Jagjit Singh Rathi

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Dr. Jagjit Singh Rathi

Dr. Jagjit Singh Rathi (20.5.1926-12.7.2019) from Bhaproda village, Jhajjar district in Haryana was a great scientist, serving in USA as Chairman of NASA University. He received his School education from district Jhajjar.

डॉ. जगजीतसिंह राठी का जीवन परिचय

चंडीगढ़, 12 जुलाई। विश्व विख्यात वैज्ञानिक डॉ. जगजीत सिंह राठी नहीं रहे। -नासा के स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के प्रमुख पद पर पहुंचनेवाले अकेले भारतीय थे ।

भारतीय मूल के विश्व विख्यात वैज्ञानिक डॉ. जगजीत सिंह का 93 वर्ष की आयु में अमेरिका में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार 16 जुलाई को पूरे राजकीय सम्मान के साथ हिंदू रीति रिवाज से किया जायेगा। ज्ञातव्य रहे कि डॉ.सिंह अमेरिका के प्रख्यात शोध केंद्र नासा में स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुख वैज्ञानिक रह चुके थे तथा अपने जीवन के अंतिम दौर में भी वे नासा के वैज्ञानिकों का सहयोग एवं मार्गदर्शन करते रहे। उनके निधन से दुनिया में शोक की लहर फैल गई है। भारत में भी उनकी मृत्यु से पूरा देश स्तब्ध है।

उनके भतीजे डॉ. अमरजीत राठी ने बताया कि डॉ.सिंह का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के गांव भापड़ौदा के किसान परिवार में 20 मई 1926 में हुआ। उनके पिता का नाम शुभ राम और माता का नाम धनकौर था।

शिक्षा

सन 1943 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा लायलपुर (अब पाकिस्तान) से प्राप्त की तथा पूरे संयुक्त पंजाब में प्रथम स्थान प्राप्त किया और छात्रवृत्ति पाई। इन्होंने अपने विज्ञान स्नातक एवं स्नातकोत्तर की डिग्री पंजाब विश्वविद्यालय से की। तत्पश्चात उन्होंने न्यूक्लीयर फिजिक्स में पीएचडी लिवरपूल यूनिवर्सिटी इंग्लैंड से प्राप्त की। वह बहुत ही प्रतिभावान एवं कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी थे। पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने लगातार 1943-47 तक छात्रवृत्ति प्राप्त की।

कैरियर

वेस्ट वर्जीनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में 1965 तक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दी। कॉलेज ऑफ द विलियम्स एंड वेरी में 1965 से 67 तक अध्यापन कार्य किया। सन 1972 से 1998 तक ओल्ड डोमिनियन यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। इस दौरान 16 विद्यार्थियों को एमएस और पीएचडी के लिए गाईड किया। नासा में वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक के रूप में लैंगली शोध केंद्र से 1978 तक जुड़े रहे। 1978 से 1994 तक इंस्ट्रूमेंट रिसर्च डिवीजन में चीफ साइंटिस्ट के रूप में कार्य किया। सन 1994 से 1998 तक एक्सपेरिमेंटल एंड टेक्नोलॉजी डिवीजन में मुख्य वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया। जबकि 1998 से 2000 तक नासा लैंगली रिसर्च सेंटर के शोध निर्देशक के रूप में कार्य किया। डॉक्टर सिंह की 246 साइंटिफिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए, दुनिया के 30 प्रमुख शोध संस्थानों में उन्होंने अपने भाषण दिए, 50 विज्ञान और अभियांत्रिकी पर आधारित पुस्तकों की समीक्षा की, एनवायरमेंट एंड एयरोस्पेस मैनेजमेंट सार्इंस पर आधारित दो पुस्तकों का संपादन किया, दो राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन की अध्यक्षता की, डॉक्टर जे.जे. सिंह को नासा अपोलो अचीवमेंट अवॉर्ड, नासा फ्लैग अवॉर्ड, नाशा स्पेशल ग्रुप सर्टिफिकेट मोमेंट अवॉर्ड, 6 टेक्नोलॉजी यूटिलाइजेशन अवॉर्ड, 5 यूनाइटेड स्टेट सिविल सर्विस तथा आउटस्टैंडिंग प्रोफेशनल्स अवॉर्ड प्राप्त किए, इसके अलावा 10 यूनिवर्सिटी स्टेट पेटेंट्स आपके नाम से है इसके साथ ही 2004 में आपको अमेरिका में मेडल ऑफ ऑनर तथा फेम फॉर आउटस्टैंडिंग लीडरशिप 2005 में सम्मानित किया गया, 2005 में इंटरनेशनल अवार्ड ऑफ द मेरिट कैम्ब्रिज यूके में आपको प्रदान किया गया। डॉक्टर जगजीत सिंह ने न्यूक्लीयर फिजिक्स शोध पूर्ण कर इंग्लैंड से वापस भारत आए।

भारत आने के बाद उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मुलाकात की और अपने देश में ही न्यूक्लीयर लैब स्थापित कर शोध का प्रस्ताव किया। लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें देश की खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर असमर्थता जाहिर की। इसके बाद डॉ. सिंह ने अमेरिका की ओर रुख किया। जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया ।

डॉ. अमरजीत ने आगे कहा कि अंतिम समय में उनकी इच्छा अपने देश की सेवा करने की रही उन्हें अपने गांव और अपने देश के प्रति गहरा लगाव था। महत्वपूर्ण पद पर होने के बावजूद भी वे भारत आते रहते थे। उन्होंने अपने पैतृक गांव भापड़ौदा में अपना फार्म हाउस बनवा रखा था। जहां पर वे आकर रुकते थे तथा ग्रामीण युवाओं को कड़ी मेहनत और लग्न से पढऩे के लिए प्रेरित करते थे। उनका मानना था कि भारतीय युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उचित मार्गदर्शन और सुविधाएं न मिलने से वे पिछड़ जाते हैं। डॉ. सिंह आजीवन कुंवारे रहे तथा उनका कहना था कि उन्होंने तो विज्ञान से ही शादी कर रखी है।

आर्य समाज झज्जर ने दी श्रद्धाजंलि

झज्जर | नासा के महान वैज्ञानिक रहे झज्जर के गांव भापड़ौदा निवासी डाॅ. जगजीत सिंह को आर्य समाज झज्जर ने श्रद्धाजंलि देकर यज्ञ कराया। इस मौके पर पुरोहित प्रदीप शास्त्री के ब्रह्मत्व में हुए यज्ञ मेें आहुति डालकर उनकी आत्मा की शांति के िलए प्रार्थना की गई। आर्य समाज के प्रधान जयप्रकाश राठी ने बताया कि डाॅ. जगजीत सिंह गांव में उनके पड़ोसी रहे। बाद में अमेरिका में रहते हुए नासा में कई बड़े शोध किए। ताउम्र अविवाहित रहे डाॅ. जगजीत सिंह ने नासा में न केवल झज्जर जिले बल्कि पूरे हरियाणा और भारतवर्ष का नाम रोशन किया। इस अवसर पर आर्य समाज के मंत्री लाला प्रकाशवीर, कोषाध्यक्ष लाला सूर्यप्रकाश सिंघल, रामअवतार, आत्मप्रकाश चुघ, मास्टर पन सिंह, वरुण, रुचि उपस्थित रहे।[1]

External links

References


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