Jat Jan Sewak/Parishisht-K

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पुस्तक: रियासती भारत के जाट जन सेवक, 1949, पृष्ठ: 580

संपादक: ठाकुर देशराज, प्रकाशक: त्रिवेणी प्रकाशन गृह, जघीना, भरतपुर

परिशिष्ट (क):आभार प्रदर्शन

परिशिष्ट (क):आभार प्रदर्शन

[पृ.531]:सीकर और शेखावाटी के आंदोलनों को भारतीय ख्याति मिली थी और इसमें संदेह नहीं बड़े से बड़े नेताओं तक की इन आंदोलनों के साथ सहानुभूति रही।

महात्मा गांधी जी ने नवजीवन में लेख लिख कर खुड़ी कांड पर दुख प्रकाश किया था और जयपुर के अधिकारियों को सलाह दी थी कि सीकर के जाटों के साथ अच्छा न्याय का व्यवहार करें।

श्री अमृतलाल जी सेठ ने गुजराती भाषा के प्रसिद्ध दैनिक पत्र ‘जन्म भूमि’ द्वारा सीकर के आंदोलन का बड़े जोर शोर से प्रचार किया। जून सन 1935 में ठाकुर देशराज, रतन सिंह और सीकर के दूसरे नेताओं को मुंबई बुलाकर श्री जमुना दास जी मेहता के प्रधानत्त्व में सभा करवाई।

सेठ जी के बाद मुंबई में दूसरे पत्रकार श्री निरंजन जी शर्मा अजीत है जिन्होंने सीकर आंदोलन का प्रचार पूर्णरूपेण किया था।

राजस्थान के नेताओं में श्री हरिभाऊ उपाध्याय


[पृ.532]: श्री जयनारायण व्यास, चौधरी रामनारायण जी और अचलेश्वर जी की भी सहानुभूति शेखावाटी सीकर के आंदोलन के साथ हुई।

श्री विजयसिंह जी पथिक ने कुछ समय तक अजमेर से हिंदुस्तान के तमाम प्रमुख अखबारों को सीकर शेखावाटी के समाचार भेजे और एक बार सीकर का दौरा भी किया।

बाबाजी नृसिंहदास जी ने तो कई दौरे सीकर शेखावाटी में किए और 2 वर्ष का कारावास भी उनके लिए भोगा तथा उन्हें देश निकाले का दंड भी भुगतना पड़ा। आपके साथ ही किशनलाल जी जोशी को भी 10 माह तक जयपुर जेल में रहना पड़ा।

दिल्ली के पत्रों अर्जुन और नवयुग ने पूरा साथ दिया। अर्जुन के संचालक श्री इंद्र जी ने तो अनेकों बार जयपुर और सीकर के अधिश्वरों को नेक सलाह दी थी और जब जाट जत्था दिल्ली पहुंचा था तो उसका स्वागत सत्कार भी कराया था।

आगरा के सैनिक, कानपुर के प्रताप, खंडवा के कर्मवीर ने भरसक आंदोलन का प्रचार किया।

कोलकाता के पत्रों में लोकमान्य ने पूरा भाग आंदोलन के पक्ष में लिया। उन दिनों ऐसा मालूम होता था कि लोकमान्य उन आंदोलनों का मुख्य पत्र है। कोलकाता की मारवाड़ी ट्रेड एसोसिएशन के मंत्री तुलसीराम जी सरावगी ने पूर्ण हमदर्दी आंदोलन के साथ रखी और उसे सफल बनाने के लिए सीकर के अधिकारियों पर प्रभाव डाला।

भिवानी के पंडित नेकीराम शर्मा ने अपने वक्तव्यो द्वारा अनेक बार शेखावाटी के ठिकानेदारों को किसानों के


[पृ. 533]: का व्यवहार करने पर जोर दिया। इन सभी के लिए सीकर शेखावाटी के किसानों के जिलों में आदर भाव है और वे सदा उनकी कृपा उनके आभारी रहेंगे।


परिशिष्ट (क) समाप्त

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