Bharat Ke Sadhuo
भारत के साधुओ तुम भी कुछ करो
कुछ न कर सकते तो कहीं डूब के मरो
भारत के साधुओ
भांग सुल्फ़ा चरस पी के क्या कर लिया जी के
घी के न हाथ लगाया मदिरा से मुँह भरो
भारत के साधुओ
रास्ता दिखाके सत्य का करना है भला जगत का
भारत का बाग सूखा अब खून से भरो
भारत के साधुओ
जिस वक्त चलोगे मिलके गिर जायेंगे पहाङ खिलके
रल मिल के सब विदेशी अब अपने जा धरो
भारत के साधुओ
करुणा वतन पे करना बेधङक बन विचरना
मरना सब को एक दिन मत मौत से डरो
भारत के साधुओ
Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह |
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