Jarudhi
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Jarudhi (जारुधि) was a province mentioned in Ramayana and Mahabharata located on the banks of Sarayu River. It is name of a mountain mentioned in Vishnu Purana located north of Meru extended upto Sea. It is probably present Ural (Russia) which extends up to Caspian Sea. [1]
Origin
Variants
History
जारूधि
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...1. जारुधि (AS, p.363) संभवत: सरयू के तटवर्ती प्रदेश का नाम है. महाभारत सभा पर्व 38, दक्षिणापथ्य [p.364] पाठ में भीष्म ने, युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के अवसर पर, विष्णु के अवतारों को कथा के वर्णन के प्रसंग में कहा है कि श्री रामचंद्र जी ने दस अश्वमेघों का अनुष्ठान करके जारूधि प्रदेश को निर्विघ्नं बना दिया था-- 'दशाश्वमेधनाजह्ने जारूधिस्थान् निरर्गलान्' रामचंद्र जी के पूर्वज इक्ष्वाकु नरेशों ने अश्वमेघ यज्ञ सरयू के तट पर ही किए थे जैसा कि रघुवंश 13,61 से भी ज्ञात होता है-- 'जलानि या तीरनिखातयूपा वहत्योध्यामनुराजधानीम्, तुरंगमेधावभृथावतीर्णै रिक्षवाकुभि: पुण्यतरीकृतानि', और रामचंद्र जी ने भी पूर्व परंपरा के अनुकूल अश्वमेघ यज्ञ अपनी राजधानी अयोध्या के निकट सरयू तट पर ही संपादित किया था.
2. जारुधि (AS, p.363) विष्णु पुराण के अनुसार मेरु के उत्तर में एक पर्वत, जो पश्चिम की ओर समुद्र तक विस्तीर्ण था--'त्रिशृंगो जारुधिश्चैव उत्तरौवर्षपर्वतौ, पूर्व पश्चायतावेतावर्णवान्तव्यर्वस्थितौ'-- 2,2,43 इस वर्णन की वास्तविकता को यदि स्वीकार करें तो यह पर्वत वर्तमान यूराल (रूस) की श्रेणी का कोई भाग हो सकता है जो कश्यप (कैस्पियन) सागर तक फैली हुई है. विष्णु पुराण 2,2,28 में जारुधि को मेरु का पश्चिमी केसराचल भी माना गया है--'शिखिवासा: सवैडूर्य: कपिलो गंधमादन: जारुधि: प्रमुखास्तद्वत्पश्चिमे केसराचल:।' (दे. त्रिशृंग)