Chahar Kalan
Chahar Kalan (चहड़ कला) is a village, in Loharu tahsil of Bhiwani district in Haryana.
Location
Pincode of the village is 127201. It is situated 24km away from Loharu and 50km away from Bhiwani. Chehar Kalan village has got its own gram panchayat. Bardu Chaina, Budhera and Sudhiwas are some of the nearby villages.
The founders
It is said to have been founded by two brothers of Sheoran gotra named 'Chachu'and 'Karan'. Karan was elder brother. Today this village is having 1500 houses out of which 98% belong to Sheorans.
History
India’s Freedom Struggle (1857-1947)
Arjunram: Belonged to v. Chahar Kalan, Loharu State (now teh. Loharu), distt. Bhiwani, Haryana; s/o Dharmpal; Jat (Sheoran); Lamburdar [Lambardår] and cultivator; 44 years old; actively involved in the kisan agitation, 1931-1935. Probably in 1931 he attended the kisan rally in Dobra (now in distt. Jhunjhunu, Rajasthan) where it was decided to set up a parallel government at Chahar Kalan ñ a place 20 miles away from the Loharu State headquarters. A confrontation soon started between the Nawab and the kisans when the parallel government opposed all Nawabi atrocities and refused to pay taxes (especially the Camel Tax) to the State. The Nawab retaliated through police action against the kisans, by beating them and burning their houses. Simultaneously the Nawab arrested 5 ring leaders of the kisans, including Arjunram, and put them behind the bars in the Loharu fort. Cruelly tortured in the prison, Arjunram died in detention in 1937. [F/Poll, F.No. 243-P(S), 464-P, and 674-P,1935, NAI; SBLI, pp. 238-39] [1]
लुहारु किसान आंदोलन
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....[पृ.500]: अतिशय रगड़ का जो फल होता है वही लोहारु का भी हुआ। सन् 1935 के आरंभ में वहां के किसानों ने निम्न मांगों के साथ आंदोलन आरम्भ कर दिया।
1. लगान 1909 के समझौते के नियमों के मुताबिक वसूल हो।
2. नवाब खानदान के विवाह प्रसंगों पर तथा हमारे
[पृ.501]: करेवा (विधवा विवाह) पर टैक्स न लिया जाए।
3. पशुओं पर टैक्स हटा दिया जाए।
4. मौरूसी हक फिरसे दे दिए जाएं।
5. नंबरदार का पद वंश परंपरागत है, इसलिए बिना किसी खर्च के नंबरदार के लड़के को नंबरदार बनने का अधिकार हो।
6. हिंदू नियम के अनुकूल विधवा विवाह के संबंध में राज्य का हस्तक्षेप ना हो।
7. राज्य की नौकरियों में हिंदुओं का भी हिस्सा हो ।
8. इनकम टैक्स ब्रिटिश सरकार के कानून के अनुसार वसूल किया जाए।
9. किसी के नि:संतान मरने पर उसकी संपत्ति उसके रिश्तेदारों को मिल जाए।
10. लगान साल में दो बार इकट्ठा किया जाए। फसलों के खराब होने पर माफी दी जाए।
11. राज्य के कर्ज को चुकाने के लिए प्रजा पर भार न डाला जाए। इसके लिए राज्य स्वयं अपने खर्च कम करें।
