Berdon Ka Bas

Berdon Ka Bas (बेरड़ों का बास) is a village in tahsil Osian, district Jodhpur in Rajasthan.
Founders
Bairad clan Jats founded it in 1748 AD.
Location
Jat Gotras
- Bairad (700 families)
History
बेरड़ों का बास गाँव का इतिहास
बैरड़ गोत्र के लोगों ने वि. स. 1805 (=1748 ई.) में बैरड़ो बास बसाया। यहाँ बैरड़ गोत्र के असराज के दो पुत्र लालाजी व पालाजी हुये। असराज ने आसोलाव तालाब बनाया जो वर्तमान बड़े बास तथा बाना बास के बीच स्थित है। इसे वर्तमान में अवला नाड़ी के नाम से जाना जाता है। इसे असराज जी बैरड़ ने वि. सं. 1700 (=1643 ई.) में खुदाया था। असराज वि. सं. 1753 (=1696 ई.) में वीरगति को प्राप्त हुये। उनकी मृत्यु पर उनके बेटों ने उनके द्वारा बनाए गए तालाब आसोलाव पर छतरी बनाई जो आज भी मौजूद है। [1]
असराज के दो पुत्र लालाजी व पालाजी हुये। लालाजी की शादी भणियाणा गाँव के निवासी सेंसाराम सारण की पुत्री पन्नी देवी के साथ हुआ। किसी आपसी रंजिस के कारण पालाजी ने अपने बड़े भाई लालाजी की हत्या कर दी। तब पन्नीदेवी पालाजी के वंश का नाश होने का स्राप देकर सती हो गई। यह छतरी बेरडो बास में मौजूद है। कहते हैं पन्नी देवी के श्राप के कारण पालाजी का वंश नष्ट हो गया। पालाजी के वंश में मात्र 7 घर ही बचे हैं। जो वर्तमान में बाड़मेर जिले के नांद गाँव में बस रहे हैं जो वर्तमान में दारामाणी कहलाते हैं। [2]
लालजी का परिवार विशाल रूप में फैला हुआ है। लालाजी के वंश की खूब बढ़ोतरी हुई। वर्तमान में लालाजी के वंश में राजस्थान में कोई 7 हजार परिवार फल-फूल रहे हैं। लालजी के तीन पुत्र हुये - 1. पिथाजी 2. सुजाजी 3. नेताजी. पिथाजी का परिवार वर्तमान में चेराई- बैरड़ो बास में बसा हुआ है तथा 6 धड़ों या खंडों में विभक्त है - 1. गंगाणी 2. रताणी 3. मुलाणी 4. तुलछाणी 5. लचिरामाणी 6. चेनाणी जो वर्तमान में चेराई- बैरड़ो बास में हैं। सुजाजी का परिवार भी वर्तमान में चेराई- बैरड़ो बास में है और तीन धड़ों या खंडों में विभक्त है - 1. बेगाणी 2. मेकाणी 3. मंदरूपाणी। नेताजी का वंश आगे नहीं बढ़ पाया। [3]

बेरडों का बास ओसियां तहसील जिला जोधपुर में बैरड़ जाटों के नाम से गांव बसा हैं । बेरड़ों का बास या बेरड़ों बास गाँव की स्थापना वि. सं. 1805 (=1748 ई.) में हुई। उस समय चेराई गाँव में ठिकानेदार मूल सिंह थे उनके समय में इस गाँव की स्थापना हुई। बेरड़ों बास गाँव की स्थापना के पूर्व ही गाँव में ब्राह्ममणी माता की मूर्ति वि. सं. 1532 (=1475 ई.) में स्थापित हो चुकी थी। जिस समय वि. सं. 1532 में कंवरपाल बेरड़ ने चेराई गाँव की स्थापना की थी उसी समय बेरड़ों बास गाँव में ब्राह्ममणी माता की मूर्ति वि. सं. 1532 (=1475 ई.) में स्थापित की। उस दिन चैत्र सुदी 8 का दिन था। उस समय ब्राह्ममणी माता का छोटा सा मंदिर था। जिस समय बेरड़ों बास गाँव की स्थापना हुई थी उसके पूर्व यहाँ नागेश्वर भगवान ने जीवित समाधि ली थी। इसलिए बेरड़ों ने ब्राह्ममणी माता और नागेश्वर को अपना ईष्ट देव मान लिया। बेरड़ों ने यहाँ एक कुएं का निर्वाण कराया जो आज भी विद्यमान है। कुए पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। इस कुए को बनाने का श्रेय भैया राम बेरड़ को जाता है जो इस समय बलाऊ जिला बाड़मेर में बसे हुये हैं।[4]

