Gogamedi

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Location of Gogamedi in Hanumangarh district

Gogamedi (गोगामेडी) Gogameri (गोगामेड़ी) is a village in Nohar tahsil in Hanumangarh district of Rajasthan. It is known for Gogaji, the folk deity of all communities in Rajasthan.

Location

Jat Gotras

Gogaji fair

Gogameri

A grand fair is held at Gogamedi, which is 359 km from Jaipur, in Hanumangarh district of Rajasthan in August in memory of Gogaji. It is believed that Gogaji went into samadhi at Gogamedi. Thousands of devotees gather to pay homage at this memorial annually in the month of Bhadrapada during the Gogaji fair, which lasts for 3 days.The fair is held from the ninth day of the dark half of Bhadrapada (Goga Navami) to the eleventh day of the dark half of the same month. The inscription in Persian at the main entrance describes Mahmud of Ghazni's regard for Gogaji. It is quite a sight to see people singing and dancing to the beats of drums and gongs with multicolored flags called 'nishans' in their hands.

Gogaji गोगाजी

Gogaji is a folk deity of all communities in Rajasthan. He is an eminent warrior-hero of the region. Hindus and Muslims alike honor him. He is also venerated as a saint and even as 'snake-god'. He is known as Goga among the Hindus and Jahar Peer among the Muslims. The Kayam Khani Muslims claim descent from him and regard him as a peer (saint). Gogaji is popular as a snake-god and almost every village in Rajasthan has a Than (sacred place) dedicated to him. The devotees of Gogaji can be found in Uttar Pradesh, Punjab,Haryana, Madhya Pradesh and Maharashtra. In Gujarat, an annual procession is taken out in honour of the great warrior.

दादा खिराज भक्त की धरती

चुरू जिला मुख्यालय से 115 किमी दूर सरदारशहर से साहवा मार्ग पर एक गोगामेड़ी स्थित है जिसे खिराज भक्त की गोगामेड़ी के नाम से जाना जाता है। इस परिक्षेत्र में आनेवाले ग्राम बोघेरा, बिल्यूं बास रामपुरा, बिल्यूं बास महियान, देवाणिया, सहजासर, बिल्यूं बास डूमाणी, डालमाण आदि आते हैं। इस क्षेत्र को खिराज भक्त की धरती नाम से पुकारा जाता है। यह गोगामेड़ी बिल्यूं बास महियान की रोही में स्थित है। इस गोगामेड़ी की सर्प दंश को ठीक करने के बारे में बहुत मान्यता है।

जनश्रुति के अनुसार लगभग 150 वर्ष पूर्व यहाँ भयंकर अकाल पड़ा। यहाँ रहने वाले लोगों ने दिसावर की तरफ प्रस्थान किया। उस समय ग्राम देवसर का खिराजा राम सारण आजीविका की तलास में पशु चराने के लिए पंजाब गया। वहाँ उसे नारवा की बीमारी हो गई तो वह चल नहीं पाता था। खिराज बैठा पैरों में नारवा की पीड़ा को सहला रहा था कि तभी उधरसे एक घुड़सवार गुजरा। घुड़सवार की छड़ी धरती पर गिर गई। घुड़सवार ने खिराज को छड़ी देने के लिए कहा। खिराज दर्द से कराह रहा था सो उसने असमर्थता व्यक्त की। घुड़सवार ने आदेशात्मक लहजे में कहा - खड़े हो जावो और मुझे छड़ी दो। घुड़सवार पल में ही खड़ा हुआ और छड़ी देदी। कहते हैं कि घुड़सवार ने खिराज को आदेश दिया कि अपने गाँव जाओ और मेरी मेड़ी बनाओ और पूजा करो। ऐसी जनमान्यता है कि खिराज भक्त को गोगाजी ने स्वयं दर्शन दिये थे।

खिराजा राम सारण वापस गाँव आ गया और बिल्यूं बास महियान के पास आकर गोगाजी की पूजा आराधना करने लग गया। तबसे उसे गोगाजी का भक्त कहा जाने लगा। भादवा महीने में गोगाजी के गाए जाने वाले लोक गीतों में खिराज भक्त गोगाजी भक्तों के शीर्ष पर हैं। वर्तमान में उनके वंशजों को भी भक्त के उपनाम से पुकारा जाता है। यह गोगामेड़ी बिल्यू की गोगामेड़ी के नाम से जानी जाती है। यहाँ पर भादवा महीने की शुक्ल पक्ष में 5 और 6 को मेला भरता है।

स्रोत - ओमप्रकाश शर्मा, भू-अभिलेख निरीक्षक, M: 9414676552

History

Notable persons

  • A. K. Godara - Principal College of Education, VPO- Gogameri, Teh.- Nohar, Dist.- Hanumangarh, Present Address : Smt. Ramkumari T.T. Coll., Mukandgarh Mandi, Jhunjhunu, Mob: 9414837413

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References


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