लोग साधारण तरीके से इकट्ठे होते थे और गांव-गांव में पंचायतें बना रहे थे कि नवाब लोहारू ने इस आंदोलन को हिंदू-मुस्लिम सवाल बनाकर आसपास के मुसलमानों को लोहारू कस्बे में इकट्ठा कर लिया। उधर भारत सरकार से गोरखों की फ़ौज बुला ली।
तारीख 4 अगस्त 1935 को चहड़ कला में तंबू डेरे पहुंच गए। तारीख 5 अगस्त 1935 को गोरखों की पलटन भी पहुंच गई। गांव का घेरा डाल दिया गया। तारीख 6 अगस्त 1935 को नवाब पहुंचा और उसके बाद ही एजीजी (पंजाब) की कार आई।
[पृ.502]: नवाब ने चहड़ के नंबरदार रामनाथ जी और सदाराम जी सिंघाणी के तिरखाराम और सरदाराराम जी तथा उदमीराम जी पहाड़ी को गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद गांव के शेष लोगों पर लाठीचार्ज का हुक्म दे दिया। पुलिस ने बड़ी बेरहमी के साथ लाठीचार्ज किया और सैकड़ों आदमी जमीन पर बिछा दिए। इसके बाद गांव की लूट की गई। सामान मोटरों पर लादकर लोहारू को भेजा जाने लगा! चौधरी सहीराम और अर्जुन सिंह के मकानों में पुलिस ने घुसकर नादिरशाही ढंग से लूट की। स्त्रियों को भी बेइज्जत किया। फर्श खोद डाले गए। छत्ते तोड़ दी गई। सवेरे के 9 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक यह लूटपाट जारी रही। उसके बाद पचासों आदमियों को गिरफ्तार किया गया।
उसके बाद तारीख 7 अगस्त 1935 को सिंघाणी पर नवाब ने हमला कराया। यहां फायर किया गया जिसे सैंकड़ों आदमी घायल हुए और पचासों मरणासन्न हो गए। गोली चलने का दृश्य बड़ा मार्मिक था। घायल पड़े-पड़े कराह रहे थे। वे पानी के लिए मुंह फाड़ रहे थे और बच्चे हाय-हाय करके रो रहे थे। स्त्रियां पागलों की भांति लाशों के ढेरों में अपने पतियों और बच्चों को ढूंढती फिरती थी। घायल लोग भिवानी के अस्पताल में पहुंचाए गए और जिनमें से कई की मृत्यु हो गई। घायलों में कई स्त्रियाँ भी थी। इस गोली कांड से सारे देश में तहलका मच गया। भाई परमानंद ने पंजाब के एजीजी को निष्पक्ष जांच के लिए एक पत्र लिखा। चौधरी लालचंद जी ने कहा जाट का जीवन ही इतना सस्ता है कि उस पर चाहे जब गोली चलाओ। पंडित नेकीराम शर्मा, ठाकुरदत्त भार्गव आदि ने भी वक्तव्य दिये।
[पृ 503]: चौधरी सर छोटूराम खुद लोहारू गए और हालात को देखा।
चहड़ और सिंहानी कांडों के बाद भी दमन का जोर रहा। नवाब और एजीजी पंजाब ने इसी हत्याकांड का औचित्य यह वक्तव्य देखकर करना चाहा कि जाट मुकाबले की सरकार बनाना चाहते थे। इन वक्तव्य का विरोध सेठ जमनालाल जैसे बड़े लीडरों ने भी किया।
इन कांडों के बाद पुलिस गांव में घूमकर काफी दिनों तक लोगों को डराती रही। सूबेदार दिलसुखराम जी के इनामी वारंट जारी कर दिए गए और चौधरी मनसा राम, चौधरी अर्जुनराम जी चहड़ वालों को गिरफ्तार किया गया। चहड़ खुर्द के पटवारी सुखराम को भी गिरफ्तार किया गया।
चौधरी समरथराम, सुंदरराम और रामलाल चौधरी के मकानों के ताले तोड़कर पीछे से लूट की गई।
जेलों में जो लोग डाले गए उनको बहुत तंग किया। चहड़ के चौधरी रामनाथ जी के तीन बार बेंतें लगाई गई। कुल गिरफ्तारियां 100 के करीब हुई थी जिन पर भारी-भारी जुर्माने किए गए और कुछ को लंबी सजाएं दी गई।
लोहारु के शहीद:
