Champawat
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Champawat (चंपावत) is a city and district of Uttarakhand state in northern India. The district of Champawat was constituted in the year 1997.
Variants
- Champavata (चंपावत) (AS, p.824)
Location
Champawat district is part of the eastern Kumaon division of Uttarakhand. It is bounded on the north by Pithoragarh district, on the east by Nepal, on the south by Udham Singh Nagar district, on the west by Nainital district, and on the northwest by Almora district.
Tahsils
The district is divided into five tehsils: Barakot, Lohaghat, Pati, Purnagiri.
History
चम्पावत परिचय
चम्पावत टनकपुर से 75 किमी की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग कि किनारे उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह स्थल ऐतिहासिक होने के साथ साथ अत्यंत मनोहारी एवं नैसर्गिक छटासे परिपूर्ण है स्रथल के नजदी मानेश्वर की चोटी से भव्य हिम श्रंखलाओं का मन भावन दृष्य पर्यटकों कों अपनीओर आकर्षित कर लेता है पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। यह नगर समुद्र तल से लगभग 1.6 किमी की ऊँचाई पर स्थित है।
उत्तराखण्ड की राज्य में प्रशासनिक सुविधा के उद्देश्य से दो मुख्य संभाग (मंडल) बनाऐ गये हैं गढ़वाल तथा कुमाऊँ। कुमाऊँ संभाग (मंडल) में नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत तथा ऊधमसिंह नगर जनपद सम्मिलित हैं जबकि गढ़वाल संभाग में पौडी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, देहरादून, चमोली, रुद्रप्रयाग तथा हरिद्वार जनपद शामिल है।
इतिहास: चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चम्पावत नगर में कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा स्थापित तेरहवीं शताब्दी का बालेश्वर मंदिर तत्काली शिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह यहाँ आये थे. यह स्थल पूर्व मे ऐंग्लो इन्डियन कालोनी के रूप में विद्यमान रहा है। जनपद चम्पावत के टनकपुर उप संभाग के पर्वतीय अंचल में स्थित अन्नपूर्णा चोटी के शिखर में लगभग 3000 फिट की उंचाई पर पूर्णागिरि शक्ति पीठ स्थापित है। जनश्रुति है कि यहां आदिगुरु गोरखनाथ की धूनी सतयुग से लगातार प्रज्वलित है। किंवदंती है कि यहां पर कृष्ण के द्वारा अपने पौत्र का अपहरण किये जाने से क्रुद्ध होकर वाणासुर का वध किया गया था।
संदर्भ: भारतकोश-चम्पावत
Gallery
-
Bhaskar.20.05.2024