Kasam
मेरी बहनों वतन को बचाओ कसम तुम्हे जयहिन्द की
ऎसा बहादुर तुम करना पैदा
देश ओर धर्म पर जो हो शैदा
गोदी में कृष्ण खिलाओ कसम तुम्हे जयहिन्द की
हंसली कङुली नेचरी गुलीबन्द हार को
इनको बेचकर दाम दो सारे लुहार को
तलवार को बदले में लाओ कसम तुम्हे हिन्दुस्तान की
जाति धर्म के वास्ते सीना अङाईयो
लङके पढें या न पढें लङकी पढाइयो
क्न्याओ के गुरुकुल खुलवाओ कसम तुम्हे जयहिन्द की
दिन रात आपके लिये जो कष्ट सह गया
चलती दफ़ा रंगून से सुभाष ये कह गया
अपनी हुकुमत बनाओ कसम तुम्हे जयहिन्द की
माता किशोरी की तरह दुश्मन को मोङ दो
कहता है पृथ्वीसिंह इस परदे को तोङ दो
आओ नया संसार बसाओ कसम तुम्हे जयहिन्द की
Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह |
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