Dada Bastiram
The famous Arya Samaj preacher Dada Bastiram was born in village Kheri Sultan which is now in district & tahsil Jhajjar of Haryana.
Bastiram was a highly learned Brahmin and had sought education in various Sanskrit institutions at Varanasi. When he met Swamy Dayanand in the year 1880, he vowed to dedicated his whole life for preaching Arya Samaj values in remote villages. The blind man Bastiram roamed from village to village in Punjab, specially present Haryana, Western Uttar Pradesh and Rajasthan. Dada Bastiram lived a long life (117 years) and breathed his last in 1959.
Like Swamy Dayanand, Dada Bastiram was also great admirer of Jat community which is naturally dedicated to Vedas and Vedic principles.
Whosoever listened to his preachings, got rid of social evils like superstition being spread by the then selfish Brahmins, the Sati tradition, illiteracy among womenfolk, dowry system etc.
Some of his poems/ Bhajans can be read on this link at Jatland.com - दादा बस्तीराम जी के चंद भजन
--Dndeswal (talk) 02:47, 21 September 2016 (EDT)
संक्षिप्त परिचय
जन्म
प्रसिद्ध आर्य समाज के उपदेशक पंडित बस्तीराम का जन्म लगभग 1842 ई. ग्राम खेड़ी सुल्तान में हुआ था। जो अब हरियाणा के तहसील और जिला झज्जर में है। पंडित बस्तीराम को दादा बस्तीराम के नाम से भी जाना जाता है।
शिक्षा
बस्तीराम एक उच्च शिक्षित ब्राह्मण थे और उन्होंने वाराणसी में कई संस्कृत संस्थानों में शिक्षा ग्रहण की थी।
योगदान
जब वह 1880 में स्वामी दयानंद से मिले, तो उन्होंने सुदूर गांवों में आर्य समाज के लिए प्रचार करने की कसम खाई। एक अंधा आदमी बस्तीराम पंजाब से गाँव-गाँव घूमता रहा, विशेष रूप से हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान।
जिसने भी उनके उपदेशों को सुना, सामाजिक कुरीतियों से छुटकारा पाया, जैसे कि उस समय के स्वार्थी ब्राह्मणों द्वारा फैलाया जा रहा अंधविश्वास, सती प्रथा, महिलाओं के प्रति अशिक्षा, दहेज प्रथा आदि।
दादा बस्तीराम के कुछ ‘भजन’ भी हैं। ये भजन वास्तव में हरियाणवी भाषा में नहीं हैं, बल्कि यस्टर-वर्षों की शुद्ध हिंदी में हैं। ये भजन इस प्रकार से है –
सोच समझ कर ठहर बटेऊ, जगह नहीं आराम की….।। देखो भी लोगो कैसे अचम्भे की बात….।। ऐरी मेरी भारत भूमि किस पर करे तू गुमान…..।।
मृत्यु
पंडित बस्तीराम ने 117 वर्ष एक लंबा जीवन जिया और 1959 में अंतिम सांस ली।
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External Links
References
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