Chopra Choubisa
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Chopra Choubisa (चोपड़ा चौबीसा) is a village in Jabera tahsil in Damoh district of Madhya Pradesh. It is site of Chopada Pati Inscriptions of of 1256, 1497 AD of the reign of Narsimhadeva (नरसिंहदेव) and other record dated in samvat 1554 (1497 AD) mentioning the name of Sultan Gayas Shah of Mandogadh (Mandu) and mentioning Damanakanagara (दमनकनगर ) Mukte (Jagir) which appears to be the old name of Damoh.[1]
Variants
- Chopra Choubisa (चोपड़ा चौबीसा)
- Chandi Chopada (चंडी चोपड़ा)
- Chopada Pati (चोपड़ा पटी)
Location
Chopra Choubisa is a small Village/hamlet in Jabera Tehsil in Damoh District of Madhya Pradesh State, India. It comes under Chopra Choubisa Panchayath. It belongs to Sagar Division . It is located 35 KM towards East from District head quarters Damoh. 5 KM from Jabera. Ghanamaili ( 6 KM ) , Sagra ( 8 KM ) , Richhai ( 9 KM ) , Patnamangarh ( 9 KM ) , Imaliya ( 10 KM ) are the nearby Villages to Chopra Choubisa. Chopra Choubisa is surrounded by Damoh Tehsil towards west , Patera Tehsil towards North , Tendukheda Tehsil towards South , Majhouli Tehsil towards East.[2]
Origin
Jat Gotras Namesake
- Chopra (चोपड़ा) (Jat clan) → Chopra Choubisa (चोपड़ा चौबीसा). Chopra Choubisa is a village in Jabera tahsil in Damoh district of Madhya Pradesh. It is site of Jaina temple and find place of Chopada Pati Inscriptions of of 1256, 1497 AD of the reign of Narsimhadeva (नरसिंहदेव) and other record dated in samvat 1554 (1497 AD) mentioning the name of Sultan Gayas Shah of Mandogadh (Mandu) and mentioning Damanakanagara (दमनकनगर ) Mukte (Jagir) which appears to be the old name of Damoh.[3]
History
(102) Chopada Pati Inscriptions of of 1256, 1497 AD
Source - Inscriptions in the Central Provinces and Berar by Rai Bahadur Hira Lal, Nagpur, 1932,pp.57-58
[p.57]: Chopada Pati (चोपड़ा पटी) also known as Chandi Chopada is 20 miles from Damoh. There is a temple here in which a big idol has on its pedestal an inscription of none lines dated in what appears to be samvat 1313 (=1256 AD) during the reign of Narsimhadeva (नरसिंहदेव). On a wall of this temple there is another record dated in samvat 1554 (1497 AD) mentioning the name of Sultan Gayas Shah, [p.58]: of Mandogadh (Mandu) and mentioning Damanakanagara (दमनकनगर ) Mukte (Jagir) which appears to be the old name of Damoh.
Wiki editor Note:
- Chopra (चोपड़ा) (Jat clan) → Chopra Choubisa (चोपड़ा चौबीसा). Chopra Choubisa is a village in Jabera tahsil in Damoh district of Madhya Pradesh. It is site of Jaina temple and find place of Chopada Pati Inscriptions of of 1256, 1497 AD of the reign of Narsimhadeva (नरसिंहदेव) and other record dated in samvat 1554 (1497 AD) mentioning the name of Sultan Gayas Shah of Mandogadh (Mandu) and mentioning Damanakanagara (दमनकनगर ) Mukte (Jagir) which appears to be the old name of Damoh.[4]
Digamber Jain Temple in Chopra Choubisa, Damoh
मध्य प्रदेश के दमोह जिले में तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर से 55 किमी दूर, एक महा अतिशयकारी तीर्थ क्षेत्र स्थित है। ग्राम चंडी चोपड़ा, जिसे लोग चोपड़ा चौबीसा के नाम से भी जानते हैं । जहां भगवान शांतिनाथ की खरगासन में पाषाण प्रतिमा सदियों पुरानी है. किंतु यह तीर्थ क्षेत्र दमोह जबलपुर स्टेट हाईवे से हटकर होने के कारण उतना प्रकाश में नहीं आ पाया ना ही इस का समुचित विकास हो पाया। इस अति प्राचीन मंदिर का अतिशय यह है कि मंदिर जी के शिखर से बूंद बूंद गंधोदक भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा के सामने गिरता है। विश्व वंदनीय जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनि राज ने ससंघ कई बार बिहार दौरान इस तीर्थ क्षेत्र मैं भगवान शांतिनाथ के दर्शन किए हैं। हालांकि अब यह तीर्थ क्षेत्र विकास की ओर अग्रसर है। चोपरा ग्राम के मंदिर जी में कई प्राचीन शिलालेख पाये गए है । मंदिर जी का निर्माणकाल नवमी सदी का है । यहाँ कुल सात प्रतिमाये पाषाण की प्राचीन है जिनमे से दो पद्मासन है । खड्गासन प्रतिमाओ की ऊंचाई 4 फ़ीट तक है । मूलनायक प्रतिमा जी शांतिनाथ प्रभु की है । यहाँ की प्रतिमाओ की रचना राजा नरसिंहदेव के काल की है तथा मंदिर की रचना सुल्तान गयाशाह के काल की है । कहा जाता है की आसपास के 1384 ग्रामों में ऐसा मंदिर और प्रतिमायें यही है । यहाँ के अतिशय के बारे में कहा जाता है की कई सदियों पहले यहाँ मंदिर जी में बारह महीने केसर की या पानी की बूंदो की वर्षा हुआ करती थी । ऐसा कई वर्षो तक हुआ।
समय के थपेड़ो ने इस मंदिर को खंडहर बना दिया किन्तु प्रतिमायें सुरक्षित रही । आज से 200 वर्ष पहले इस मंदिर जी के हालत काफी ख़राब हो गयी थी किन्तु कालांतर में यहाँ दक्षिण से आये एक मुनि सूर्यसागर जी ने संवत 1927 में इस मंदिर जी के जीर्णोद्धार की प्रेरणा दी और यहाँ के और आसपास के कुछ व्यापारियों ने इस मंदिर जी का जीर्णोद्धार कराया। आज ये मंदिर और प्रतिमाये अपने प्राचीन वैभव की गौरव गाथा याद दिला रही है ।
External links
References
- ↑ Inscriptions in the Central Provinces and Berar by Rai Bahadur Hira Lal, Nagpur, 1932,pp.57-58
- ↑ http://www.onefivenine.com/india/villages/Damoh/Jabera/Chopra-Choubisa
- ↑ Inscriptions in the Central Provinces and Berar by Rai Bahadur Hira Lal, Nagpur, 1932,pp.57-58
- ↑ Inscriptions in the Central Provinces and Berar by Rai Bahadur Hira Lal, Nagpur, 1932,pp.57-58