Gujarra

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Villages around Datia

Gujarra (गुजर्रा) is a village in Datia tahsil of Datia district in Madhya Pradesh.

Location

It is located 17 KM towards South from District head quarters Datia. 329 KM from State capital Bhopal. Gujarra Pin code is 475661 and postal head office is Datia. Parasari (5 KM ) , Unao (5 KM ) , Sersa (6 KM ) , Chirula (7 KM ) , Gandhari ( 8 KM ) are the nearby Villages to Gujarra.

Variants

Gujarra गुजर्रा (जिला दतिया, म.प्र.) (AS, p.290)

Jat Gotras

History

Monuments

  • Rock inscription (Edict) of Ashoka, Gujjara

ग्राम गुजर्रा स्थित सम्राट अशोक का शिलालेख

अशोक की शिलालेख का हिन्दी अनुवाद

(एक) देवनांप्रिय प्रियदर्शन अशोक राजा की (यह एक उद्घोषणा है)

(दो) मैं ढ़ाई वर्षाें (से अब तक) एक उपासक अर्थात् बुद्धे बुद्ध का एक सामान्य अनुयायी रहा हूं।

(तीन) उसने कहा है, (अब) एक वर्ष से अधिक हो गया है कि ग्रंथ (अर्थात् बौद्ध मठ) मेरे घनिष्ठ सम्पर्क में रहा है और यह कि मैं धर्म के प्रचार में स्वंय प्रयत्नशील हूं।

(चार) जम्बूदीप में देवानाम्प्रिय के लोग (अर्थात् प्रजा) को जो देवताओं से, असम्पृक्त रहे है, इस अवधि में देवताओं के प्रति (मेरे द्वारा) सम्पृक्त बना दिये गए हैं।

(पांच) यह (धर्म का संस्थापन) उसके द्वारा किये गए प्रयत्नों का परिणाम है।

(छः) ऐसा नहीं है कि यह (परिणाम) केवल समृद्ध व्यक्तियों द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।

(सात) दरिद्र जन भी यदि वह (धर्म के प्रति) प्रयास करता है, धर्म (से संबद्ध कर्तव्य) का आचरण करता है और जीवों के प्रति संयम से काम लेता है, तो वह भी महास्वर्ग प्राप्त कर सकता है।

(सात) अतः यह (मेरे द्वारा जारी) उद्घोषणा इस प्रयोजन (अनुसरण) के लिए है।

(आठ) (दोनों) दरिद्र और समृद्ध धर्म (से संबंद्ध कर्तव्य) का आचरण करें (और) (उससे) (देवों से) प्रतीति संबंध बनाएं।

(नौ) (मेरे साम्राज्य की) सीमा के बाहर रहने वाली जनता को भी यह ज्ञात हो कि .............. यदि कोई इस धर्म से संबद्ध कर्तव्यों का अत्यधिक पालन करता है, तो .......................।

(दस) जब मैं 256 दिनों तक भ्रमण पर रहा, तब यह उद्घोषण (मेरे द्वारा जारी) की गई

Rock inscription (Edict) of Ashoka, Gujjara[1]

म0प्र0 के दतिया जिले के ग्राम गुजर्रा स्थित सिद्धों की टोरिया नाम पहाड़ी की तलहटी में मौर्य सम्राट अशोक (269-232 ई.पू.) का एक महत्वपूर्ण शिलोत्कीर्ण धर्मादेश में स्थित है। दतिया-झांसी सडक मार्ग पर दतिया से लगभग 20 किमी दूर गुजर्रा गांव स्थित है जहां सडक मार्ग से पहुंचा जा सकता है। भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने उसे पुरातत्व विभाग का घोषित किया जाकर संरक्षित स्मारक में सम्मिलित किया है। उसे प्राकृतिक क्षरण कारकों से बचाने के लिये उस पर एक शेड का निर्माण कराया। शिलालेख ब्राह्मी लिपि तथा मागधी लिपि में है। शिलाखण्ड पर लम्बाई में लगभग एक मीटर और उंचाई में आधा मीटर के भाग में पांच पंक्तियां उत्कीर्ण किया गया है। यह शिलालेख अभी तक प्राप्त अशोक के विभिन्न शिलालेखों में दूसरा है जिसपर सम्राट अशोक के व्यक्तिगत नाम का उल्लेख है।[2]

गुजर्रा लघु शिलालेख

गुजर्रा मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले में स्थित है। गुजर्रा से अशोक का लघु शिलालेख प्राप्त हुआ है। मास्की लेख के पश्चात् गुजर्रा से प्राप्त लेख से यह बात स्पष्ट हुई कि देवताओं का प्रिय, प्रियदर्शी राजा और कोई नहीं अशोक ही है।[3]


विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है....गुजर्रा (ज़िला दतिया, मध्य प्रदेश) (AS, p.290) में 1920 में अशोक का एक शिलालेख प्राप्त हुआ था जो बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. अशोक के तब तक प्राप्त अभिलेखों या धर्मलिपियों में केवल मासकी अभिलेख में ही ही अशोक का नाम देवानां प्रिय की उपाधि के साथ मिला था. शेष में सर्वत्र केवल देवानांप्रियदर्शी की उपाधि का ही उल्लेख है, नाम का नहीं. गुजर्रा में प्राप्त नए अभिलेख में, जो बैराट, सहसराम, रूपनाथ, यरागुडी, राजुलमंडगिरि और ब्रह्मगिरि तथा मासकी के अभिलेख की ही एक प्रति है, अशोक का नाम उपाधि सहित दिया हुआ है-- 'देवानां पियसपियदसिनो अशोक राजस'. इस प्रति के प्राप्त होने से इस अभिलेख के कई संशयग्रस्त पाठ स्पष्ट हो गए हैं. इसका मुख्य विषय है-- अशोक के 256 दिन की धर्मयात्रा तथाबौद्धधर्म के प्रचार के लिए उसका अनथक प्रयास. जिस चट्टान पर यह लेख अंकित है वह गुजर्रा के निकट एक वन में अवस्थित है.

External links

References