलामी दुनिया में ।। टेक ।।

नहीं आज की बात कहन यह है सृष्टि की आदि का ।

बेइज्जती का हलवा कुछ ना, टूक भला आजादी का ।

पराधीन सपने सुख नाही, अब तक मिलती है चौपाई ।। 1 ।।

गैर करें बेइज्जती फिर भी तुम को शर्म रही ना क्या ।

जिनकी माता पड़ी जेल में उन बेटों का जीना क्या ।

आपस में कर करके लड़ाई, अपनी ताकत आप मिटाई ।। 2 ।।

लाहोर में सरदार भगत सिंह फांसी दे के मार दिया ।

जलियां वाले बाग में दुष्टों ने जुल्म गुजार दिया ।

डायर ने गोली चलवाई, सतरह सो की जान खपाई ।। 3 ।।

इसी फिकर में सुभाष बाबू गया जर्मन जापान में ।

भारत को आजाद बनाऊं लगा हुआ इस ध्यान में ।

आजाद हिंद फौज बनाई, दुष्टों की सब करो सफाई ।। 4 ।।

जीवे तो आजाद होकर जीना हिन्दोस्तान अब ।

धर्मपाल सिंह विदेशियों के पकड़ पकड़ के कान अब ।

बता दियो लंदन की राही, एक डटे ना लोग लुगाई ।। 5 ।।

भजन – 9

इतने दिन तनै ऐश करी, आज छूट रही सरदारी ।

बच्चा बच्चा हिंदुस्तानी, करता गैल हमारी ।

कुछ दिन और जीना चाहे ज्यान लगे तनै प्यारी ।

कहना मेरा मान कर, करले लंदन की तैयारी ।

जल्दी चाल ना चुगलें रोंगटे जितने गात में ।। 1 ।।

गेहूं चावल घी बूरा का वहां पर नाम नहीं ।

सेब संतरे अनार केले होते आम नहीं ।

सौंफ इलायची अंगूर और मिलते बादाम नहीं ।

सिवाय आलु खोदन के वहां दूजा काम नहीं ।

मोधा पड़ पड़ खाइये, आलू घाल परात में ।। 2 ।।

हिंदुस्तान में आज ऐसे वीर हो गए ।

गांधी जी और नेता से रणधीर हो गए ।

सुदर्शन और अर्जुन वाले तीर हो गए ।

जवाहरलाल फिर हिन्द के वजीर हो गए ।

अब धिकताना कर क्यों बट्टा लावे जात में ।। 3 ।।

भारत के घर-घर में आज स्वराज दिखाई दे ।

फौज के कर्नल ढिल्लन शाहनवाज दिखाई दे ।

कभी देश जो चिड़िया था वो बाज दिखाई दे ।

धर्मपाल का आवै बाजता साज दिखाई दे ।

रामस्वरूप भी आवेगा सजकर बरात में ।। 4 ।।

गयादत्त प्रेस, बाग दीवार, देहली ।

टाइटिल पेज-रघु प्रिंटिंग प्रेस देहली ।

पुस्तक मिलने का पता:

1. आर्य समाज लोहारु, राज्य लोहारु

2. आर्य जाट हाई स्कूल,बिरही कलां, पो. डालमिया दादरी (जींद)

3. चौ. भूपाल सिंह आर्य मु० चहड़ छोटी डा. लोहारु, राज्य लोहारु