Karnel Singh Beniwal
Karnel Singh Beniwal (born:9.9.1930-15.8.1955) was a freedom fighter from village Isru, tahsil Khanna in Ludhiana district of Punjab. He became martyr on 15.8.1955 at Goa fighting with Portugal officer.
अमर शहीद करनैल सिंह बेनिपाल (बेनीवाल) का जीवन परिचय
करनैल सिंह बेनिपाल जी का जन्म 9 सितम्बर 1930 को ज़िला लुधियाना के खन्ना क़स्बे के पास इस्सरू गाँव में हुआ था । पिता का नाम सरदार सुंदर सिंह व माता का नाम हरनाम कौर था , जब करनैल सिंह सात वर्ष के ही थे तो इनके पिता जी चल बसे , चार बहने व तीन भाई थे , माता जी व बड़े भाई ने इनका बड़े लाड़ प्यार से लालन पालन किया ।
शहीद करतार सिंह सराभा, शहीद भगत सिंह, शहीद ऊधम सिंह , इनके आदर्श थे , स्कूल में अक्सर इनके क़िस्से गीत सुनाया करते ।
गोरों से आज़ादी के बाद भी गोवा पुर्तगालियों के साम्राज्य के अधीन था । गोवा की आज़ादी के लिए 1955 में पूना में गोवा विमोचन सहायक समिति बनी और सभी भारतियों से आह्वान किया गया । करनैल सिंह जिनकी अपनी भाभी की छोटी बहन चरनजीत कौर से मई 1955 को ब्याह हुआ था , GVSS के इस आह्वान पर गोवा की आज़ादी के सत्याग्रह आंदोलन में शरीक होने जा पहुँचे । 15 अगस्त 1955 , मध्यप्रदेश से श्रीमती सहोदरादेवी राय सागर जो अपने हाथ में तिरंगा झंडा लिए सत्याग्रह जुलूस की अगुवाई कर रही थी उन पर पुर्तगाली अधिकारी ने गोली चला दी , जो सहोदरादेवी के बाजु को छू कर निकल गई , सहोदरादेवी ज़मीन पर गिर पड़ी , करनैल सिंह जो जुलूस में पीछे थे उन्हें पुर्तगालियों के इस कायरतापूर्ण रवैय पर बड़ा ग़ुस्सा आया , वे आगे आए और सहोदरादेवी के हाथ से तिरंगा लेते हुए और अपनी क़मीज़ फाड़ कर पुर्तगाली अधिकारी को ललकारा कि एक निहत्थी औरत पर गोली क्या चलाते हो हिम्मत है तो मेरे सिने पर गोली चलाओ , पुर्तगाली अधिकारी ने इस सूरमा की छाती पर गोलियाँ दाग़ दी जिससे करनैल सिंह वहीं ज़मीन पर गिर पड़े । पच्चीस साल का जोशिला जवान करनैल सिंह वहीं शहीद हो गया ।
गोवा में इस अमर शहीद का बुत लगा हुआ है और हर बरस इनकी शहादत को याद किया जाता है । शहीद करनैल सिंह की विधवा पत्नी चरनजीत कौर जो उस वक़्त सत्रह वर्ष की थी और विवाह को तीन महीने ही हुए थे जब वो विधवा हुई , हालाँकि जाटों में विधवा विवाह प्रथा है पर इन्होंने पुनर्विवाह नहीं किया और अपना जीवन करनैल सिंह की यादों को समर्पित कर दिया । सल्यूट है चरनजीत कौर के जज़्बे और समर्पण को । चरनजीत कौर हरयाणा के अंबाला शहर में रहती हैं ।
ये फ़र्क़ है राष्ट्रवाद और देशभक्ति में । देशभक्ति जन्मजात होती है और राष्ट्रवादी भावना बनावटी । हमारे अंदर देशभक्ति का जज़्बा जन्मजात है तो कुछ लोगों को अपने अंदर ये राष्ट्रवाद की भावना पैदा करनी पड़ती है । राष्ट्रवाद की भावना बनावटी है इसलिए बार बार इन्हें इसका दिखावा करना पड़ता है । कहाँ पंजाब और कहाँ गोवा , पर अंदर में देशभक्ति के जन्मजात कीटाणु करनैल सिंह को पंजाब से गोवा ले गए ।
Author
-यूनियनिस्ट राकेश सांगवान JaiYoddhey
External links
References
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