Bhaarat

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परमाणु बम
लेखक
पृथ्वीसिंह बेधङक



भारत


लूट लिया तेरा डाग भारत

फ़ल खा रहे हैं काग भारत

मुद्दत हो गई जाग भारत


नींद में नाश हुआ


विदेशी विद्या पढने आते

तेरे आकर चरण दबाते


गाते तेरे राग भारत

पूजे तेरी पाग भारत

अब हो गया निर्भाग भारत


गैर का दास हुआ


यहाँ पर ऎसे ऎसे होंगे

तेरी शान पर सब कुछ खोंगे


धोंगे तेरे दाग भारत

भगतसिंह से बाघ भारत

गुल हो गया चिराग भारत


बन्द प्रकाश हुआ


बचत का सच्चा वीर सिपाही

जिससे कुछ आजादी आई


जिसने लाई आग भारत

अपने घर से भाग भारत

कर तुमसे अनुराग भारत


गुप्त वो सुभाष हुआ


पृथ्वीसिंह निसदिन चिल्लाता

कोई ना इसकी धीर बंधाता


माता गऊ आज छाग भारत

मार के खा गये जाग भारत

सुना खावन लागे डाग भारत


अब पर्दा फ़ाश हुआ



Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह

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