Kelwara Rajsamand
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Kailavada (कैलवाड़ा) is a historical village in Kumbhalgarh tahsil of Rajsamand district inRajasthan.
Variants
Origin
History
कैलवाड़ा
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ... कैलवाड़ा (AS, p.226) ज़िला राजसमन्द, राजस्थान में स्थित है। यह मेवाड़ का एक प्राचीन स्थान है। अकबर के समकालीन मेवाड़पति उदयसिंह का सरदार वीर पत्ता कैलवाड़ा का शासक था। 1567 ई. में अकबर के चित्तौड़ पर आक्रमण करने के समय जयमल और पत्ता ने चित्तौड़ की रक्षा का भार अपने ऊपर लिया था।
वीर पत्ता का परिचय
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में समिधेश्वर मंदिर से आगे कालिका माता मंदिर की तरफ जाते हैं तो रास्ते में दांई तरफ एक अत्यंत भव्य तीन मंजिला हवेली नजर आती है जिसके तीन तरफ बाहर निकले हुवे गोखों पर अत्यंत सुन्दर कार्य किया हुवा है. यह हवेली जयमल और पत्ता जी की है. वीर पत्ता चुंडा के पुत्र कान्धल के प्रपौत्र थे और आमेट (राजसमन्द) ठिकाने वालों के पूर्वज थे|
चितौड़ दुर्ग पर जब अकबर ने आक्रमण किया और महाराणा उदयसिंह के प्रमुख सरदारों की सभा में सर्वसम्मती से यह निर्णय लिया कि चूँकि अकबर की सेना अत्यंत विशाल है और इस समय महाराणा का अपने परिवार और कुछ सेना के साथ पहाडों में चले जाना उचित होगा और बाकी सरदार चितौड़ दुर्ग की रक्षा के निमित वहीं रहेंगे तब इस निर्णय पर अमल करते हुये चितौड़ की रक्षा का भार महाराणा ने वीर जयमल और पत्ता पर छोड़ा. उन्हें सेनाअध्यक्ष बना कर महाराणा अपने परिवार और रावत नैतसी और कुछ अन्य सरदारों के साथ उदयपुर के पहाडों की तरफ चले गए|
वीर पत्ता जग्गावत रामपोल दरवाजे के अन्दर मुग़ल सेना से लड़ते हुवे वीरगति को प्राप्त हुये. उन्हें अकबर के हाथी ने अपनी सून्ड में उठा कर पटक दिया था. जहां वे वीर गति को प्राप्त हुये वहां आज भी उनका स्मारक बना हुवा है|
संदर्भ: शरद व्यास का ब्लॉग