Dool Singh Mahla
Dool Singh Mahla (दूलसिंह महला) was a Professor in Pilani College. He was from village Disnau, Laxmangarh, Sikar, Rajasthan. He played an important role in spreading education in the area. He was younger brother of Khadag Singh Mahla, who was an Advocate and Freedom fighter of Shekhawati farmers movement. [1] He motivated Ghasi Ram Verma for advance research in Mathematics.
जीवन परिचय
'हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में कोई दीदावर पैदा!'
किसी शायर की इन पंक्तियों के जरिए अपने ज़माने के प्रख्यात शिक्षाविद् एवं स्वनिर्मित व्यक्तित्व के धनी स्व. डाॅ. (प्रोफैसर) दूलसिंह जी की 10 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धावनत हो कर स्वर्गीय विभूति को भावांजलि अर्पण है! श्रद्धा सुमन समर्पण है!
विगत वर्षों में श्रद्धांजलि के साथ साथ शिक्षा पर व्याख्यान माला का आयोजन भी होता रहा है। कोविड -19 से उपजी विकट परिस्थितियों के चलते शासकीय एडवाइजरी की पालना करने, मानवीय मर्यादाओं का ख्याल रखने तथा सार्वजनिक हित को दृष्टिगत रखने के लिए औपचारिक कार्यक्रम नहीं रखा गया बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म्स के माध्यम से महान विभूति को भावांजलि अर्पित करना ही उचित समझा गया। इस वर्ष भी किन्हीं मजबूरियों के चलते पूर्व परम्परा का निर्वहन नहीं किया जा सका।अस्तु, नई पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए आज हम प्रोफैसर दूलसिंह जी के बारे में जानेंगे और याद करेंगे।
आपका जन्म शेखावाटी परिक्षेत्र की लक्ष्मणगढ तहसील के ग्राम दिसनाऊ में कोई एक शताब्दी पूर्व चौ. हुकुम सिंह और मातुश्री वीरां देवी के घर हुआ। आप आठ बहन भाइयों में सातवें थे। उनके भाई चौधरी खड़गसिंह जी एक स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवक रहे हैं।
प्रारम्भिक शिक्षा पेड़ों की बदलती छांव तले तो उच्च शिक्षा पिलानी में हुई। आपका अकादमिक कॅरियर बेमिसाल रहा है।एम.काॅम.और पीएच. डी. तक आप डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद जी की तरह हमेशा फर्स्ट क्लास व गोल्ड मेडलिस्ट रहे। किसी भी परीक्षा में आप दूसरे नम्बर पर कभी नहीं रहे। आप तीव्र बुद्धि और अद्भुत स्मरण शक्ति से सम्पन्न थे। सच्चाई, ईमानदारी, न्याय और कर्त्तव्यनिष्ठा में आपका अटल विश्वास था। शिक्षा के क्षेत्र में सतत अध्ययन, वक्त की पाबन्दी और कठोर अनुशासन के आप सशक्त पक्षधर रहे।शिक्षण के क्षेत्र में आपको लगभग 50 वर्ष का अनुभव था।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आप कतिपय भारतीय विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफैसर, रजिस्ट्रार, डीन आफ फैकल्टी तथा प्रोफैसर आफ एमीनेन्स जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। बीट्स, पिलानी में आप असिस्टेंट डायरेक्टर तथा आफीसर कमाण्डिंग इन चीफ, एन. सी. सी. रहे। राजस्थान विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हिसार विश्वविद्यालय एवं यू.जी.सी. को आपने अमूल्य सेवाएं दीं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका में आप आउटस्टैंडिंग प्रोफैसर रहे।
आप स्टेट प्लानिंग बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। वर्ष 1984 से 1986 तक आप राजस्थान लोक सेवा आयोग के माननीय सदस्य रहे।आप इण्डियन अकाउंटिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया, गार्डन रिसर्च इंस्टीट्यूट एवं प्रेज टूल्स के आप मानद सदस्य रहे।
दर्जनों पुस्तकों के लेखक रहे तथा अनेकों शोधकर्ताओं को अपने मार्गदर्शन में आपने पी.एच.डी. करवाया।'वैल्थ एण्ड वेलफेयर आफ शेखावाटी' तथा 'लैण्ड रिफाॅर्म्स इन राजस्थान' आपके चर्चित शोध ग्रन्थ हैं। स्व. भैरों सिंह शेखावत साहब के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार के दौरान भूमि सुधार हेतु किये गये आपके शोध पर राज्य विधानसभा में लम्बी बहस चली थी। हरियाणा में आप काॅमर्स व मैनेजमेंट के जन्मदाता माने जाते हैं।
आप मितव्ययी एवं मितभाषी थे। मेहनत करके खाने में आपका बड़ा विश्वास था। आपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। ग्राम्य अंचल में अभावों की जिंदगी के सुलगते हुए दर्द आपने स्वयं अपनी आंखों से देखे थे।यही कारण था कि असहाय एवं जरुरतमंद विद्यार्थियों की आप चुपचाप मदद कर दिया करते थे। फुर्सत के समय आप गीता का अध्ययन भी किया करते।
4 अक्टूबर, 2012 को अपने सेठी काॅलोनी, जयपुर स्थित आवास में आप ने आन्तिय श्वांस ली!
आनेवाले वर्षों में नई पीढ़ी ऐसे बेजोड़ व्यक्तित्व की सच्ची कहानी पर बहुत मुश्किल से यकीन करेगी! पुनः पुनः श्रद्धांजलि!
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी खड़गसिंह जी [p.321]: अभी-अभी जिनका नाम एक उदीयमान तारे की भांति जाट जगत के सामने आया है उनका नाम चौधरी खड़गसिंह है। आप दिसनाउ गांव के चौधरी हुकम सिंह जी के पुत्र हैं। गोत्र आपका भी महला है। आपने वकालत पास की है और इस समय आप प्रैक्टिस कर रहे हैं। आपके छोटे भाई दूलसिंह जी पिलानी कॉलेज में प्रोफेसर हैं।
चौधरी खड़ग सिंह जी को इसी वर्ष के आरंभिक महीने जनवरी सन 1949 में सीकर ठिकाने के अधिकारियों ने एक झूठे इल्जाम में गिरफ्तार कराया था। आपके साथ ही चौधरी ईश्वर सिंह जी और त्रिलोक सिंह जी भी गिरफ्तार कराए गए थे।
आप एक होनहार और योग्य नौजवान हैं। कौम के लोग आप से काफी उम्मीदें रखते हैं।
External links
References
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.321
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.321
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