बेरड़ों बास गाँव में पहले बेरड़ों की संख्या कम थी परंतु जनसंख्या बढने के साथ ही उनका विस्तार अन्य क्षेत्रों में हुआ। बेरड़ों बास गाँव में बेरड़ों के 700 परिवार हैं। बेरडों का बास ग्राम पंचायत में वार्ड न. 6 रतानियो की ढाणी में बैरड़ समाज के 440 घर हैं। बेरड़ों की आर्थिक स्थिति अच्छी हुई तथा इन्होने बेरड़ों बास गाँव में नागेश्वर भगवान और ब्राह्ममणी माता के भव्य मंदिर बनाए हैं। यहाँ पर वीर तेजा स्टेडियम का भी सन् 2014 से निर्माण शुरू हुआ है। बैरड़ जाति के द्धारा निर्मित माँ ब्राह्मणी देवी और नागेश्वर महादेव मंदिर ओसियां की माँ सच्चियाय मंदिर के बाद सबसे प्रसिद्ध हैं ।[5]
ब्राह्ममणी माता मंदिर - बेरड़ों में ब्राह्ममणी माता को कुलदेवी माना गया है। बालक का मुंडन संस्कार ब्राह्ममणी माता मंदिर में होता है जिसे जडूला कहते हैं। ब्राह्ममणी माता को मीठे दलिए का भोग लगाया जाता है। शादी के बाद जागरण भी ब्राह्ममणी माता के मंदिर में ही होता है। नवरात्रा में एकम से लेकर अष्टमी तक ब्राह्ममणी माता की स्तुति की जाती है। ब्राह्ममणी माता में मूर्ति स्थापना वि. सं. 2059 (=2002 ई.) में की गई थी। बाहर से आने वाले भक्तों के लिए यहाँ सराय बन रही हैं। ब्राह्ममणी माता की पूजा वर्तमान में संतोष महाराज करते हैं। [6]

नागेश्वर भगवान मंदिर - बेरड़ों ने जब बेरड़ों बास आबाद किया उस समय एक नागा साधू यहाँ रहते थे। वे शिव के भक्त थे तथा गले में जीवित नाग रखते थे। वि. सं. 1805 में इस गाँव की नींव रखी गई थी उससे पहले नागा साधू ने जीवित समाधि ली थी। उस दिन श्रावण मास दिन 13 सोमवार था।उस दिन से बेरड़ों द्वारा नागेश्वर भगवान को ईष्ट देव मानकर पूजा शुरू की। बेरड़ों ने मिलकर सन 2005 में जीवित समाधि के स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण किया। नागेश्वर भगवान की पूजा गोस्वामी द्वारा की जाती है। [7]
उपरोक्त जानकारी 'बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास' से ली गई है,
लेखक परिचय
अमेश बैरड पुत्र श्री फत्ताराम जी बैरड, रतानियो की ढाणी, ग्रा. पो. बेरडों का बास, तहसील ओसियां, जिला जोधपुर, Abairad36@gmail.com, Mob: 9602695924
Population
Notable persons
- अमेश बैरड़ पुत्र श्री फत्ताराम जी बैरड, रतानियो की ढाणी, ग्रा. पो. बेरडों का बास, तहसील ओसियां, जिला जोधपुर, Abairad36@gmail.com, Mob: 9602695924
- Prem Singh Bairad - President Govt. College Osian , VPO: Berdon Ka Bas , Teh. Osian , dist. Jodhpur
- Hamir Singh Berad - हमीरसिंह बेरड़ सुपुत्र श्री कानाराम बैरड़ गांव बैरडो का बास, तहसील ओसियां, जोधपुर। 32,000 रु का दान दिया जाट धर्मशाला हरिद्वार
External links
References
- ↑ अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7
- ↑ अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7
- ↑ अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ.7
- ↑ अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ. 11
- ↑ अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ. 11
- ↑ अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ. 11
- ↑ अमेश बैरड:बेरड़ जाति का गौरवपूर्ण इतिहास, पृ. 12
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