Desh Me
दुध दही की भारत में है पहरेदार बिल्लाई
शेरों के मकानों में है गीदङ की चारपाई
मेरा प्यारा देश कमावे दुनियाँ बैठे बैठे खावे
देशभक्त को फांसी आवे ठगों के गलन कढाई
घर वाले भूखे मरते हैं लेकिन गैर मौज करते है
केहरी गीदङ से डरते है ये कैसी खुदा खुदाई
बहादुर जाती जागिये अब आलस्य को त्यागिये
मैदान छोङ मत भागिये दिखलाईये वीरताई
अपनी एक बनालो सेना दूध पानी की तरह रहना
पृथ्वीसिंह को यह मत कहना पहले नहीं बताई
Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह |
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