Bhilangna River

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(Redirected from Bhil Ganga)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Map showing the Himalayan headwaters of the Bhagirathi river. The numbers in parentheses refer to the altitude in meters.

Bhilangna River (भिलंगना नदी) is a Himalayan river in Uttarakhand, India, which is the major tributary of the Bhagirathi river, the source stream of the Ganges River of India. Bhilangana is a combination of Bhil and Ganga.[1]

Variants

Course

The mainstem, Bhilangna, rises at the foot of the Khatling Glacier (elevation 3,717 m) approximately 50 km south of the ice cave at Gaumukh, traditionally considered the source of both the Bhagirathi and the Ganges and flows into the Bhagirathi at Old Tehri, the site of the Tehri dam. It meets its major tributary the Bal Ganga at Ghansali (elevation 976 m).

The Bal Ganga, whose headwaters are formed at the foot of Mount Kukhli Dhar (elevation 4,600 m), itself has a minor tributary, the Dharam Ganga, which meets it at Thati Kathur (also Budha Kedar) at elevation 1,524 m.

The Khatling trek route passes alongside the Bhilangna, starting from the last point accessible by road, Ghuttu, until the glacier, which stands at 3700 metres. If one were to go further on the trail past the glacier, one could reach Kedarnath.

History

किलकिलेश्वर महादेव, चौरास श्रीनगर

किलकिलेश्वर महादेव, चौरास श्रीनगर

गढ़वाल के पांच महातम्यशाली शिव सिद्धपीठों किलकिलेश्वर, क्यूंकालेश्वर, बिन्देश्वर, एकेश्वर, ताड़केश्वर में किलकिलेश्वर का प्रमुख स्थान है। श्रीनगर के ठीक सामने अलकनन्दा के तट पर विशाल चट्टान पर स्थित यह मन्दिर युगों से अलकनन्दा के गर्जन-तर्जन को सुनता आ रहा है।

श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मन्दिर की तरह ही किलकिलेश्वर मन्दिर मठ की प्राचीनता और मान्यता पौराणिक है। केदारखण्ड पुराण से प्राप्त वर्णन के अनुसार महाभारत काल में पाशुपत अस्त्र की प्राप्ति के लिये अर्जुन ने इन्द्रकील पर्वत पर तपस्या की थी। अर्जुन के पराक्रम की परीक्षा लेने के लिये भगवान शिव ने किरात (भील) का रूप धारण कर अर्जुन से युद्ध किया था। युद्ध के समय शिव के किरात रूपी गणों के किलकिलाने का स्वर चारों ओर गूंजने लगा। अत: यह स्थान किलकिलेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुआ।

भागीरथी का एक नाम किराती था उसकी प्रमुख सहायक भिलंगना (भील-गंगा) और अलकनन्दा के मध्यवर्ती क्षेत्र में भील राज्य था और यह पूर्णतया संभव है कि उत्तराखण्ड आगमन में अर्जुन का संघर्ष सुअर का शिकार करते हुये भीलों से हुआ होगा। वर्तमान मन्दिर निश्चित रुप से विशाल मन्दिर है। गर्भगृह के तीन और प्रवेशद्वार है, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर। क्योंकि पश्चिम दिशा के प्रवेशद्वार के शीर्ष पर निर्माण शिलालेख लगा है अत: इसे ही मुख्य द्वार कहेंगें। मन्दिर में भैरवलिंग स्थापित हैं। मुख्य मन्दिर के अन्दर आठ इन्च ऊचें शिवलिंग के चारों तरफ़ लकड़ी के आठ खंभों पर काष्ठ का एक बहुत ही सुन्दर मन्दिर बना है। मन्दिर के अन्दर गणेश श्री की ढाई फीट ऊंची चतुर्भुजी मूर्ति अति सुन्दर है। मन्दिर परिसर में ही पूर्व दिशा की ओर मुंह किये पूंछ को अग्रीव उठाये हुये एक उन्नत सिहं लगभग एक हजार वर्ष की प्राचीनता का स्मारक है।[2]

External links

References

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