Tehri

From Jatland Wiki
(Redirected from Ganeshprayag)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

For the district see Tehri Garhwal
Tehri Garhwal district

Tehri (टिहरी) is a city in Tehri Garhwal District in the Indian state of Uttarakhand.

Variants

Location

The town of Old Tehri sat at the confluence of the Bhagirathi River and Bhilangna River. It was formerly known as Ganeshprayag.

Tehri Garhwal District is surrounded by Rudraprayag District in the east, Dehradun District in the west, Uttarkashi District in the north, and Pauri Garhwal District in the south. Tehri Garhwal is a part of the Himalayas.

Origin

The name Tehri has been derived from Trihari, signifying a place that washes away the three types of sins – sins born out of Mansa, Vacha and Karmana or thought, word and deed, respectively.

History

Early History : Prior to 888 CE, the region was divided into 52 garh which were ruled by independent kings. These garh were brought into one province by Kanakpal, the prince of Malwa. Kanakpal, on his visit to Badrinath, had met the then mightiest king Bhanu Pratap who later married his only daughter to the prince and handed over his kingdom to him. Kanakpal Singh and his descendants gradually conquered all the garh and ruled the whole of Garhwal Kingdom for the next 915 years, up to 1803.

Tehri was the capital of the princely state of Tehri Garhwal (Garhwal Kingdom) in British India, which was created in 1815 and had an area of 4,180 square miles (10,800 km2), and a population of 268,885 in 1901. It adjoined the district of Garhwal, and its topographical features were similar. It contained the sources of both the Ganges and the Yamuna, which are visited by thousands of Hindu pilgrims.[1]

Construction of the Tehri Dam totally submerged the Old Tehri, and the population was shifted to the town of New Tehri.

The town is famous as the site of protests against the dam by Sundarlal Bahuguna and his followers during the Chipko movement. At present the old Tehri town does not exist any longer.[2]

Garhwal Kingdom: Tehri Garhwal[3] or the Garhwal Kingdom, was a princely state, ruled by the Parmar (Shah) dynasty. Later, it became a part of the Punjab Hill States Agency of British India, which consists of the present day Tehri Garhwal District and most of the Uttarkashi district. In 1901, it had an area of about 4,180 square miles (10,800 km2) and a population of 268,885. The ruler was given the title of raja, but after 1913, he was honoured with the title of Maharaja. The ruler was entitled to salutes of 11 guns and had a privy purse of rupees 300,000. The princely state acceded to India on 1 August 1949.

नई टिहरी

नई टिहरी (न्यू टिहरी) टिहरी जिले का मुख्यालय है। पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। हर वर्ष काफी संख्या में पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां आप चम्बा, बूढ़ा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, देवप्रयाग आदि स्थानों में घूम सकते हैं। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती काफी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खिंचती है।

मूल टिहरी नगर भागीरथी और भीलांगना नदियों के तट पर स्थित था परंतु अब वह टिहरी बांध में डूबने के कारण अस्तित्व में नहीं है।

टिहरी बाँध: टिहरी शहर मीडिया में सुन्दरलाल बहुगुणा (9.01.1927 – 21.05.2021) टिहरी बाँध के निर्माण के विरुद्ध आन्दोलन से प्रकाश में आया था। टिहरी बाँध हिमालय की दो महत्वपूर्ण नदियों पर बना है जिनमें से एक गंगा नदी की प्रमुख सहयोगी नदी भागीरथी तथा दूसरी भीलांगना नदी है, जिनके संगम पर इसे बनाया गया है। टिहरी बाँध की ऊँचाई 261 मीटर है जो इसे विश्व का पाँचवा सबसे ऊँचा बाँध बनाती है। टिहरी बांध एशिया का सबसे बड़ा बांध है। पर्यावरणविद मानते है की बाँध के टूटने के कारण ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर इसमें जलमग्न हो जाएँगे। सुन्दरलाल बहुगुणा 1970 के दशक में पहले वे चिपको आन्दोलन से जुड़े रहे और 1980 के दशक से 2004 तक के दशक में टिहरी बाँध के निर्माण के विरुद्ध आन्दोलन से। वे भारत के आरम्भिक पर्यावरण प्रेमियों में से एक हैं। वे टिहरी-गढ़वाल जिले के मरोड़ा गाँव के रहने वाले थे।

इतिहास: मूल टिहरी पहले यह एक छोटा सा ग्राम हुआ करता था, लेकिन 1815 में गढ़वाल के राजा सुदर्शन शाह ने इस नगर को अपनी रियासत की राजधानी बनाया, और इसी के नाम पर राज्य का नाम टिहरी-गढ़वाल रियासत पड़ा। अट्ठारवीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाज़ टिहरी के पोत तक आते थे। 21 वीं शताब्दी की शुरुआत में टिहरी बाँध के निर्माण के कारण पूरा टिहरी नगर जलमग्न हो गया। इस त्रासदी ने लगभग एक लाख लोगों को प्रभावित किया था, जिनके निवास के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने इस नगर की स्थापना की। इस नगर का निर्माण 90 के दशक में ही शुरू हो गया था, और इसके लिए 3 गांवों और थोड़ी वन भूमि का अधिग्रहण किया गया। 2004 तक टिहरी नगर को पूरा खाली कर वहां के निवासियों को नई टिहरी में स्थानांतरित कर दिया गया था।

External links

References