[पृ 503]: सिंहाणी गोलीकांड में जिन लोगों ने गोली खाकर बलि दी थी उनकी नामावली ‘गणेश’ अखबार के 6 सितंबर सन 1935 के अंक में इस प्रकार प्रकाशित हुई थी।
शहीद-1. लालजी वल्द कमला अग्रवाल वैश्य, 2. श्योबक्स हैंड वल्द धर्मा अग्रवाल वैश्य, 3. दुलाराम वल्द पातीराम जाट, 4. रामनाथ वल्द बस्तीराम जाट, 5. पीरु वल्द जीरान जाट, 6. भोला वल्द बहादुर जाट, 7. शिवचंद वल्द रामलाल जाट,
[पृ 504]: 8. बानी वल्द मामचंद जाट, 9. अमीलाल वर्ल्ड सरदार जाट, 10. गुटीराम वल्द मोहरा जाट, 11. शिवचंद वल्द खूबी धानक सिंघानी के, 12. पूरन वल्द चेता जाट, 13. हीरा वल्द नानगा जाट, 14. कमला वल्द गोमा जाट जगनाऊ के, 15. धनिया जाट, 16. रामस्वरुप जाट का लड़का गोठरा के, 17. अमी लाल पीपली माम्चन्द वल्द गोधा खाती सिंघानी, 18. सुंदरी वल्द झंडू जाट सिंघानी, 19. माला वल्द झादू सिंघानी
पचासों घायल आदमी भिवानी और हिसार के अस्पतालों में दाखिल किए गए। वह एक भयंकर समय था जब लोहारू के सैंकड़ों प्रजाजन भूख-प्यास से त्रस्त भीवानी और हिसार की सड़कों पर भटकते फिरते थे।
लोहारु की वास्तविक की स्थिति की जांच को ठाकुर देशराज जी ने पंडित ताड़केश्वर जी संपादक ‘गणेश’ और सरदार हरलाल सिंह जी को भेजा। उन्होंने भिवानी के अस्पताल में जाकर जो रिपोर्ट भेजी वह 20 सितंबर सन 1935 के गणेश में प्रकाशित हुई थी उसी के कुछ अंश यहां पर देते हैं।
यह लोग 7 सितंबर 1935 को भिवानी अस्पताल में पहुंचे। वहां पर उन्हें मालूम हुआ था, यहां 17 आदमी घायल अवस्था में दाखिल हुए थे। जिनमें से 3 आते ही मर गए। 11 वापस चले गए। शेष तीन में दो की हालत चिंताजनक थी। नोपाराम पुत्र उदमी राम जाट उम्र 24 साल की उस समय मरहम-पट्टी हो रही थी। इसके दाहिने पैर के घुटने में गोली लगी थी। नैना वल्द सोहन जाट को भी गोली लगी थी। धनीराम पुत्र भजना ब्राह्मण को कुछ होश था उसने बताया 28 आदमियों ने 6 अफसरों की कमान में डेढ़ सौ कदम के
[पृ.505]: फासले से गोली चलाई थी। मरने वालों में एक स्त्री भी थी।
यहां इन्हें यह भी मालूम हुआ कि सात घायल हिसार ले जाए गए थे। हिसार के घायलों में से एक स्त्री घायल की मौत हो गई।
मृतक लाशें ऊंटों पर लाई गई थी और घायल गाड़ियों तथा मोटरों में।
कुस लोगों ने काफी दिनों तक राणा प्रताप की तरह जीवन बिताया। झाड़ियों में रहकर रात और दिन काटे। भारत सरकार की ओर निगाह लगाई किंतु कहीं से उनकी सुनवाई नहीं हुई।
Jat Gotras
Population
(Data as per Census-2011 figures)
Total Population | Male Population | Female Population |
---|---|---|
4526 | 2363 | 2163 |
Notable persons
- Arjunram Sheoran - S/O Shri Dharmpal, Martyr in 1937 during India’s Freedom Struggle.
- Rajkumar Sheoran - Presntly working as govt. teacher, posted at headquater 'Behal'.
- Advocate Satish Chander - Punjab and Haryana High court's Legal consultant.
External Links
References
- ↑ Dictionary of Martyrs: India’s Freedom Struggle (1857-1947) Vol. I, Part II
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.500-505
Back to Jat Villages