Chuna Ram Khicar

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Chuna Ram Khicar (1912 -1989) was from village Gunathoo, tahsil and district Sikar, Rajasthan. He had joined the army of Jaipur state on 4/1/1931 and took part in many international wars fighting for British India. He was awarded with African Star Medal, Italy Star Medal, Defender Star Medal etc for his acts of bravery in these wars.

जीवन परिचय

चुनाराम जी खीचड (1912 -1989) चुनाराम जी खीचड का जन्म, शयोजीराम जी खीचड के घर श्रीमती किसनी देवी की कौख से, उस समय के राज्य जयपुर स्टेट जिला झुन्झुनू तहसील सीकर पोस्ट आफिस लोसल के गाँव गुनाठु में ई.सन 1912 में (वर्तमानजिला सीकर ,राजस्थान) में हुआ था | चुनाराम जी खीचड के एक बडे भाई बुधाराम जी व दो बडी बहन सेऊ देवी व भोपाली देवी और एक छोटे भाई भीवाराम जी व दौ छोटी बहने अनची देवी व छोटी देवी थी | उनके बडे भाई का जन्म ई.सन 1903 में हुआ था |

चुनाराम जी खीचड का विवाह नंदाराम जी बेरवाल की पुत्री सुन्दर देवी निवासी परडोली छोटी (वर्तमान जिला ,सीकर) से ई.सन 1918 में हुआ था | इनके सुन्दर देवी से एक पुत्र नारयणा राम खीचड हुए |

चुनाराम जी खीचड की लम्बाई 5'_8" व कद गठीला,ताकतवर व स्वभाव जौशीला था| वे अपने समकालीन संत बाबा सुखदास जी (खीचड) के साथ कुश्ती किया करते थे |

जयपुर स्टेट की सेना में भर्ती

चुनाराम जी खीचड 4/1/1931 को 19 साल की उम्र मे जयपुर स्टेट की 1st बटालियन जयपुर इनफेन्टरी की 'C' कम्पनी में सिपाही के पद पर भरती हो गये| उनकी योग्यता को देखते हुये अंगरेजों ने जयपुर स्टेट से ब्रिटिश इंडिया फौज में सम्मिलित कर युद्ध लडने के लिये 31/7/1940 को जयपुर छोड 19/2/1941 को बम्बई पहुचे | वहाँ से वे 8/3/1941 को मिश्र (Egypt) पहुंचे व युद्ध में भाग लिया| इस तरह उन्होने गोरों की फौज की तरफ से जर्मनी सहित कई देशों में युद्ध लडे|

युनेष्को की तरफ से वो वापस 18/12/1942 को जयपुर पहुचे| उन्होने 19/3/1943 को एक बार फिर ब्रिटिश इंडिया फौज की तरफ से लडने के लिये जयपुर छोडा व 25/3/43 को दूसरे देशों में पहुंचे व युद्धों में भाग लिया| युद्धों में भाग लेने के पश्चात 6/4/1943 को वापस अपने देश जयपुर पहुचे|

इस तरह युद्धों में भाग लेने के कारण वे वे एक लम्बे समय लगातार 8 साल तक अपने गाँव गुनाठु आकर अपने परिवार से नहीं मिल सके थे| उनके वापस आने पर उनके एक पुत्री जीवणी देवी का जन्म हूआ| जिनका विवाह गाँव कयामसर (नागौर,राजस्थान) के हीरसिंह खोखर के साथ हुआ था | हीर सिंह खोखर भी भारतीय सेना में विख्यात निशानेबाज थे| उनके नाम से हरियाणा में एच.एस.खोखर स्टेडियम बना हुआ है|

चुनाराम जी खीचड 34 साल की उम्र में 1/3/1946 को लासनायक के पद से 15 साल 1 माह व 27 दिन की सेवा के बाद रिटायरमेंट हुये |

इनके लडके नारायणा राम जी का विवाह सालासर के ढाका परिवार की पुत्री सुगना देवी से हआ था | जिनसे तीन लडके पीथाराम, नोपाराम, रामअवतार हुये |

चुनाराम जी खीचड ने फौज में रहते हुये ,दिनांक 22/10/1933 को 3rd कक्षा की परीक्षा पास की |उनकी व्यवहार कुशलता व बहादुरी को देखते हुये 4/1/1933 से 1रुपया ,4/1/1935 से 2 रुपया व 4/1/1937 से 3 रुपया तनखवाह से अतिरिक्त मिलते थे (good conduct pay). उन्होने फौज में रहते हुये 30/10/1943 को क्लास 1st से ड्राइवर कम मैकेनिक की दक्षता भी हासिल की थी | उनके जौशिले स्वभाव अनुसार वे एक बार 27/5/1942 को W.D.वाहन न. Z 45/ 8581 को निर्धारित गति 30 माइल से अधिक तेज चलाने पर ,उनके कम्पनी कमाण्डर ने उनको 4 दिन की C.L. दे दी थी |

सम्मान

ब्रिटिश इंडिया फोज की तरफ से अनेक देशों में युद्ध लड़ने के कारण उनको, ईटली स्टार (o.n. 02E 31/44) , अफरीकन स्टार व डिफेन्डर स्टार (2/11/45) आदि अनेक मैडलों से सम्मानित हुये |

देहान्त

उनका 13/1/1989 में 77 साल की आयु में देहान्त हो गया |

स्रोत

जानकारी के स्रोत - प्रबोध खीचड़, खीचड़ों की ढाणी, बछरारा, रतनगढ़, चुरू, राजस्थान द्वारा ई-मेल से उपलब्ध कराई है। (Mob: 9414079295, Email: prabodhkumar9594@gmail.com)

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